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mdjamil9174
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Jamil Khan

[गीतकार, साहित्यकार]

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Jamil Khan

किसी को तुम उतनी ही इज़्ज़त दो जितना वो इज़्ज़त के लाएक़ हो, हद से ज़्यादा इज़्ज़त देने से तुम्हारी इज़्ज़त चली जाएगी।

[शुभ रात्रि]

©Jamil Khan #Chess
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Jamil Khan

गीत- वो बिछड़े यार को दे दो

मेरी दौलत को भी ले लो
मेरी जन्नत को भी ले लो
है बस अर्ज़ तुमसे इतनी सी
वो बिछड़े यार को दे दो।
मेरी दौलत को भी ले लो
मेरी जन्नत को भी ले लो।..... 

ये उसके बिन जहाँ सारा
सुना-सुना ही लगता है
बहारें आने के बा'द भी
ये बर्ग पुराना लगता है। 
मेरी मोहलत को भी ले लो
मेरी फ़ुर्सत को भी ले लो
है बस अर्ज़ तुमसे इतनी सी
वो बिछड़े यार को दे दो। 
मेरी दौलत को भी ले लो
मेरी जन्नत को भी ले लो।..... 

कहाँ भटकूँ, कहाँ जाऊँ? 
कहाँ है अपना ठिकाना 
मोहब्बत करके बेकल है
तेरे 'आलम में दीवाना। 
मेरी क़िस्मत को भी ले लो
मेरी शोहरत को भी ले लो। 
है बस अर्ज़ तुमसे इतनी सी
वो बिछड़े यार को दे दो। 
मेरी दौलत को भी ले लो
मेरी जन्नत को भी ले लो।..... 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित गीत
मो- 9065328411
पिन कोड- 847401

©Jamil Khan

11 Love

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Jamil Khan

Song - Wo bichhde yaar ko de do... 

Meri doulat ko bhi le lo
Meri jannat ko bhi le lo
Hai bas arz tumse se itni si
Wo bichhde yaar ko de do. 
Meri doulat ko bhi le lo
Meri jannat ko bhi le lo...... 

Ye uske bin jahan sara
Suna-suna hi lagta hai
Baharein aane ke baad bhi
Ye barg purana lagta hai. 
Meri mohlat ko bhi le lo 
Meri fursat ko bhi le lo. 
Hai bas arz tumse se itni si
Wo bichhde yaar ko de do. 
Meri doulat ko bhi le lo
Meri jannat ko bhi le lo..... 

Kahan bhatkun kahan jaun 
Kahan hai apna thikana
Mohabbat karke bekal hai
There aalam mein diwana.
Meri qismat ko bhi le lo
Meri shohrat ko bhi le lo
Hai bas arz tumse itni si
Wo bichhde yaar ko de do. 
Meri doulat ko bhi le lo
Meri jannat ko bhi le lo..... 

Writer- Zamil Sarosh

©Jamil Khan Geet

Geet #Poetry

16 Love

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Jamil Khan

गीत- 'फ़रेबों का घर है'

तुम्हारी आँखें तो फ़रेबों का घर हैं
तू रहती कहीं और
रहती नज़र है।

तुम्हारी आँखें तो
फ़रेबों का घर हैं। 

है पल में बसाती तू पल में गिराती
इनमें बसने वालों को तू कितना सताती
ये दिन के उजालों का
काला ज़हर हैं। 

तुम्हारी आँखें तो
फ़रेबों का घर हैं। 

अपनी अदाओं से सब को लुभाती
मोहब्बत के घर पे फिर बिजली गिराती
ख़ुदा का नहीं, हाँ
ये तेरा क़हर है। 

तुम्हारी आँखें तो
फ़रेबों का घर हैं। 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित गीत
मो-  9065328412

©Jamil Khan
  #UskiAankhein
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Jamil Khan

कविता- बाग़ बग़िये अमराए

बाग़ बग़िये अमराए
दिन ख़ुशी के फिर आए 

खेत में फ़सलें लहराईं
पीत की चादर है छाई । 
डाल से पक्षी मुस्काए 
दिन ख़ुशी के फिर आए । 

चहुँ-दिशा में जोश उमंग
पेड़ों में छाया है रंग ।
फूल पे भ्रमर मंडराए
दिन ख़ुशी के फिर आए । 

चली हवा मतवाली सी
भाए किरणिया लाली सी । 
ये दृश्य सभी को हर्षाए 
दिन ख़ुशी के फिर आए । 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित कविता
मो- 9065328412
पिन कोड- 847401

©Jamil Khan
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Jamil Khan

विद्वान वही होता है जो दूसरों को विद्वान समझता है
मूर्ख तो वही होता है जो दूसरों  को  मूर्ख  समझता है।

~ज़मील खान

©Jamil Khan #Light

8 Love

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Jamil Khan

गीत- मेरे वालिद-ए-मोहतरम

ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम
ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम
जिसने हमको तलक़ीन दीं
हम पर रहा है उनका करम। 

ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम
ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। 

जिस ने दिखाईं अच्छी राह
हैं मेरे वालिद अज़ीमुश्शान
पढा लिखा कर तो वह हमें 
बनाया इक़ अज़ीम इन्सान
शामो - सहर मशक़्क़त कीं
कभी नहीं कीं खुद पे शरम। 

ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम
ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। 

वालिदा ने ही हम को जना
वालिद का साया हमपे रहा
वालिदा हमको दूध पिलायी
वालिद का पयार हमपे रहा
कैसे भूल जाऊँ वालिद को
ये कभी नहीं मैं पालूँ भरम। 

ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम
ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। 

जब मैं चलने को माजूर था
वह हमको चलना सिखाया
जब बोलना नहीं आता था
तो बोलना भी वह सिखाया
वालिद हमेशा सलामत रहे
खुदा वालिद पे करना करम। 

ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम
ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित अप्रकाशित गीत
मो- 9065328412
पिन कोड- 847401

©Jamil Khan पिताजी पर गीत

#Trees

पिताजी पर गीत #Trees

8 Love

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Jamil Khan

बिल्ली पा ली सत्ता

मेरी बिल्ली दिल्ली में जा कर
पा ली है सत्ता
अब किसी की परवाह नहीं है
बता रही धत्ता। 

मेरी बिल्ली दिल्ली में जा कर
पा ली है सत्ता। 

बिचारे जानवर सब भौंक रहे
सुन नहीं रही है
चिकन बिरयानी सब खा कर
वह भूल रही है
ये जनता एक ना एक दिन तो
तोड़ देगी पत्ता। 

मेरी बिल्ली दिल्ली में जा कर
पा ली है सत्ता। 

झोपड़ी में सोने वाली बिल्ली
एसी में सो रही
अपनी ग़रीबी को मिटाकर वो
अमीर बता रही
निकम्मी बिल्ली तुम कब तक
पाओगी भत्ता। 

मेरी बिल्ली दिल्ली में जा कर
पा ली है सत्ता। 

जब से उसको मिली है सत्ता
खा रही कुकुरमुत्ता
महंगी महंगी कार में बैठकर
जा रही कलकत्ता
बिल्ली के अच्छे दिन आ गए
देख रहा है कुत्ता। 

मेरी बिल्ली दिल्ली में जा कर
पा ली है सत्ता। 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
मो- 9065328412
पिन कोड- 847401

©Jamil Khan गीत

#Trees

गीत #Trees

9 Love

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Jamil Khan

गीत-  मूर्ख गधे की शादी

जब मूर्ख गधे की हुई शादी
घोड़ा चले बारात
खाने में तो मटन पुलाव नहीं
मिला दाल भात। 

जब मूर्ख गधे की हुई शादी
घोड़ा चले बारात। 

शेर कुत्ता लोमड़ी मिलकर
बज़ा रहे शहनाई
जंगल के सरपंच की आज
आ रही है लुगाई
जंगल के साथी में फैल गई
दो गधे की बात। 

जब मूर्ख गधे की हुई शादी
घोड़ा चले बारात। 

ससुर जी ने दिया दहेज में
बहुत महंगी कार
पेट्रोल की कीमत सुनकर
हो गए वो बीमार
कार चलाने की कोशिश की
तो टूट गयी लात। 

जब मूर्ख गधे की हुई शादी
घोड़ा चले बारात। 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित गीत
मो- 9065328412

©Jamil Khan हास्य-गीत

#WorldAsteroidDay

हास्य-गीत #WorldAsteroidDay

8 Love

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Jamil Khan

चोर चोर मौसेरे भाई.... 

चोर - चोर मौसेरे भाई
कुर्सी पाकर झूठी क़समें खायीं
लल्लोचप्पो में फंसाके
उनको दया थोड़ी भी ना आयी। 

चोर - चोर मौसेरे भाई
कुर्सी पाकर झूठी क़समें खायीं। 

भाइयों बहनों वोट दो
आप जनहितैषी सरकार लाओ
एक मौका हमको देके
ग़रीबी को आप बार बार भगाओ
मेरी सरकार आकर तो
गली गली में ख़ूब इमारत बनायी। 

चोर - चोर मौसेरे भाई
कुर्सी पाकर झूठी क़समें खायीं। 

सत्तर साल में हुआ नहीं
अब मेरी सरकार हर काम करेगी
देश को विश्वगुरू बनाकर
देश की बेटी दुनिया में नाम करेगी
सब तो बेक़ार की बात थी
किसी ने देश से न बेकारी मिटायी। 

चोर - चोर मौसेरे भाई
कुर्सी पाकर झूठी क़समें खायीं। 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित रचना
मो- 9065328412
पिन कोड - 847401

©Jamil Khan गीत

#OneSeason

गीत #OneSeason

11 Love

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