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nitinmehta3922
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Nitin Mehta"मौलिक"

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Nitin Mehta"मौलिक"

जो डगर उसके दर को जाती है
उस पे कैसी महक ये आती है

दिल पे गिरती है एक बिजली सी
मन ही मन जब वो मुस्कराती है

तब मिरा दिल बहुत तड़पता है
जब वो मुझको नहीं सताती है

मेरे मिसरों को इक बहर देकर
वो मुकम्मल ग़ज़ल बनाती है

लाख तनकीद कर लूँ मैं लेकिन
मेरे घर को वो घर बनाती है
 #NojotoQuote

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Nitin Mehta"मौलिक"

ग़म भुलाने का हुनर हम यूँ सिखाते हैं
जाम हाथों में लिए शेर सुनाते हैं

लोग भी कैसे सितम करते हैं दुनिया में
ज़ख्म भी देते हैं मरहम भी लगाते हैं

वस्ल की शब से हमे रब्त नहीं कोई
हम तो अब हिज्र का भी जश्न मनाते हैं

चाँद को देख के इतना तो समझ ले तू
लोग हर शक़्स पे इक दाग़ लगाते हैं

आखिरी शेर में थोड़ी सी कमी रख कर
हम ग़ज़ल को बुरी नज़रों से बचाते हैं

*वस्ल- मिल्न, *रब्त-लगाव, *हिज्र- जुदाई #NojotoQuote

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Nitin Mehta"मौलिक"

दिल से जो उनकी हम सताइश करने लगे
रो रो कर आँखों से वो बारिश करने लगे

वो कलंदर भी कोई शाहों से कम नहीं
अपनी गर्दिश में भी जो बख़्शिश करने लगे

वो तो दिल देना चाहती थी अपना हमे
हम तो बस जिस्म की ही ख़्वाहिश करने लगे

कुछ तो हम भी मनाने को अब तैयार थे
कुछ वो भी मानने की कोशिश करने लगे

आँखे तो खूब कर चुकी हाले दिल बयां
काश अब लब भी थोड़ी जुम्बिश करने लगे

*सताइश- तारीफ़ *गर्दिश- बुरा वक़्त 
*जुम्बिश- हिलना डुलना #NojotoQuote

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Nitin Mehta"मौलिक"

अब छोड़कर तुझको भला हम जाए तो जाए कहाँ
तू ही बता दे वो जगह जिसपे न हो तेरा निशाँ

कोई खुदा सा दिखता है कोई खुदा ही होता है
इंसानो की इस दुनिया में सचमुच में इंसा है कहाँ

ये किस जगह हम आ गए ये किसके मुँह हम लग रहे
कोई यहाँ है बेज़बाँ कोई यहाँ है बदज़बाँ

मग़रूर बैठे हम यहाँ मग़रूर बैठे तुम वहाँ
क्या तुम सुकूँ में हो वहाँ क्या हम सुकूँ में हैं यहाँ

तेरी भी ऐ 'मौलिक' यहाँ किस किस से है नज़दीकियां
पर दूरियाँ मिटती नहीं जो है खुदी के दरमियाँ
 #NojotoQuote

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Nitin Mehta"मौलिक"

तेरी चाहत में हम भी क्या से क्या हो गए
कि खुद अपने ही आप से अब जुदा हो गए

तेरी आँखों में हैं हम या हैं मैख़ानें में
जो अब रिन्दों में ही हम मुब्तिला हो गए

वो थी बेपैरहन तो आँखें मूँदे रहे
यूँ उसके जिस्म की हम इक क़बा हो गए

हमे भी आती है कुछ तो अदाकारी अब
वफ़ा करते हुए ही बेवफ़ा हो गए

हमारे इश्क़ की है बस यही दास्तां
खफ़ा वो हो गयी औ हम फ़ना हो गए

* मुब्तिला- शामिल * बेपैरहन- बिना कपड़ो के 
* क़बा- पौशाक

                      #NojotoQuote

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Nitin Mehta"मौलिक"

अब मुझे जो मिल गया आराम है
पास मेरे शौक़ का जो काम है

ये दिखावे का ज़माना है यहाँ
ख़ास वो है जो बहुत ही आम है

इसलिए शायद वो हँसता ही नहीं
जो रुलाने में मुझे नाकाम है

देख लो बदनाम होने का असर
हर ज़बां पे बस मिरा ही नाम है

नींद तो अब आ न पाएगी मुझे
साथ तेरे जो गुज़ारी शाम है #NojotoQuote

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Nitin Mehta"मौलिक"

खुद के सिवा सब पे भरोसा करते हैं 
अपना वजूद यूँ भी मिटाया करते हैं

जो है हमारे दिल के बेहद मुत्तसिल
वो ही हमारा दिल दुखाया करते हैं

कल को बहुत बेहतर बनाना है हमे
सो आज अपना हम बिगाड़ा करते हैं

वो घर बुला ले हम इसी उम्मीद में
उसकी गली में रोज़ जाया करते हैं

अब तो खुदाओं को बचाने के लिए
हम लोग इंसानों को मारा करते हैं

*मुत्तसिल- पास

      
          
         









 #NojotoQuote

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Nitin Mehta"मौलिक"

रूठ बैठा है वो तो इक दिन मना लूँगा
यार ! सर ही तो झुकाना है झुका लूँगा

तुझको किससे दिल लगाना है ये तू जाने
मुझको तो तुझसे लगाना है लगा लूँगा

अपने हाथों के हुनर पर है यकीं मुझको
लाख खोटा हो मग़र सिक्का चला लूँगा

इतनी बेबाक़ी से मुझको देख मत वरना
मैं तेरी आँखों से हो कर दिल चुरा लूँगा

हर दफ़ा खुद को मैं औरो सा बनाता हूँ
जाने किस दिन खुद को मैं 'मौलिक' बना लूँगा #NojotoQuote

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Nitin Mehta"मौलिक"

ये और बात मैं उसको चाहता नहीं था
हालांकि शख़्स वो इतना भी बुरा नहीं था

इल्ज़ाम बेवफ़ाई का कैसे लगाता उसपे
जब खुद मुझे वफ़ा का मतलब पता नहीं था

बाज़ारे इश्क़ में मंदी का असर तो देखो
कीमत तो कम थी मेरी फिर भी बिका नहीं था

पेशानी पे मुझे इक बोसा दिया था उसने
पर इससे तो मेरा दिल कुछ भी भरा नहीं था

कुछ और दिन ठहर जाता तेरे शहर में मैं
पर तेरे शहर में कोई मयकदा नहीं था #NojotoQuote

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Nitin Mehta"मौलिक"

सफ़र ज़िन्दगी का यूँ बेजाँ न कर
मेरी मुश्किलों को तू आसाँ न कर

न जाने किसे क्या दिखा दे ये वक़्त
सो तू मुझसे कोई भी पैमाँ न कर

जो हक़ दे रहा है तो हक़ जैसे दे
ख़ुदा के लिए मुझपे एहसाँ न कर

खफ़ा मुझसे है तो मुझे छोड़ जा
मग़र शहर भर को यूँ वीराँ न कर

फ़क़त पास रखने से हो जाए काम
तो शमशीर फिर अपनी उरियाँ न कर

* पैमाँ - वादा 
* उरियाँ - म्यान से बाहर निकलना #NojotoQuote

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