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sunnykumar2537
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Sunny Kumar

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Sunny Kumar

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Sunny Kumar

Motivation
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Sunny Kumar

Motivation

Motivation #विचार

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Sunny Kumar

Part-3
एक गरीब किसान
घमंडी सेठ को उसकी इन बातों से कोई मतलब 
था नहीं लेकिन गांव के सारे लोगों की तरह वह 
भी यह जानता था कि मोहन कितना मेहनती है 
और वह जिस भी खेत में काम करेगा वहां वह 
दोगुनी फसल उगा सकता है। सेठ ने सोचा अगर 
मैं इसे पैसे उधार देता हूं तो शायद यह इस स्थिति 
में नहीं है कि मुझे वापस लौटा सके लेकिन अगर
 मैं इसे अपने खेतों में काम करवाता हूं तो मुझे 
जरूर दुगना फायदा होगा।
सेठ मोहन से बोला - देख भाई पैसा तो मैं तुझे 
दूंगा नहीं और मेरे पास अभी खेतों में काम करने 
के लिए कई किसान पहले से मौजूद है लेकिन 
तुझ पर तरस खाकर मैं तुझे अपने खेतों में 
नौकरी देता हूं, पर मैं तुझे इसके लिए ज्यादा 
पैसे नहीं दूंगा। बाकी किसानों को मैं 300 देता 
हूं, मैं तुझे 200 ही दे पाऊंगा।
मरता क्या न करता । मोहन ने सेठ की शर्त 
मान ली और उसी दिन से सेठ के खेतों में 
काम करना शुरू कर दिया। 2 महीनों तक 
नियमित वो सेठ के खेतों में जाकर कड़ी मेहनत 
करता और देखते ही देखते 4 महीने का 
काम उसने अपनि मेहनत से 2 महीनों में ही 
खत्म कर दिया।

©Sunny Kumar
  #Stories
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Sunny Kumar

Part-2
एक गरीब किसान
1 वर्ष उस गांव में काफी ज्यादा बारिश 
हुई जिसके चलते कई किसानों की 
फसलें बर्बाद हो गई जिनमें से एक 
मोहन भी था। अब मोहन धर्म संकट में 
पड़ गया क्योंकि उसके परिवार में उसके 
अलावा कोई और कमाने वाला था नहीं 
और अपने परिवार को भूखा मरते हुए 
वो देख नहीं सकता था।वह जानता था 
कि इस गांव में अगर कोई उसकी मदद 
कर सकता है तो वह वही घमंडी सेठ है 
जीसने गांव के कई अन्य गरीब किसानों 
को या तो कर्जा दिया है या तो अपने 
यहां काम पर रखा हुआ है। हाथ पर 
हाथ धरे बैठे रहने के बजाय उसने इस 
सेठ के पास जाने का फैसला किया और 
एक दिन उनके पास पहुंच गया।
सेठ के पास पहुंचकर मोहन बोला - सेठ 
जी आपकी बहुत मेहरबानी होगी अगर 
आप मुझे थोड़ा सा कर्जा दे दे जिससे मैं 
अपने खेतों में फिर से कोई फसल उगा 
सकूं या फिर आप मुझे अपने यहां नौकरी 
दे दे ताकि मेरे परिवार को दो वक्त का 
खाना मिल सके।

©Sunny Kumar
  #Storie
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Sunny Kumar

Part-1
एक गरीब किसान
एक बड़ा ही धनवान आदमी एक गांव
 में रहता था।
 जैसे कि ज्यादातर पैसे वालों को होता
 है इस धनवान सेठ को भी अपने पैसों
 का घमंड था।
वह जिस गांव में रहता था वहां पर 
ज्यादातर लोग किसान थे। इन सभी
 किसानों के पास जितनी जमीन थी 
उससे कई गुना ज्यादा जमीन इस सेठ 
के पास थी। कई गरीब किसान तो 
इसके लिए इसके खेतों में काम करते थे।
ईसी गांव में मोहन नाम का एक बड़ा ही 
मेहनती और सच्चा किसान रहा करता 
था। मोहन का परिवार थोड़ा बड़ा था 
उसके परिवार में उसके बूढ़े मां बाप, 
पत्नी और तीन बच्चे थे जो अभी काफी
 छोटे थे।
मोहन के पास ज्यादा जमीन नहीं थी लेकिन
 जितनी भी थी उसमें वह बड़ी मेहनत करता 
और अपने परिवार का पेट पालने लायक 
अनाज उगा लेता था। बाकी के किसान भी 
यह देखकर हैरान रह जाते कि कोई कैसे 
इतनी सी जमीन में इतना ज्यादा फसल उगा 
सकता है।

©Sunny Kumar
  #Storie
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Sunny Kumar

Part-2 
 वह बहुत गरीब और जेबें टाइट एवं पैन्ट भी फटियाला था| बताया जाए तो उस दौरान उसकी उम्र के लड़के रात में दिल्ली की सड़कों पर बाइक दौरान नाईट पार्टी किया करते थे| पर विजय की पर्स में रूपये ना होने के कारण वह घर से कांलेज और कांलेज से घर आने के अलावा वह एक फल शाप पर दस हजार रुपये की तनख्वाह पर पार्ट टाइम नौकरी भी किया करता था| आज शाम की बात है| जब विजय अपने दुकान पर जा रहा था| तभी वहाँ पर एक बाइक वाले को जाता देख मन में कहने लगा की एक दिन मेरा टाइम भी आएगा जब मैं भी दिल्ली की सड़कों पर बाइक दौराउगा| पर उसी समय वहाँ बारिश होने लगती है| विजय तेजी से दुकान की ओर भागने लगता है| की वह बारिश में भिगकर कहीं वह बिमार न हो जाए| परन्तु विजय भागते-भागते एक बाइक वाले से टकरा जाता है| बाइक वाले से टकराने के बाद उसका बाइक का चक्का स्लिप होता है| और बाइक वाला वही गिर जाता हैं| उस दौरान विजय को भी बहुत चोटें लग जाती है| फिर वह बाइक वाला लडका उठता है| और जब वह अपना हेलमेट उतारता है तो विजय देखता है की वो तो उसके कालेज का एक छात्र अमित है| और वह विजय से बहुत नफरत करता था| क्योंकि विजय उस कालेज का एक फटिचर सा गरीब छात्र था| जबकि अमित एक अमिर बाप का बिगरैल बेटा था| अब आगे अगले पार्ट में|

©Sunny Kumar
  #Stories
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Sunny Kumar

यह कहानी एक आधुनिक समय की है| जब भारत तेजी से विकसित हो रहा था| उस समय के दौरान भारत की राजधानी जो एक दिलबरो के शहर दिल्ली की एक जगह नई दिल्ली के उत्तमनगर में रहता है| वह इस समय दिल्ली की एक छोटी सी फल की दुकान अमन फुर्ट शाप पर काम कर रहा है| उसका नाम विजय उफ विजय देव आर्या था| वह बहुत गरीब और जेबें टाइट एवं पैन्ट भी फटियाला था| बताया जाए तो उस दौरान उसकी उम्र के लड़के रात में दिल्ली की सड़कों पर बाइक दौरान नाईट पार्टी किया करते थे| पर विजय की पर्स में रूपये ना होने के कारण वह घर से कांलेज और कांलेज से घर आने के अलावा वह एक फल शाप पर दस हजार रुपये की तनख्वाह पर पार्ट टाइम नौकरी भी किया करता था| आज शाम की बात है| जब विजय अपने दुकान पर जा रहा था| तभी वहाँ पर एक बाइक वाले को जाता देख मन में कहने लगा की एक दिन मेरा टाइम भी आएगा जब मैं भी दिल्ली की सड़कों पर बाइक दौराउगा| पर उसी समय वहाँ बारिश होने लगती है| विजय तेजी से दुकान की ओर भागने लगता है| की वह बारिश में भिगकर कहीं वह बिमार न हो जाए| परन्तु विजय भागते-भागते एक बाइक वाले से टकरा जाता है| बाइक वाले से टकराने के बाद उसका बाइक का चक्का स्लिप होता है| और बाइक वाला वही गिर जाता हैं| उस दौरान विजय को भी बहुत चोटें लग जाती है| फिर वह बाइक वाला लडका उठता है| और जब वह अपना हेलमेट उतारता है तो विजय देखता है की वो तो उसके कालेज का एक छात्र अमित है| और वह विजय से बहुत नफरत करता था| क्योंकि विजय उस कालेज का एक फटिचर सा गरीब छात्र था| जबकि अमित एक अमिर बाप का बिगरैल बेटा था| अब आगे जान्ने के लिए बने रहे किंग मिलीयनर पर| था|

©Sunny Kumar
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