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shwetasingh8415
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Shweta Singh

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Shweta Singh

चलो क्षितिज के उस पार चले
हाथों में लेकर हाथ मंगलयान चलो 
बातों से कहा चलती है जिंदगी
भूलकर दुनियादारी  प्यार के साथ चलो
हम सफर न सही हम राही बन साथ चलो

© Shweta Singh
  #angrygirl
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Shweta Singh

बचपन भी कभी हिस्सा था हमारा
आँखों में ख्वाबों की लड़ी थी जिंदगी

रूठना मनाना लड़कपन था हमारा
खाना, पीना ,खेलना यहीं तो थी जिंदगी

पापा का पुचकारना खजाना था हमारा
हवा मिठाई सी मीठी थी जिंदगी

माँ की गोद में सम्पूर्ण ब्रह्मांड था हमारा
हँसना-हँसना बस यहीं तो थी जिंदगी

परीक्षा में अव्वल आना ही संघर्ष था हमारा
युवा होने की भागदौड़ थी जिंदगी

बचपन खोकर समझदारी पाना अज्ञान था हमारा
जीवन की आपाधापी में गिरवी पड़ी है जिंदगी

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Shweta Singh

घर सिर्फ ईट ,सीमेन्ट से  बना मकान है तो फिर घर जाने के नाम पर मन क्यों मचल जाता है ,क्यों जाने के नाम से ही सब कुछ अच्छा लगने लगता है,एक एहसासों की लड़ी सजने लगती है क्यों यादों की पिटारी खुलने लगती है घर में कदम रखते ही,इस यादों के बसेरे या यूं कहूँ  इस प्राण प्रतिष्ठित घरोंदे से जाने के नाम से ही दिल सहम जाता है ,एक मायूसी सी होने लगती है ,एक सुनेपन का एहसास अंतरात्मा को होती है ।

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Shweta Singh

मन हम को छल जाता है
तन हम को हर जाता है
आत्मा हम को तज जाता है
कैसा ये तन मन का खेल है
जिसमें धन हम को जीत जाता है
बचपन हम को छोड़ जाता है
यौवन हम को त्याग जाता है
कैसा है ये स्वामित्व 
जिसमें बुढ़ापा हम को जीत जाता है
                           ✍️ श्वेता सिंह







 #मनछलजाताहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

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Shweta Singh

कुछ लिखने को जी चाह रहा है
पर लिखूं क्या
ये बारिश जो मन को भिंगो रहा
या वो यादें जो दिल में पिघल रहा

कुछ लिखने को जी चाह रहा है
पर लिखूं क्या
ये तेरा साथ  जो अजीब सी राहत दे रहा
या वो तकरार जो तेरे मोबाइल पर होने से होती है

कुछ लिखने को जी चाह रहा है
पर लिखूं क्या
ये तेरे साथ का लम्बा सफर 
या तुझसे दूर जाने की बेला

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Shweta Singh

तुम्हारे नाम की बिंदी है
थोड़ी गिरती थोड़ी संभलती है
थोड़ी टेढ़ी थोड़ी सीधी है
कभी लाल तो कभी पीली है

तुम्हारे नाम की जो बिंदी है
बिल्कुल तेरे जैसी है
कभी सिकन को छुपाती है
कभी चिंतन को दर्शाती है

वर्षों के मंथन को लिए तेरे नाम की बिंदी
कभी हलाहल तो कभी सुधा है
कभी आकर्षक तो कभी विकर्षक है
कभी अंकुश तो कभी निरंकुश है

कभी संशय से झुकी
 कभी साहस से तनी
तुम्हारे नाम की जो बिंदी है
मेरी भृकुटि के बीचों- बीच सजी है एक ख़ूबसूरत #collab Rest Zone की ओर से।
#बिंदी  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

एक ख़ूबसूरत #Collab Rest Zone की ओर से। #बिंदी #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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Shweta Singh

धीरे धीरे दुनियादारी सिख रहें हैं
अपनों में छुपे पराए देख रहें हैं

धीरे धीरे  समझदारी सिख रहें हैं
दोस्तों में छुपे दुश्मन देख रहें हैं

धीरे धीरे होशियारी सिख रहें हैं
फिक्र में छुपे बेफिक्री देख रहें हैं

धीरे धीरे अक्लमंदी सिख रहें हैं
प्रेम में छुपे बैर देख रहें हैं

धीरे धीरे चालाकी सिख रहें हैं
सत्य में छुपे असत्य देख रहें हैं

धीरे धीरे बराबरी सिख रहें हैं
निःस्वार्थ में छुपे स्वार्थ देख रहें हैं
                           ✍️श्वेता सिंह

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Shweta Singh

धीरे धीरे दुनियादारी सिख रहें हैं
अपने औऱ पराए का भेद समझ रहें हैं

धीरे धीरे  समझदारी सिख रहें हैं
दोस्तों औऱ दुश्मनों में फ़र्क समझ रहें हैं

धीरे धीरे होशियारी सिख रहें हैं
फिक्र और बेफिक्री का फासला समझ रहें हैं

धीरे धीरे अक्लमंदी सिख रहें हैं
प्रेम और बैर का अर्थ समझ रहें हैं

धीरे धीरे चालाकी सिख रहें हैं
सत्य और असत्य का अंतर समझ रहें हैं

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Shweta Singh

मंजिलों का निशाँ मिल जाएगा
एक पहल तो  करना होगा
बातों से परे भी कुछ करना होगा
यूँ बैठे नहीं रहना होगा
कदम तो बढ़ाना होगा
तलवारों को म्यानों से निकालना होगा
किस्मतों से भी लड़ना होगा
लकीरें भी बदलती हैं ये तो सुना होगा
बस मेहनत की भट्ठी में खुद को झोंकना होगा
                                     ✍️श्वेता सिंह

 सुप्रभात।
मंज़िल का निशाँ मिल जाएगा,
कुछ दूर सफ़र पर निकलो तो...
#मंज़िलकानिशाँ #collab #yqdidi   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

सुप्रभात। मंज़िल का निशाँ मिल जाएगा, कुछ दूर सफ़र पर निकलो तो... #मंज़िलकानिशाँ #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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Shweta Singh

 वो सब कुछ जानते हैं
 लहजे में बनावट
और बनावट पर सजावट
बस अपने दिल पर हाथ रखना नहीं जानते
जो चीख चीख के बया करता है गिरावट

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