Nojoto: Largest Storytelling Platform
nikki5371667839050
  • 178Stories
  • 157Followers
  • 4.1KLove
    23.1KViews

कलम की दुनिया

हिंदुस्तानी

  • Popular
  • Latest
  • Video
69cf6df12075bc33032fa3d3ebda7fae

कलम की दुनिया

मुझे घर बहुत याद आता है
जब सर्द मौसम में सिमा पर पहरा देने जाता हूँ
तो माँ की ममता बहुत सताता है
पापा का सख्त रवैया बहुत याद आता है
उनका गुस्से से कहना
ठंड बहुत ज्यादा है, घर में ही पडे रहो
उनका वो गुस्से में छिपा फिक्र बहुत रूलाता है
घर बहुत याद आता है

रात में नींद नहीं आता था
तो माँ की गोद में सो जाता था
मन नहीं लगता कभी
तो बहन से झगड़ा करता था
दोस्तों के साथ घुमना बहुत याद आता है
घर बहुत याद आता है

जब चोट लगती है कभी
तो पापा का याद बहुत सताता है
चोरी पकड़ी जाती थी
तो उनका डांटना याद आता है
चोट लगता था मुझे
तो उनकी आंखों का आंसू 
आज बहुत रूलाता है
मुझे घर बहुत याद आता है

©कलम की दुनिया
  #सैनिककेदुख
69cf6df12075bc33032fa3d3ebda7fae

कलम की दुनिया

फहर रहा तिरंगा उस दिन
लाशों के बीच
न जाने कितने दिन रातें गिन
बड़े ही शान से
बड़े ही अभिमान से


इन्द्र देव ने स्वागत किया
इन्द्रधनुष के बान से
बाकी सारे देवताएं लगा रहे थे जयकारा
हजारों हजारों वीरों के नाम से
आजाद देश का तिरंगा लहर रहा था उस दिन
पुरे विश्व पटल पर
बड़े अभिमान से

कितना अभिमानी था वो तिरंगा
जो फहर रहा था लाशों के बीच
बड़े ही आराम से


क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी
जहाँ एक बच्चा भी रहता है तैयार
करने को न्योछावर अपनी जान
बस इस तिरंगे के नाम से

क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी
जहाँ 19 साल के बच्चे ने अपना घर परिवार, यौवन
सारा सुख त्यागकर
फांसी के फंदे को चुमा था
बस इस तिरंगे के नाम से
तो बताओ क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी

क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी
जहाँ माँ अपने बच्चे को खिलौने की जगह
तलवार से खेलना सिखाती थी
लोरी की जगह
देशभक्ति गीत सुनाती थी
जान न्योछावर करने को सिखाती थी
बस इस तिरंगे के नाम से
तो बताओ क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी

आकाश में ऊंचा फहर रहा वो तिरंगा अभिमानी
आजादी को बताता है
कितने बलिदान हुए, कितनों के खुन से सिंचा ये तिरंगा अभिमानी
वीरों की गाथा को गाता है
विश्वपटल पर फहर रहा ये तिरंगा अभिमानी
विकासशील भारत को विकसित होता बताता है

हाँ ये तिरंगा अभिमानी
हमेशा अभिमानी ही रहेगा
इसके अभिमान के लिए
हर हिंदुस्तानी अपना यौवन न्योछावर करेगा

©कलम की दुनिया
  #अभिमानी_तिरंगा
69cf6df12075bc33032fa3d3ebda7fae

कलम की दुनिया

देश मेरा प्रगतिशील
हो रहा विकास
लेकिन अंदर ही अदंर
हो रहा विनाश
मिट रहा इस पर से सबका विश्वास

ये देश वीर जवानों का
न जाने कब हुआ वहसी- दरिंदो का

रोज यहाँ किसी परिवार की अस्मिता लुटी जाती है
रोज यहाँ किसी लडकी की, औरत की आत्मा जलाई जाती है
रोज यहाँ भारत माँ की अस्मिता तार तार की जाती है


रोज वृद्धि हो रहा ब्लात्कार के मामलों में
आखिर इनपे लग रहा रोक क्यों नहीं? 
विश्व में प्रचलित हमारा लोकतंत्र, कानून
तो
आखिर इन ब्लात्कारीयों को जड से खत्म कर पा रहा क्यों नहीं? 


इस देश की वीर गाथाओं को
धुमिल ये कर रहे
होना होगा जागरूक
दिन पर दिन ये सभ्यता कुचल रहे
🇮🇳🇮🇳🇮🇳

©कलम की दुनिया
  #बलात्कार
69cf6df12075bc33032fa3d3ebda7fae

कलम की दुनिया

है किसकी ये जिम्मेदारी
कौन मुझे साफ रखेगा
बोलो है किसकी ये जिम्मेदारी
कौन मेरा आंचल मैला न होने देगा
बोलो है किसकी ये जिम्मेदारी
कौन मेरे आंखों से आंसू न गिरने देगा
बोलो है किसकी ये जिम्मेदारी

मैं भारत जिसे तुम माँ कहते हो
वो तुमसे पुछ रही
बोलो
मेरा मान-सम्मान बढाने का
है किसकी ये जिम्मेदारी

ये जिम्मेदारी तुम बच्चों की है
जो खुद को भारतवासी कहते हो
लेकिन फिर आपस में मज़हब के नाम पर झगडकर
मुझे खून के आंसू रुलाते हो

ये जिम्मेदारी तुम बच्चों की है
जो खुद को भारतवासी कहते हो
लेकिन एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगा कर
मेरा आंचल मैला करते हो

©कलम की दुनिया
  #भारतकीजिम्मेदारी
69cf6df12075bc33032fa3d3ebda7fae

कलम की दुनिया

White मौन संवाद करता हूं 
बैठ तन्हा यूं अकेले
विस्मृत होती यादें भी ताजी हो जाती है 
यूं देख मुझे तन्हा अकेले 
हवाएं भी बातें करती है मुझसे 
कुछ खास नहीं 
बस कुछ अनकहे क़िस्से कहती हैं मुझसे 
सुनती है मेरी मौन संवाद 
कभी हंसती है तो 
कभी मेरे बहते आंसू पोंछ जाती है 
और जता जाती है 
ताउम्र रहना है बैठें मुझे तन्हा यूं अकेले

©कलम की दुनिया
  #sad_shayari
69cf6df12075bc33032fa3d3ebda7fae

कलम की दुनिया

खंड खंड मैं
फिर भी अखंड मैं

जन जन में मै
फिर भी एक मैं

हिन्दू मुसलमान मैं
सिख ईसाई मैं
फिर भी धर्म निरपेक्ष मैं

विकसित देशों के साथ कदम मिलाकर चलती मैं
स्वयं के साथ दूसरों का भरन-पोषण करती मैं
फिर भी विकासशील मैं

विश्व में लोकप्रिय मैं
विश्वास में लोकप्रिय मैं
हाँ भारत मैं

नदियों पर्वतों में
रेगिस्तान बर्फ में
पुकारी जाती मैं
हाँ, भारत मैं

©कलम की दुनिया
  #भारत
69cf6df12075bc33032fa3d3ebda7fae

कलम की दुनिया

भारत का अन्नदाता हूँ
विश्व का अन्नदाता बनने को तैयार हूँ
हाँ, मैं किसान हूँ

कडकती धुप अपने हिस्से में पाकर
तुम्हें शीतल छाया देने को तैयार हूँ
हाँ मैं किसान हूँ

चिलचिलाती धुप, कडकती बरसात, सिंकुडा देती ठंड
करती फसलों को बर्बाद हैं
फिर भी अलग-अलग मौसम में
उपजाता अलग-अलग फसल हूँ
प्रकृति के हाथों लाचार हू
हाँ, मैं किसान हूँ
बारिश के बुंदों के साथ
करता खेतों का श्रृंगार हूँ
हाँ, मैं किसान हूँ

भारत का अन्नदाता हूँ... 


मेरे भाग्य का मुझे पता नहीं
फिर भी 
मैं भारत का भाग्य विधाता हूँ
मैं भारत का अन्नदाता
विश्व का अन्नदाता बनने को तैयार हूँ
हाँ मैं किसान हूँ

©कलम की दुनिया
  #किसान
69cf6df12075bc33032fa3d3ebda7fae

कलम की दुनिया

बहुत किताबें पढ ली तुमने
कुरान और वेदें पढ ली तुमने
बोलो, 
क्या पढा है मुझे तुमने? 

मुझे जिसने लिखा 
उसकी जीवनी पढ ली तुमने
जिसने उसका साथ दिया
उसकी भी जीवनी पढ ली तुमने
मुझे पढने के लिए लिखा गया
बोलो
क्या पढा है मुझे तुमने? 

वकीलों ने पढा मुझे
पुलिसकर्मियों ने पढा मुझे
क्या उन्होंने  सदा सदुपयोग ही किया मुझे? 
बोलो 
क्या पढा है मुझे तुमने?

©कलम की दुनिया
  #संविधानकीआवाज
69cf6df12075bc33032fa3d3ebda7fae

कलम की दुनिया

मैं बस एक भाषा हूँ
तुम्हारी मिटती अभिलाषा हूँ 
मैं बस एक भाषा हूँ


तुम्हारी सभ्यता, संसकृति, संस्कार की
मैं एक मात्र परिभाषा हूँ
मैं बस एक भाषा हूँ
तुम्हारी मिटती अभिलाषा हूँ
मैं बस एक भाषा हूँ


संसार की हर भाषा की
मैं जन्मदाता हूँ
ज्ञान, विज्ञान और विद्वान की
मैं अकेली परिभाषा हूँ
मैं बस एक भाषण हूँ
तुम्हारी मिटती अभिलाषा हूँ
मैं बस एक भाषा हूँ



मिटते जा रहा मेरा अस्तित्व
कोई मुझे पढता नहीं
देश- विदेश में छाए मुझसे उत्पन्न भाषा
कोई मुझे पुछता नहीं
लेकिन
मैं एक मात्र वसुधैव कुटुंबकम की नारा हूँ
मैं बस एक भाषा हूँ
तुम्हारी मिटती अभिलाषा हूँ
मैं बस एक भाषा हूँ
मैं संस्कृत भाषा हूँ

©कलम की दुनिया
  #खोतीसंस्कृतभाषा
69cf6df12075bc33032fa3d3ebda7fae

कलम की दुनिया

Village Life कोयल की कू... गुम हो गया
कौआ का कांव कांव चिल्लाना बंद हो गया
उडते आजाद पक्षियों का चहचहाना बंद हो गया
आवारा कुत्तों का रात में चिल्लाना बंद हो गया
मेरा गाँव अब विकसीत हो गया


गिली-डंडा , पिट्टो ,कंचे खो गये
शोर मचाने पर पडने वाले तमाचे खो गये
ठंडी की धुप में माताओं के हाथ के कंटे खो गये
वो चार सखियों के चुगलियां खो गये
सारे गाँव अब विकास की राहों पर निकल गये

वो भरी जेठ दुपहरी में 
आम की चोरी
वो पुष में चन्ने की होरी
वो फागुआ में
बैर पर पडने वाला डंडा
वो चईत बईसाख में
महुआ के वजह से होने वाला फंडा
वो सावन के झूले
जो हम सब गये भुले
वो पेडों की छांव
वो मस्ती से भरा गाँव
वो तीज त्योहार
वो रंगों से भरी होली
सब फिका हो गया
मेरा गाँव अब विकसीत हो गया

अनपढ अब नहीं कोई
विद्वान यहाँ हर कोई
दो पहिया अब थक गया
चार पहिये के खातिर 
मेरा निम अब ढह गया
शारीरिक विकास अब बहुत हुआ
मानसिक विकास अब शुरू हुआ
बच्चों की मस्ती से भरी टोली
ग्रुप में देखाती अपनी रंगोली
बिमारी से दूर
स्वास्थ्य से दूर
तुलसी का काढा 
अदरक की चाय
न जाने कहाँ गुम हो गया
मेरा गाँव अब विकसीत हो गया

©कलम की दुनिया
  #गांव
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile