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gautamprajapati7324
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Gautam Prajapati

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Gautam Prajapati

जिन फैसलों में लालच और स्वर्थ होता है

वो कभी कामयाबी या खुशी नही दे सकते



                                          -- गौतम

©Gautam Prajapati फैसले

फैसले #विचार

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Gautam Prajapati

करवटों मे सीमेट कर तेरे ख़त
मै तेरा इंतज़ार किया करता हु

ख्वाबों की सिलवटों में
किसी मोड़ पर तू मिलेगी कहीं

इनदिनों कैद हु 
कागज़ में सियाही की तराह

उम्र तेरे आखरी ख़त की
अभी जिया भी नही

इसबार मैने जिया इंतज़ार 
तेरे आने का

तू मेरे बाद जियेगी 
इंतज़ार मुझे पाने का


                                                      --- गौतम

©Gautam Prajapati इंतज़ार

इंतज़ार #कविता

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Gautam Prajapati

हिकारत दो मुझे तुम भी
के हु आज मैं मजबूर

जो चाहो मेरे साथ करो
है मुझे मंजूर

फिर आओ मेरे पास 
मेरी रूह के लुटेरों

करदो मुझे रुषवा के 
हु आज मैं मजबूर

मुझपर हसों 
और मेरे जस्बात से खेलो

न आती है मुझे शर्म
के हु आज मैं मजबूर

दिखती है हवस 
फिर मुझे आंखों में तुम्हारी

बिकता है मेरा जिस्म
के हु आज मैं मजबूर

                                                --- गौतम

©Gautam Prajapati मजबूर

मजबूर #कविता

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Gautam Prajapati

हिकारत दो मुझे तुम भी
के हु आज मैं मजबूर

जो चाहो मेरे साथ करो
है मुझे मंजूर

फिर आओ मेरे पास 
मेरी रूह के लुटेरों

करदो मुझे रुषवा के 
हु आज मैं मजबूर

मुझपर हसों 
और मेरे जस्बात से खेलो

न आती है मुझे शर्म
के हु आज मैं मजबूर

दिखती है हवस 
फिर मुझे आंखों में तुम्हारी

बिकता है मेरा जिस्म
के हु आज मैं मजबूर

                                                --- गौतम

©Gautam Prajapati मजबूर

मजबूर #कविता

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Gautam Prajapati

जला दिये है वो सारे खत के
जिनमे तुझे नाम से पुकारा था

सीमेटता हु कब जो राख 
तो पैराहन पे दाग लगते है

ये धुवे का गुबार कैसा ?
कुय आँखे नम है ?
मुझसे लोग पूछा करते है

हस के केहता हु
आखो में सुरमा लगाया है, बाल रंगे है 
और एक सिगरेट का कश भरा है बस

गोया मैं फिर से जवान हो रहा हु अब

यक़ीन करता नही कूय कोई मेरा
के कल रात तुम्हारा फ़ोन आया था
और तुमने मुझे मिलने को बुलाया है

अब यहाँ कुछ भी अच्छा नही लगता

जब मिलने आउंगा कल तो
तुम्हारी कब्र में जगा करके मैं भी लेट जाऊंगा

©Gautam Prajapati तुम्हारे ख़त

तुम्हारे ख़त #कविता

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Gautam Prajapati

मोहे रंग बना
मोरे सैया मोहे रंग बना

मोहे अंग लगा 
मेरो सैया मोहे रंग लगा के अंग लगा

पीली धूप सा रंग 
मोरे सैया मोहे रूप सा रंग

रंग और मिला
रंग और मिला के मन मंदिर के फूल खिला

श्यामा सा नीला
हरि नाम हरा और गंगा यमुना सा गीला

साफ सुफेद बना 
मोहे छुले मोरे सैया मेरी जुल्फ सजा

लाज की लाली रंग
मोहे चूम ले मोरे सैया ले चल अपने संग

खुशबू सा रंग दे
मोरे सैया मोहे अपनी पलको पे रखले

धानी धड़कन को
धानी धड़कन को अब और बड़ा

कश बाहों मे मेरे काजल को शर्मीला बना

मोहे रंग बना
मोरे सैया मोहे रंग बना

©Gautam Prajapati Rang
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Gautam Prajapati

एक समय यात्री है
जो अतीत मे रहता है

और ठीक उसी समय
एक समानांतर वर्तमान में भी


                                                      --- गौतम

©Gautam Prajapati समय यात्री

समय यात्री #कविता

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Gautam Prajapati

न जलाना मुझे और नाही दफ़न होने देना
मेरी मिट्टी में अभी और भी जाँ बाकी है

मै हिन्दू या मुसलमां ये दो अल्फ़ाज़ नही
मेरी आंखों में क़लीशा के निशां बाकी है

लगे न दाग़ मेरी पाक पैराहन पे कही
तुम्हारे नाखून में लहू के निशां बाकी है

किया था खत्म जहाँ तुम ने मेरी यादों को
उसी मिट्टी पे मेरे पैरों के निशां बाकी है

दिखे न मुझमे तुम तो आज क्यू घबरा से गये
मेरे जैसे अभी जहाँ में बहोत बाकी है

मिटा दो आज भले मुझको अपनी बातों से
तुम्हारे आईने में अक्स मेरे बाकी है

                                                      --- गौतम

©Gautam Prajapati Hindu Muslim

Hindu Muslim #कविता

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Gautam Prajapati

सुफेद कागज़ पे तेरा नाम लिखे बैठा हूँ
ऐहसास सियाही में उतरते ही नही

उड़ते फिरते है तितलियों की तरह
लफ्ज़ कागज़ पे ठहरते ही नही

अब्र की चादरों में लूप छुप करता
चाँद पल भर को निकलता ही नही

नज़्म उलझी हुई है सीने में
ख़्वाब आँखों से बरसते ही नही

सिमट जाती है कलम हाथ की गहराई में
बयां हुस्न तुम्हारा कही मुमकिन ही नही

बस तेरा नाम ही काफ़ी है मेरी जान मेरी ......
इससे बेहतर भी कोई नज़्म और क्या होगी

                                                  --- गौतम

©Gautam Prajapati Bas Tera Naam

Bas Tera Naam #कविता

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Gautam Prajapati

और कलम चीखती है
नोचती है सुफेद कागज़ को

ज़हरीली स्याही से
जाला के अल्फाज़

पोत देती है कालख 
फिर एक बार सुफेद
समाज की पैराहन पर

काटके जुबान अपने दांतों तले
खामोश कफ़न मे दफन हो जाती है

नही चाहती है करना बया वो
जो हुवा और जो होता आया है

तुम जिसे झूठे आक्रोश से बदलना चाहते हो
और झूठी मजबूरियों का देके वास्ता भूल जाते हो



                                                                 -- गौतम

©Gautam Prajapati
  कलाम की आवाज़

कलाम की आवाज़ #कविता

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