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khareumakant8750
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Khare Umakant

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Khare Umakant

"मिला    मुझे   मेरे     मालिक   से,   मुँह-माँगा   वरदान।
जन्मी    मेरे     घर-आँगन    में,   बिटिया    प्रतिभावान"॥
                                       (रचना- अशोक कुमार खरे)
          
कोई तो होगा  मेरे  लफ़्ज़ों, मेरे  अल्फ़ाज़ों  को  तबज्जो देने  वाला।
कोई  तो  होगा मेरे  ज़ज़्बाती  ख़्यालात-ए-दिल को  समझने  वाला।
वीरान नहीं है 'अशोक' अभी कायनात पढ़ने-समझने वालों से  ज़नाब,
कोई तो होगा मेरा संगदिल, मेरा अज़ीज़, अज़ीम,  अदीब  हमसफ़र,
इस जहां में मेरी आरज़ू,तकरीरों,ख़्वाहिशों को दिलोजां में बसाने वाला।

मिला    मुझे   मेरे    मालिक   से,  मुँह-माँगा  वरदान।
जन्मी    मेरे     घर-आँगन   में,  बिटिया  प्रतिभावान॥०१॥

प्रियदर्शिनि  कन्या  लगती  है,  सकल गुणों की खान।
सुना   है  किसलय   चिकने   होते,  होनहार-विरवान॥०२॥

शक्ति-स्वरूपा   अति    स्नेही,    जीवन  का अरमान।
बन  गई  तिलक शीश  का  मेरे,  है  वह  रमा  समान॥०३॥

श्रीराधा,   रुक्मिणी-सी  उसकी,  मनभावन   मुस्कान।
लोभी   के  धन  की भाँति  वह,  बसी  हृदय  में  आन॥०४॥

कब  बन  गई  हृदय  की धड़कन, वह  नन्हीं-सी जान।
चित्ताकर्षणि  मन-अनुरागिणि,  नहीं  किसी  को भान॥०५॥

कभी उदर-बल कभी घुटुरवन, चलती सुख  की खान।
कभी   ठुमक  पग   धरत  अँगनवा, मेरी जीवन-प्रान॥०६॥

रुनक-झुनक स्वर पायलिया के, जब-जब पड़ते कान।
तब-तब  आभासित  होता  ज्यों,  हो मुरली  की तान॥०७॥

बेटी   सँग  सुख  की  घड़ियों का,  कैसे करूँ बखान।
कब दिन  बीता  लगी यामिनी,  नहीं किसी को ध्यान॥०८॥

कन्या  श्रुतियाँ, शास्त्र, उपनिषद,  कन्या  सभी पुरान।
कन्या   अम्बर-वसुधा-सागर,   सविता   का   विज्ञान॥०९॥

कन्या  !  शक्ति  कन्या ! भक्ति, कन्या !  सबका ज्ञान।
कन्या      सिद्धि-बुद्धि    रूप,   हैं  कन्या  अन्तर्ज्ञान॥१०॥

ललित   गीत-संगीत  मधुर-स्वर, कन्या  कलानिधान।
कन्यारूपी    प्रभु  की   शक्ति,  सबका   स्वाभिमान॥११॥

शक्ति  स्वरूपा  कन्या  का, सब करो नित्य  गुणगान।
कन्या    राधा,   सीता,  कमला,  यही   मेरा अनुमान॥१२॥

प्यारे      मित्रो !    कन्या-धन,      सर्वोत्कृष्ट  संतान।
मान  "श्री"   का रूप  करो  सब, भक्ति  का रसपान॥१३॥

पार नहीं नारी-शक्ति का, उस पर करे त्रिलोक गुमान।
छोड़ो सुर-मुनि  उसका तो, ईश्वर भी करते गौरवगान॥१४॥

कन्यारूपी  प्रभु   की  शक्ति,  हम  सबका अभिमान।
कन्या  नहीं  तो   मिट  जायेगा, सबका  नाम  निशान॥१५॥

निजी   स्वार्थ-वश  करता  मानव  नारी  का अपमान।
ओढ़       दुःशाला   मानवता   का,  बन बैठा शैतान॥१६॥

बेटे    की   चाहत    का   भूँखा,   तूँ  कितना इंसान।
गर्भवास-रत    कन्या   मारे,   खबर   न  कानों-कान॥१७॥

मत  भ्रम में  रह    कर्म  से  तेरे,  है  दुनियाँ अन्जान।
पाप  छुपाये   कभी   छुपे  न, जाने   सकल  जहान॥१८॥

मानव      तेरी   करनी   सुनकर,  दानव  भी  हैरान।
करके     कन्या-भ्रूण     हत्या,   मैंटा   विधि-विधान॥१९॥

खग-मृग, असुर,  देव  सब   करते, नारी का सम्मान।
जाग   समय    रहते  तूँ   करले,  करनी  देव  समान॥२०॥

बेटी   नहीं  तो  अखिल   विश्व,   हो  जायेगा  वीरान।
करें  सुरक्षा  हम  बिटियों  की,  छेड़ें   मिल अभियान॥२१॥

सबसे    बड़ा   दान   इस जग   में,  होता  कन्यादान।
जब   कन्या  ही  नहीं  तो  फिर,  होगा कैसे शुभदान॥२२॥

प्रिय  बेटा  हम सबको होता, कुलदीपक-सा  भासित।
दीपशिखा-रश्मि   बन बेटी,  दो  कुल  करे  प्रकाशित॥२३॥

निज   स्वारथ-वश   तूँने  मानव, भुला दिया  भगवान।
बेटी  के  शुभ जन्म  पै  आओ,  करें  सभी अभिमान॥२४॥

है    बेटी  मेरा   हृदय-गीत,    बेटी-ही   मेरा अंशुमान।
जिसकी स्निग्ध धवल-किरणें, फैलेंगी बनके कीर्तिमान॥२५॥

करो   नित्य  शक्ति   की   पूजा,  बनो  न  तुम नादान।
श्री   राधारानी   कृपा     करेंगी,   मैंट   हृदय  अज्ञान॥२६॥

हैं  'अशोक'    बेटियों   हमारी,  आन-बान  अरु शान।
कर  'अशोक'  शुभकर्म जगत  में, मानव  बनो महान॥२७॥

                  (रचना- अशोक कुमार खरे)
               !!! जय-श्रीराधे जय-श्रीकृष्ण !!!

©Khare Umakant Written by AK Khare

#WallTexture

Written by AK Khare #WallTexture

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Khare Umakant

जिस पथ पै चला, उस पथ पै मुझे, 
आँचल तो बिछाने दे,
साथी न समझ कोई बात नहीं, 
मुझे साथ तो आने दे,

ओ मेरे साँवरे, तूँ कहाँ है बता,


जिस पथ पै चला, उस पथ पै मुझे, 
जिस पथ पै चला, उस पथ पै मुझे,
आँचल तो बिछाने दे,
साथी न समझ कोई बात नहीं, 
मुझे साथ तो आने दे, 
जिस पथ पै चला,

थक जायेगा जब राहों में,बाहों का सिरहाना दूँगी, 
बाहों का सिरहाना दूँगी,
तेरे सूने सूने जीवन में, मैं प्यार का रंग भर दूँगी,
मैं प्यार का रंग भर दूँगी,
मुझे तेरे कदम, मुझे तेरे कदम, नहीं बिंदिया से कम,
माथे पै सजाने दे,
साथी न समझ कोई बात नहीं, 
मुझे साथ तो आने दे, 
जिस पथ पै चला,

जीवन की डगर पै तुझको, साथी की जरूरत होगी,
साथी की जरूरत होगी,
दिया कैसे जलेगा अकेले, बाती की जरूरत होगी,
बाती की जरूरत होगी,
मैं बनूँगी पिया, मैं बनूँगी पिया,
तेरे पथ का दिया, दिया पथ में जलाने दे,
मुझे पास तो आने दे, मुझे पास तो आने दे,,,,

©Khare Umakant आदरणीय पापाजी श्री अशोक कुमार खरे द्वारा लिखी हुई एक शानदार कविता।

#alone

आदरणीय पापाजी श्री अशोक कुमार खरे द्वारा लिखी हुई एक शानदार कविता। #alone

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Khare Umakant

ग्रेट डांस बाय कौस्तुभ खरे।

ग्रेट डांस बाय कौस्तुभ खरे।

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Khare Umakant

भगवान कृष्ण के ऊपर एक शानदार गीत।

भगवान कृष्ण के ऊपर एक शानदार गीत। #संगीत


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