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suramyashubham1347
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suramya shubham

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suramya shubham

हसरतों को चाँद की खूँटी पे टांग आये हैं, इस बार खुदा से कुछ  बदगुमानी सी है...

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suramya shubham

आँखों मे उठती लाली अब बदन पर नीली पड़ने लगी है
किसी फूल के काँटो ने उसे ही बेरहमी से ज़ख्मी किया है... अपने...
#फूल #relatonship #betryal #nojoto

अपने... #फूल #relatonship #betryal nojoto

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suramya shubham

अश्क़ उन अश्क़ों की घुटन,रूह तक सिलती थी
तस्वीरों से सजे कमरे में,बेजान बस मैं दिखती थी
आँखों के कोरो में सवाल उमड़ते रहते थे
मैं निष्ठुर सी उन्हें अंजुली भर भर पीती थी
शाखों से पत्तों को बेजान होते तकती थी
मेरे खतों को उनमे भी जान दिखती थी... अश्क़....

अश्क़....

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suramya shubham

एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... 
पायल छनकाते लो चली
ओढ़ कर वो चुनरी...

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suramya shubham

किसी रोज शायद मेरा असल वजूद इन्हीं पन्नो में फड़फड़ाता रह जाएगा और जला आएंगे सब मेरा सामाजिक नाप तौल से बना नकली मृत शरीर....
और करती रह जाएगी इंतेज़ार, सहस्त्र रूहुओं की तरह मेरी रूह भी,अपने मोक्ष का  .... मोक्ष....

मोक्ष....

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suramya shubham

किसी रात को यूँ ही डायरी में छुपाया था...
मन का कोई कोना मोरपंख बना था शायद...
sur... #मोरपंख
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suramya shubham

वो नदियों का पानी वो शांत नज़ारा वो सूरज का ढलना
वो माँझी का अँगना....

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suramya shubham

a creator also doesn't know what an awesome creator he is until the creation of his creature...
sur... potential....

potential....

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suramya shubham

मुहब्बत में हाँ और कहानी के आखिर पन्ने पर लिखे "समाप्त"कुछ बहुत एक जैसे है...
यहाँ से अपनी मालकियत सप्रेम सामने वाले को सौप दी जाती है...

sur... मालकियत...

मालकियत...

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suramya shubham

मैं ओढ़ लुंगी माँ का आँचल
मैं तुझे कोरो में छुपा लूँगी
मैं हो जाऊँगी समर्पिता
मैं बन जाऊँगी गृहणी
ऐ मन किसी चाँद रात 
जो उग आएंगे केवड़े
मैं सजा लुंगी लाल चूड़ी
और ओढ़ लुंगी सफेद आँचल
मगर एक शर्त एक सिक्का पुख्ता
मैं स्वयं को नहीं दे सकती
मैं कतरनों में नहीं बिक सकती
आलते की सौंधी ख़ुशबू में
मैं सियाही की इत्र नहीं खो सकती
मैं पूर्ण हूँ ,मैं पूर्णविराम हूँ
किसी बिंदी सी बिंदु नहीं
सार्थक,सम्पन्न,सर्वस्वा मैं
मैं ख़ुद में ख़ुदी के समान हूँ...

sur... सच...

सच...

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