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Abeer Saifi

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Abeer Saifi

शीशों से देखता हूँ बाहर को हसरतों से
बाहर  को जो खड़े हैं शीशों में देखते हैं 
 इस पाक़ ज़मीन पर आख़िरी शेर ....😊

इस पाक़ ज़मीन पर आख़िरी शेर ....😊

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Abeer Saifi

हसरतें, वफ़ाऐं, उम्मीदें  और  सुकून
इन्नालिल्लाही वइन्नाइलयही राजिऊन इन्नालिल्लाही वइन्नाइलयही राजिऊन - राम नाम सत्य है

इन्नालिल्लाही वइन्नाइलयही राजिऊन - राम नाम सत्य है

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Abeer Saifi

इक  माँ अज़ीज़  है आलम-ए-तमाम में रब 
उसकी  सलामती  हो हर इक सलाम में रब

उस  दिल  की  आरज़ू है वो तेरे दर पे आए
मैं  उसको ले के जाऊँ बैत-उल-हराम में रब

मैं  उसको  देखता  हूँ बादल में कहकशां में 
उसकी झलक मिले है माह-ए-तमाम में रब 

ख़ाहिश  कभी  नहीं  की ज़ाहिर यकीं करोगे 
वो   ख़ुश   रही   सदा ही मेरे इंतज़ाम में रब 

मुझसे सवाल पूछा किसका मक़ाम अफ़ज़ल
मैं   झूठ   बोल  आया  तेरा  मक़ाम  या  रब 

रस्ता  है  जन्नतों  का  उसके  कदम  के नीचे
'सैफ़ी'  वहीं  से  आए दार-उस-सलाम में रब अज़ीज़ -  प्यारा 
आलम-ए-तमाम. - सारी दुनिया 
बैत-उल-हराम. - मक्का 
माह-ए-तमाम. - पूरा चाँद 
अफज़ल - ऊंचा, ऊपर 
दार-उस-सलाम - एक जन्नत का नाम

❤️

अज़ीज़ - प्यारा आलम-ए-तमाम. - सारी दुनिया बैत-उल-हराम. - मक्का माह-ए-तमाम. - पूरा चाँद अफज़ल - ऊंचा, ऊपर दार-उस-सलाम - एक जन्नत का नाम ❤️

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Abeer Saifi

हुस्न-ओ-शबाब  के  यहाँ  दीवाने  और हैं
मुझको ख़बर  है आपके अफ़साने और हैं

नज़रों  से  पी रखी है तिरी अब नहीं तलब
वरना   शहर  में  आपके  मैख़ाने  और  हैं

कुछ  भी  नहीं हुनर क पता आपको अभी
जलवे  शायरी  के  मुझे  दिखलाने  और हैं

यारों  कि महफ़िलों में मुझे अब न ले चलो
जाने  को  तो  यहाँ  अभी  वीराने  और  हैं

है  ये क्या ख़ता कि अभी जल के बुझ गयी 
जलने  को  ऐ  शमा  अभी  परवाने और हैं 

अपनों कि ज़्यादती पे अभी चश्म नम न हों
'सैफ़ी'   अभी   जहान   में  बेग़ाने  और  हैं शबाब - जवानी 
अफ़साने - कहानी 
मैख़ाने - शराबखाना
शमा - रौशनी 
परवाना - रौशनी में जल जाने वाले फतिंगे कीड़े

221 2121 1221 212 ❤️

शबाब - जवानी अफ़साने - कहानी मैख़ाने - शराबखाना शमा - रौशनी परवाना - रौशनी में जल जाने वाले फतिंगे कीड़े 221 2121 1221 212 ❤️

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Abeer Saifi

याद    उसकी   जगाये   नशा   या   ख़ुदा
हो   गयीं   फ़िर  नमाज़ें   कज़ा  या  ख़ुदा

जब सुकूं याद-ए-बिस्मिल में मिल जायेगा 
कौन    सजदे    करेगा    बता   या   ख़ुदा

रात      जुगनू      परेशान     करते     रहे 
उसपे   चंदा   भी   ऐसा   झुका  या  ख़ुदा

बात   ऐसी   नहीं   है   कि  काफ़िर  हैं हम
बस    ख़ुदा   है   हमारा   जुदा   या   ख़ुदा 

पेड़     पौधों   को   ऐसी   सज़ायें   न   दो
उनपे   जायज़  भी  ना  हो  हवा  या  ख़ुदा
 
बात   निकली   है   तो   दूर   तक  जाएगी
मैं    मुहब्बत   में   हूँ   मुब्तला   या   ख़ुदा

आज    आई    है   हस्ती   मिरे   क़ब्र   पर
मरहबा     मरहबा     मरहबा     या    ख़ुदा 212 212 212 212 ❤️

क़ज़ा - छूट जाना 
बिस्मिल - lover
मुब्तला - शामिल 
मरहबा - welcome

आज नींद आठ बजे खुली कल दिवाली मनाई गयी थी रतजगा किया गया था, उसका खामियाज़ा मिला ऑफिस पहुंचने में देर हो गयी।

212 212 212 212 ❤️ क़ज़ा - छूट जाना बिस्मिल - lover मुब्तला - शामिल मरहबा - welcome आज नींद आठ बजे खुली कल दिवाली मनाई गयी थी रतजगा किया गया था, उसका खामियाज़ा मिला ऑफिस पहुंचने में देर हो गयी।

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Abeer Saifi

ख़्याल आता नहीं किसी का मुझे ज़रा देख लो डॉक्टर
क्या  परेशान  हूँ  या बीमार हूँ मैं कुछ तो कहो डॉक्टर

अगर ज़रा सा बुख़ार है इश्क़ तो उतरना भी है लाज़िम
मुझे दवा दो मुझे शफ़ा दो इलाज कुछ तो करो डॉक्टर शफ़ा - सेहत

शफ़ा - सेहत

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Abeer Saifi

इस  बियाबान  को  फ़िर  सजा दीजिए
जब   कभी   देखिये   मुस्कुरा   दीजिए

हो  न  ये राज़ अब फ़िर किसी पर अयां
नाम  साहिल पे लिख कर मिटा दीजिए

जा   रहा   था   अकारत   उसे   रोकना
जाने   वालों   को   बस  रास्ता  दीजिए

हो   गयी   है   सहर  अब  ज़रूरत  नहीं 
दीप   जलता   हुआ   तो   बुझा  दीजिए

ज़िंदगी    भर   रहा   काम   में   आदमी 
अब  वो  बूढ़ा  है  कुछ  मशग़ला दीजिए
 
माँगना    काम   है   ए    ख़ुदा    आपसे
कुछ   न   देना  हो  तो  आप  ना दीजिए बियाबान- उजाड़ जगह 
अयां - ज़ाहिर,  पता चलना
साहिल - समंदर का किनारा 
अकारत - फ़िज़ूल, बेकार 
मशग़ला - काम, व्यस्तता

212 212 212 212❤️

बियाबान- उजाड़ जगह अयां - ज़ाहिर, पता चलना साहिल - समंदर का किनारा अकारत - फ़िज़ूल, बेकार मशग़ला - काम, व्यस्तता 212 212 212 212❤️

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Abeer Saifi

उदास   है  और  रोता  है  आसमाँ  कोई
कहीं  यक़ीनन  हुआ  है शजर जवाँ कोई 

उसे  ख़बर  ही  नहीं  है  क्यूँ  खरा  पानी 
उसे   सुनाओ  समंदर   कि  दास्ताँ  कोई 

उजड़  गया  ये चमन इत्मिनान है मुझको 
सुकून   से   सो  रहा   ख़ैर  बाग़बां  कोई

क्या  कहा  प्यार  डोरी  कुएं  से कर बैठी
पता   लगाओ  मिलेगा  वहीं  निशाँ  कोई

ख़्वाब सहरा को आया कि आग लगती है
करे  यहाँ  आज  जंगल  भी  तर्जुमा कोई

मिला नहीं जो अभी तक नहीं लिखा होगा
कि  ढूंढता  भी  फिरे अब कहाँ कहाँ कोई शजर - पेड़ 
बागबां - माली 
सहरा - रेगिस्तान 
तर्जुमा - translate

1212 2122 1212 22

Hello  🤭

शजर - पेड़ बागबां - माली सहरा - रेगिस्तान तर्जुमा - translate 1212 2122 1212 22 Hello 🤭

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Abeer Saifi

अब  क़र्ज़  इश्क़  का वो चुकाया न जाइगा
दाग़-ए-जिगर  कभी भी मिटाया न जाइगा 

हँसने  को  कह  रहे  हैं  सभी आशना मिरे 
हँसना   तो  छोड़िए  मुस्कराया  न  जाइगा

रिश्ते  बिगाड़  कर  वो मिरे बस ये कह गये 
रिश्ता  ये  प्यार का अब निभाया न जाइगा

मुझसे  करो  मुहौबत  तो  इतना ख़्याल हो 
मुझ   से  उजाड़ दिल ये सजाया न जाइगा 

इक दीप जल रहा है मगर दिल में इश्क़ का
तेरी  कसम  कभी  वो  बुझाया  न  जाइगा 

'सैफ़ी'  भुला  रहे हो तुम जिसको शराब से
सुन  लो  शराब  से  वो  भुलाया  न जाइगा 2212 1221 2212 12

2212 1221 2212 12

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Abeer Saifi

मुहौबत   सज़ा  है   रिहाई  नहीं  है
अगर  है  किसी  ने  निभाई  नहीं है 

कहाँ से हो हासिल मज़ा-ए-मुहौबत
मुहौबत   में   तेरी   जुदाई   नहीं  है 

ज़हर  है  नशा  है  तबाही   यही   है 
मुहौबत   मगर    बेवफ़ाई   नहीं   है

चुराया   नहीं  है  सुकूं  दिल  से  मेरे 
कि   आँखों  से  नींदे  चुराई  नहीं  है

मुहौबत  सभी  के  ज़बां  पे लिखी है
मुहौबत  किसी  को  भी आई नहीं है 

सदा  आशिक़ो  को सताती है दुनिया
यहाँ   आशिक़ों  की  भलाई  नहीं  है

बुरी   आशिक़ी   है  ज़माना   बुरा  है
मगर   दिल्लगी   में   बुराई   नहीं   है 

कि 'सैफ़ी' अहद-ओ-वफ़ा की कहानी
रक़म    है  जिगर  पे  भुलाई  नहीं  है 122 122 122 122

💔

122 122 122 122 💔

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