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andrew8542032502812
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Andrew

ना दिन हूं ना रात मैं शाम सा हूं कुछ खास नहीं बस आम सा हूं

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Andrew

अब तो चाहती मुक्ति सांसे , चलते चलते रुकती सांसे

क्यों रही चलती ,तेरे चले जाने के बाद 

तू अगर चली जायेगी मर जाऊंगा ,कहा था है मुझे याद

शायद इसलिए ही है अब चुभती सांसे 

चलते चलते रुकती सांसे

©Andrew
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Andrew

इश्क से पिरोई हर डोर उधड़ गई

गलतफमियों से इश्क की दास्तान बनते बनते बिगड़ गई

कुछ शकों ने खा लिया हमारा रिश्ता

गृहस्थी बसने से पहले उजड़ गई

हमारे इश्क की दास्तान बनते बनते बिगड़ गई

©Andrew
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Andrew

जो कभी ना थमा आज उसके भी कदम रूके हुए थे 

गमों के बोझ से हौसले के कंधे झुके हुए थे 

दुःख और का दिया तो चलो जाने भी दो

जख्म अपनों के हाथों के थे , इसलिए और जायदा दुखे हुए थे 

उस रोज हौसलों के भी कंधे झुके हुए थे

©Andrew
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Andrew

कोई गम , किसी मर्ज ने उससे इस कदर ओढ़ लिया 

के  टफी ने खाना पीना सब छोड़ दिया 

बराबरी चाहिए थी जिसे  खाने , पीने यहां तक की हर एक चीज़ में 

आज जायदा देने पर भी अपना उसने मुंह मोड़ लिया 

किसी गम , किसी मर्ज  ने उससे अंदर से इतना तोड़ दिया
के टफी ने खाना पीना सब छोड़ दिया

©Andrew
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Andrew

कोई और मेरी जगह देखा खड़ा था मैंने

वो अब मेरा नहीं उसकी आंखों में पढ़ा था मैंने

उसके रविये से भाव बता देता ,क्योंकि उसे देखा बड़ा था मैंने

सूरज डूबते , आसमां में देखा चांद चढ़ा था मैंने

वो अब मेरा नहीं उसकी आंखों में पढ़ा था मैंने

©Andrew
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Andrew

दीवारें कहती है कि तुम घर की दरार हो

हमने तो मकान खड़ा रखा 

तुम तोड़ते परिवार हो

हमपे तो छत का भार है , तुम अपनों पे भार हो

ऐ भावहीन मनुज ,तुम खुद एक दीवार हो

©Andrew
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Andrew

अश्क आंखों में ,हंसी गालों पर है
तेरे हाथों के निशा आज भी देखो तो मेरे  बालों पर हैं
बसेरे की रौनकें फसी खंडार के जालों पर है
तू चली गई ,लेकिन तेरी मौजूदगी आज भी मेरे ख्यालों पर हैं

©Andrew #ashq
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Andrew

सन्नाटे खा जायेंगे आवाज़ धीरे धीरे 
तुम्हे भी हो जायेगा फिर आगाज धीर धीरे 
चुपी थाम लेगी अल्फाज धीरे धीरे 
लफ्जों को मिलेंगे फिर साज धीरे धीरे

©Andrew
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Andrew

सजदा करूं खुदा को के उसकी रहमत हो जाए
हर इंसान इंसानियत से सहमत हो जाए
ना अहित हो जग में सब एकमत हो जाए
सोहबत में खुदा की सब में मोहब्बत हो जाए

©Andrew
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Andrew

आगोश में छुपा ले ,के ना कोई होश रह जाए
कुछ इस तरह सवार दे ,के ना कोई दोष रह जाए
मुझे इस तरह से प्यार दे, के हर रोष ढह जाए
कोई नशा भी ना हो शामिल और समा मदहोश रह जाए

©Andrew
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