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govinddhardwived6408
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Dr. Govind dhar Dwivedi

कभी खुशी कभी गम।

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Dr. Govind dhar Dwivedi

जिन्हे आप अपना समझते हो उन्हें आजाद रहने दो।यदि वह आप का है तो आप से अच्छा मिलने पर भी वह र्सिफ आप का ही रहेगा। परन्तु वह आप का नही है तो आप उसे किसी भी बन्धन मे रखें तब भी आप नही रोक पायेंगे।वह आप से दूर हो जाएगा। इसलिए किसी दूसरे के अमानत पर अधिकार जताना उचित नही है।आप अपने तन-मन को कष्ट न दे कर अपितु आप का जो है य जो हुआ है य जो होगा उसमे खुश रहें।

© Dr. Govind dhar Dwivedi # विचार

#waiting

# विचार #waiting

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Dr. Govind dhar Dwivedi

#शादी
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Dr. Govind dhar Dwivedi

#SUPERDAD #superdadरचनाकार-जी डी द्विवेदी

#SUPERDAD #superdadरचनाकार-जी डी द्विवेदी

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Dr. Govind dhar Dwivedi

पर्यावरण    दिन प्रतिदिन उद्योग कंपनियां यातायात के साधन बढ़ते जा रहे हैं। जिससे निकलने वाले धुएं, कचड़े हमारे  के लिए एक जटिल समस्या बन चुके हैं। मेरे मतानुसार हम सब मिलकर कुछ छोटे छोटे कदम एक साथ उठाकर   के  संरक्षण कर सकते हैं। १-नजदीकी स्थानों पर जाने के लिए साइकिल या पैदल का उपयोग करें। २-अपने घर के अगल-बगल साफ सफाई रखें।३- इधर-उधर कूड़े ना डालें।४ पॉलीथिन का प्रयोग कदापि ना करें। ५-पुरानी गाड़ी जो धुआं युक्त हो वह बिल्कुल ना चलाएं।६ अपने-अपने रिक्त पड़े जमीनों में ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं। ७-प्रत्येक सड़क के किनारे पेड़ पौधे होने चाहिए जहां पर सड़कें पतली हैं उन स्थानों पर छोटे-छोटे पौधे होने चाहिए। इससे हमारा  कुछ हद तक पर्यावरण स्वच्छ हो सकता है ।

©Govind dhar Dwivedi पर्यावरण संरक्षण पर विचार- जी डी द्विवेदी

#EnvironmentDay2021

पर्यावरण संरक्षण पर विचार- जी डी द्विवेदी #EnvironmentDay2021

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Dr. Govind dhar Dwivedi

#MessageOfTheDay    हे ईश्वर हम आप से यही प्रार्थना करते हैं की हम सो कर उठे और जब तक रात में  सो ना जाए तब तक मेरे मन से बाणी से और कर्म से किसी को दुख ना पहुंचे मैं सदैव सत्य कर्म करता रहूं मुझ में आपके कृपा से सत्यता मानवता एवं पवित्रता समाहित रहे।

©Govind dhar Dwivedi नित प्रार्थना।। विचार जी डी द्विवेदी


#Messageoftheday

नित प्रार्थना।। विचार जी डी द्विवेदी #Messageoftheday

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Dr. Govind dhar Dwivedi

My Bicycle       पांचवी तक चपरासी लेकर आता जाता था। छठवीं से आठवीं तक मैं अपना कदम बढ़ाता था।। एक दिन बोला हे मैया चलते चलते हम थक जाते हैं। सात किलोमीटर्स आना जाना दर्द बहुत दे जाते हैं।। इकलौता होने के कारण मैया मुझ पर स्नेह करती थीं करती हैं। मेरा तिल भर दुख दर्द पीड़ा बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं।। बनिया को बुलवाकर मैया गेहूं को बेच दिया। 24 सौ का नई साइकिल मुझे खरीद एक दिया।। मां की ली हुई साइकिल नहीं वह मेरी जान थी। अंतरात्मा में खुश थे सभी बच्चों में बन गई पहचान थी।। कुछ दिन बीते ही थे तभी घर में मेरे चोरी हो गई। सभी वस्तुओं के साथ प्राणों से प्यारी साइकिल खो गई।। इंटर तक कॉलेज व कोचिंग पैदल आते जाते थे। अपने पहली साइकिल के बारे में सोच कर बहुत उदास हो जाते थे।। नोजोटो पर मैंने पहली साइकिल के बारे में लिखा सत्य कहानी है। मानव जीवन होता है संघर्ष मय शायद हर जीव की अपनी अपनी अलग कहानी है।।

©Govind dhar Dwivedi लेखक-जी डी द्विवेदी

#WorldBicycleDay2021

लेखक-जी डी द्विवेदी #WorldBicycleDay2021

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Dr. Govind dhar Dwivedi

कुछ दर्द हमारे भी हैं, कुछ दर्द आप के भी हैं। मेरा कोई हमदर्द नहीं, अनेकों हमदर्द आप के हैं।। कुछ भूल हमारी है, कुछ भूल आप के हैं। गुनाहगार हमें बना दिए, यह सलूक आप के हैं।। मानव प्रेम धर्म है मेरा, यही इंसानियत आपके हैं। आप हमें गलत समझ बैठे, यही खासियत आप के हैं।। पवित्रता मुझ में भी समाहित है, बहुत अच्छे संस्कार आप के हैं। सरेआम बदनाम कर दिये, यह परोपकार आप के हैं।।

©Govind dhar Dwivedi एक पीड़ा । लेखक- जी डी द्विवेदी

एक पीड़ा । लेखक- जी डी द्विवेदी

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Dr. Govind dhar Dwivedi

कोई कैसे किसी को समझाता,ए दिखा दो मुझे। हम कैसे उनको समझाएं, कोई बता दो मुझे।। किसी की एहसान जीवन भर, भूल पाते नही । कैसे उनकी गलतफहमी दूर करें, मुझे आते नहीं।। वह थोड़ा सा झुके मेरे लिए ,यह उनकी अच्छाई है। हम सदैव नमन वंदन करते रहे, यह भी एक सच्चाई है।।

©Govind dhar Dwivedi ग़लत -सन्देह! लेखक- जी डी द्विवेदी

ग़लत -सन्देह! लेखक- जी डी द्विवेदी

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Dr. Govind dhar Dwivedi

किसी को शाम भाती है किसी को श्याम भाता है। मेरे दिल में हर शाम को याद श्याम की आता है।।              शाम हुई पर श्याम ना आये, श्याम बिना मोहि शाम ना भाये। प्यासी आंखें श्याम को ढूंढें, शाम को मेरे श्याम दिख जायें।। व्याकुल मन हर शाम से पूछे,जाकर कहां हम श्याम को पायें। शाम ने श्याम का ना कुछ राज बताया,श्याम की याद में दिल तड़प जाये।। शाम ने श्याम के रंग में रंग कर,अपने आप को श्याम बताये। मेरी जुबा उस शाम से बोली, श्याम नहीं तू शाम कहाये।। श्याम वियोग में मेरी नैना, यूं ही निरंतर आंसू बहाये।हर शाम को मुझको श्याम रुलाये लगता है मुझको श्याम भुलाए।।

©Govind dhar Dwivedi रचनकार-जी डी द्विवेदी

रचनकार-जी डी द्विवेदी

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Dr. Govind dhar Dwivedi

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