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nhibtaunga1360
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Gulam Fakhar

मेरी हस्ती को तेरी हस्ती में खो जाना है क्या खबर मुझको किसी दिन तेरा हो जाना है

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Gulam Fakhar

मै मुन्तज़िर हु के ए काश कभी मेरी तरफ
वो हँस के देख ले एक बार कभी मेरी तरफ

मै उनकी बज़्म में जाता हूं और ये सोचता हूं
ना देखा आज तो कल देख लेंगे मेरी तरफ

पलट गया वो इसलिए मै जंग हार गया
मै जीत जाता गर वो शख्श होता मेरी तरफ

कफ़स से जिस परिंदे को रिहाई दी थी कभी
उसने देखा ही नही मुड के कभी मेरी तरफ

मै अर्श वाले को सुना ने लगा हाल ए दिल
आसमाँ देख कर रोने लगा है मेरी तरफ

है उसके और भी कितनी ही जाँ निशाने पर
मगर सय्याद ने खींचा है तीर मेरी तरफ

~ गुलाम फख़र







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©Gulam Fakhar

7 Love

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Gulam Fakhar

वक्त-बे-वक्त हम तुम्हे याद किए जाते है
अपनी आंखों को नए ख़्वाब दिए जाते है

कौन आता है भला ज़िन्दगी बर्बाद करने
हम खुद ही ज़िंदगी को आग दिए जाते है

मेरी शहजादी एक तुझको हँसाने के लिए
हम अपने आप को बर्बाद किए जाते है

ये इश्क़ खेल नही इतना भी आसाँ जाना
इस खेल में तो गिरेबाँ चाक किए जाते है

जिनके माँ बाप नही होते ऐसे बच्चों के
शौक मर जाते है या मार दिए जाते है

मुझे गैरो को ढूंढने की जरूरत क्या है
मुझको अपने ही मेरे ज़ख्म दिए जाते है

जो हिफ़्ज़ करते है एक उम्र में मोहब्बत को
उन्हें मोहब्बत के अलम सौप दिए जाते है

~ गुलाम फख़र









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©Gulam Fakhar #Darknight
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Gulam Fakhar

उसके कूचे मेरा आखरी दिन यू गुज़रे
जैसे मक़तल में हसीनो की जवानी गुज़रे

उसके पहलू मेरी ज़िंदगी यू गुज़रती गयी
किसी बीमार के होठों से जैसे दम गुज़रे

मेरी हसरत है मेरे साथ वो यू ही चलता रहे
साथ में जिसके कई मौसम और ज़माने गुज़रे

मै गुज़र जाऊंगा दरिया के उस किनारे तक
उसके दामन की हवा गर मेरे करीब से गुज़रे

उसकी ताज़ीम में मै उठ के कब्र में बैठु
गर किसी दिन वो मेरी कब्र-गाह से गुज़रे

~ गुलाम फख़र

©Gulam Fakhar #Flower

10 Love

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Gulam Fakhar

दीवाने किस कदर खुद को मिटाते जा रहे है
इश्क़ में एक नही हर शेय लुटाते जा रहे है

हवाए खोल गयी मेरे घर का दरवाजा
तेरी यादों के साये घर में आते जा रहे है

सिलसिले इश्क़ अब खत्म होने वाले है
दास्ताँ हिज़्र की मुझेको सुनाते जा रहे है

बिठा के पास मुझे ज़ख्म अता कर रहे है
और मेरे ज़ख्म पर मरहम लगाते जा रहे है

वो बिना बात किये मुझसे रह ना पाती थी
अब ये आलम है मेरे कॉल काटे जा रहे है

~ गुलाम फख़र








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©Gulam Fakhar #Door

5 Love

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Gulam Fakhar

वो अपने अक़्स को मुझमे तलाश करता है
दिखा के आंख मुझे मुझसे प्यार करता है

बिगड़ न जाऊ मै बस इसलिए जताता नही
सुना है माँ से वो मुझे प्यार बहोत करता है

ग़मो की बारिशें हो या हो गर्दिश ए वक्त की धूप 
दरख़्त बन के वो हर दम ही साया करता है

वो इस तरह से भी मेरा ख्याल रखता है
बना के दोस्त मुझे मुझसे बात करता है

पीछे रेह जाऊँ ना दुनिया की भीड़ में मै कही
सोच कर ये वो मेरी फिक्र बहोत करता है

पाल कर नाज़ से अठाहरा बरस पलको पर
अपनी औलाद को वो खुद से जुदा करता है

कलेजा चाहिए अपना कलेजा देने को
सिर्फ एक बाप ही बेटी को विदा करता है

है सुना करता है पूरी वो खुदा सबकी दुआ
पर दुआ मेरी मुक़म्मल वो शख्श करता है

~ गुलाम फख़र







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©Gulam Fakhar #LoveYouDad
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Gulam Fakhar

तू मेरे अक़्स को तस्वीर में संभल कर देख
अपनी तस्वीर को तस्वीर से निकल, कर देख

नज़र लग जाए ना तुझको तेरी ही आंखों की
इसलिए कहता हूं जरा आईना संभल कर देख

मोज़िज़े उसकी निगाहों में नज़र आएंगे
देखने वाले उसे ज़िस्म से उभर, कर देख

तू जो कहता है मेरे इश्क़ को झूठा जाना
कभी इस झूठ पर भी ऐतबार कर, कर देख

कितने रिश्तों को दौलत के पीछे छोड़ आया
मंज़िले पाने वाले एक बार मुड़ कर देख

किस तरह जीते है मरते है गरीबो के बच्चे
मेरे भगवन तू अपनी दुनिया मे उतर, कर देख

~ गुलाम फख़र

©Gulam Fakhar #eveningtea
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Gulam Fakhar

क़ज़ा को ढूंढता है तो कोई हयात ढूंढता है
हर एक शख्श किसी न किसी को ढूंढता है

इतना उकता गया है वो गम ए ज़िन्दगी से
अपने बचपन को हवाओ की तरह ढूंढता है

उसकी तन्हाई का अंदाज़ा लगाओ इससे
बात करने के लिए वो अब आईना ढूंढता है

वो एक शख्श के, थे जिसकी कैद में जुगनु
तलाश ए रोशनी में वो अब चराग़ ढूंढता है

बारिशो में भी बड़ा अजीब हाल होता है
कोई पनाह तो कोई आसमान ढूंढता है

देख कर बारिशें हसने लगी है शहज़ादी
और गरीब अपने ही घर मे जगह ढूंढता है

कत्ल उसने किया है एक ही नज़र में "गुलाम"
अब वो पागल है जो खंजर पे निशाँ ढूंढता है

~ गुलाम फखर

©Gulam Fakhar #Light

3 Love

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Gulam Fakhar

क्या कहे किस तरह मनाई ईद
तेरी यादों के सहारे  मनाई ईद

किसी पंछी को पिंजरे से रिहा करके
कभी इस तरह से भी मैने मनाई ईद

तुम्हे तो याद होगा, वो एक वक्त जाना
की तुम्हे देख देख कर मनाई ईद

सबने देखा था चाँद ईद वाला
और मैने, तुम्हे देख कर मनाई ईद

आखरी बार तेरे साथ मे मनाई थी
न तेरे बाद कभी मैने फिर मनाई ईद

मुद्दतो बाद तुम्हे आज फिर से देखा है
मुद्दतो बाद मैने आज फिर मनाई ईद

~ गुलाम फख़र

©Gulam Fakhar #Rose

6 Love

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Gulam Fakhar

हम तेरे प्यार में जब हद से गुज़र जाएंगे
किसी मौसम की तरह लोग बदल जाएंगे

गर आ गया जो मुझे ख़्वाब तेरी हिज़रत का
खुश्क आंखों में ही आँसू मेरे बिखर जाएंगे

हर मुसाफिर तेरी ही ज़ुस्तज़ू करने लगेगा
काफिले अगर तेरी बस्ती में ठहर जाएंगे

तेरे लहज़े मे है जादू बस तेरे कहने पर
एक दिन ही नही मौसम भी बदल जाएंगे

हो मुनासिब तो मुझे पास अपने  बुलवाओ
हो कर तुमसे जुदा तन्हाई में मर जाएंगे

आईने में मै खुद को देख कर ये कहता हूं
ऐसा लगता है के ये दिन यू ही गुज़र जाएंगे

~ गुलाम फखर

©Gulam Fakhar #dearzindgi
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Gulam Fakhar

उसे मालूम है मै उसको छोड़ सकता नही
सो उंगलियो पे सुब्हो शाम नचाता है मुझे

किसी परिंदे को मै कैद नही रख सकता
खुदा को हश्र में मुह भी तो दिखाना है मुझे

~ गुलाम फखर

©Gulam Fakhar #flowers

7 Love

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