सोचा था कि गुलशने इश्क़ से रौशन होगी शमा अपनी जब मोहब्बत हुई तो पता चला कि ये जिंदगानी ही कुछ और थी। कुछ टूट कर बिखरा हुआ था रास्तों पर जब समेटने गए तो पता चला निशानी ही अपनी थी।।
"This poetic verse conveys a contrast between expectations and reality in the context of love and life.