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shivamkarne5006
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SHIVAM KARNE

17 | poet, writer, script writer, editor, kind heart ❤️ life is all about the thoughts.... visit my youtube channel

https://instagram.com/shivam_karne?igshid=YmMyMTA2M2Y=

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SHIVAM KARNE

कौन जाने खामोशी का क्या कारण होता 
जो भी कारण होता है
पर कहां निवारण होता है

©SHIVAM KARNE
  #Khamoshi #SAD #Love

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SHIVAM KARNE

धुआं धुआं

आज छुट्टी जल्दी हो गई थी काम से। 6 बजे मैं टीवी 
देख रहा था और बहन पराठें बना रही थी। कुछ देर में 
पूरे कमरे में धुआं धुआं हो गया और आंख में चुभने
 लगा।

 अचानक ख्याल आया कि इसी धुएं की तरह कितने 
ही सपने मेरे परिवार का पेट भरने में हर रोज धुआं 
होते हैं और  जब याद आती है सपनो की तो आंखों में
 इस फैले धुएं की तरह चुभते हैं।
मैंने खिड़की दरवाजा खोल दिया और बाहर आ गया।

©SHIVAM KARNE
  jindagi mein Jimmedariyan aksar khwaabon se jeet jata karti hain...

#SunSet #khwaab #khwahish #Life

jindagi mein Jimmedariyan aksar khwaabon se jeet jata karti hain... #SunSet #khwaab #khwahish #Life

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SHIVAM KARNE

तुमने पनाह ले ली गैरों में
मैंने शब्दों का संसार बना लिया...

©SHIVAM KARNE
  #broken
#onesidedlove 
#Yaad
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SHIVAM KARNE

ये गर्मी तुम्हारी याद की तरह हो रही है
कमवखत बढ़ती जा रही है....

©SHIVAM KARNE
  Teri yaad aur garmi

#Memories #याद #Yaad #Love

Teri yaad aur garmi #Memories #याद #Yaad Love #Poetry

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SHIVAM KARNE

मुसर्रतें लाख आएं रंजिशे हंसने ना देती
मैं रहना चाहूं अपनी दुनिया में
तेरी यादें बसने न देती

©SHIVAM KARNE Teri yaad basane na deti...
insta: @shivam_karne

#love #yaad 

#together

Teri yaad basane na deti... insta: @shivam_karne #Love #Yaad #together

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SHIVAM KARNE

ऐसा ही है दिल लड़कों का
वैरागी लड़कियां नहीं हुआ करती

©SHIVAM KARNE #SunSet
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SHIVAM KARNE

सब महफिल में बैठे थे
मुझे अकेला देख, खामोशी मेरे हक में आ गई

©SHIVAM KARNE khamoshi

#SunSet

7 Love

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SHIVAM KARNE

खिड़की से झांकता मन

मैं टीवी देख रही थी कि अचानक बिजली चली गई। 
दरवाजा बंद होने से पूरे घर में अंधेरा लग रहा था पर पूरा 
अंधेरा नहीं था। टीवी के पास की खिड़की से उजाला अंदर
आ रहा था। 
खिड़की को देखकर अचानक ख्याल आया कि हम में से 
कितनों के सपने भी तो ऐसे ही मेरी तरह मन के एक बंद 
कमरे में बैठे रहते हैं और झांकते रहते हैं खिड़की से बाहर।
 खिड़की पर लगी शरिया रोकती हैं उनको जाने से बाहर । 
दरवाजा घर वाले बंद कर देते हैं जैसे मेरे लिए किया है। 

मन एक किराए का कमरा बन जाता है जिसका मालिक ये 
समाज है और हम इस किराए के कमरे की खिड़की का 
नुकसान नहीं कर सकते इसलिए सपने खुद ही शांति से 
मंजूर कर लेते हैं खिड़की के अंदर की दुनिया।

लाइट आ गई तो मैं फिर tv देखने लगी

©SHIVAM KARNE
  रोज का किस्सा

रोज का किस्सा #Life

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SHIVAM KARNE

छूटी नाव

मैं नाव से नदी के रास्ते दोसर गांव जा रहा था। 
रास्ते में थककर एक गांव के किनारे रुक गया।
 मैं जब थोड़ा आराम करने के बाद वापिस जाने 
की सोची तो नव वहां नहीं थी नाव की रस्सी खुल के
 वो आगे जा चुकी थी।
मैं उसे पकड़ने के लिए नदी में कूदता की तभी मेरे
 सामान का ख्याल आ गया और मैंने हार मानकर 
नाव को जाने दिया।
हमारी जिंदगी भी हमें कई बार ऐसे मोड़ पर
 लाकर खड़ी कर देती है जहां नाव एक मौका 
होती है अपनी मंजिल तक जाने का और सामान 
होती हैं जिम्मेदारियां।
हम में से ज्यादातर लोग अपनी जिम्मेदारियों के 
खातिर छोड़ देते हैं मौका अपने सपनों का।
मैंने भी यही किया....।

©SHIVAM KARNE
  Rozz ka kissa

Rozz ka kissa #Life

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SHIVAM KARNE

पत्ते के टुकड़े

रोज रात को छत पर आकर खुले आसमान 
में टहलना एक अलग ही आनंद है। रोज की
 तरह आज भी छत पर आया ।
पेड़ का एक पत्ता तोड़ा फिर थोड़ी देर उसके 
साथ खेला , गाल पर लगाया , बालों पर 
घुमाया फिर आखिर में उसको छोटे टुकड़ों
 में फाड़ा और फिर हवा में उछाल दिया।

अचानक ख्याल आया कि हमारी जिंदगी भी
 तो यही करती है। पहले तोड़ती है फिर  
खुशी देती है, भरपूर आनंद और सुकून देती 
है फिर कुछ समय बाद जब खुशियों की लत
 लग जाती है बढ़े प्यार से तोड़ती, फाड़ती है 
फिर हवा में उछाल देती है.। आखिरी में
 मिलता क्या है जमीन पर बिखरे टुकड़े। 

पत्ते के टुकड़ों को लात से हटाते हुए मैं नीचे
 आ गया।

©SHIVAM KARNE
  रोज का किस्सा with @shivamkarne

#lifeexpirience

रोज का किस्सा with @shivamkarne #Lifeexpirience

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