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niteshsinghyadav5552
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नितेश सिंह यादव

मै राजनीति का छात्र ,मोटर साईकिल पर घुमने का शौकीन, चाय पीना पसंद है और प्रेमचंद के साहित्य और गोरख पाण्डेय, पाश,विद्रोही, दुष्यंत कुमार की कविताएं पूरा पढना चाहता हूँ

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नितेश सिंह यादव

जालिमों का ठिकाना है यह शहर 
पर मैने बनाया है ये शहर 
बेशक यह अमीरों का ठिकाना है 
ना मिलती है अब सर छुपाने की जगह 
ना मिलती हैं रोटियां भूख मिटाने को 
पर बनाकर ये शहर ये सडके ये पटरियां 
मै थका नही हूँ सुन रहे हो ना 
जितने शहर,सडके पटरियां बनाई है मैने
तुम ताकते रहना ,मै सब पार कर जाऊंगा 
मै शहर दर शहर लाघं जाऊँगा । #मजदूर ।नितेश सिंह यादव

#मजदूर ।नितेश सिंह यादव

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नितेश सिंह यादव

मौसम तो गरमी का था 
कहाँ से हो गई बरसात 
 दिन तो फसल काटने का था
कहाँ तो फसल हो गई बरबाद फसल

फसल

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नितेश सिंह यादव

मुझे अब वो घास अच्छी लगती है 
जिसे मैने उखाड़ कर फेक दिया था 
मुझे नही पता था वो पेट का भूख भी मिटा दिया करती है
उन मुशहरो के बच्चों ने मुझे बताया घास
कैसे
कुछ लोगो की आंतों को सुखने से बचाया करती है ।

बनारस, कोरोना 2020 
नितेश सिंह यादव घास

घास

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नितेश सिंह यादव

अब बस भी करो 
कितना याद आओगी 
थोडी देर रूलाओगी 
फिर चली  जाओगी अब बस करो

अब बस करो

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नितेश सिंह यादव

जिस कूचा पर छोडकर गई थी 
उसी कूचा पर खडा होकर
चिल्ला पड़ा हूँ आज 
ओ छोड़कर जाने वाली 
एक बार फिर लौटकर आ 
देख मै रो पडा इस बार
ओ छोड़ जाने वाली 
 फिर लौटकर आ 
देख चिल्ला पडा हूँ आज दुसरो का दर्द भी दर्द है

दुसरो का दर्द भी दर्द है

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नितेश सिंह यादव

मेरा घर भरा है सामान से 
उनसे बातें करता हूं आराम से 
किसी का इंतजार ना होने से 
जिन्दगी जिता हूँ इत्मीनान से अकेला

अकेला

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नितेश सिंह यादव

हमारे ख्वाबो मे जरा दखल दिया करीये 
आप ही का तो घर है 
जरा वक़्त निकाल कर आया जाया करीये 
थोडा मुस्कुरा कर हमे रिझाया करीये 
आपके मुस्कुराने भर से 
कई और ख्वाबो के बिज उग जाते है 
हमसे अपना चेहरा ना छुपाया करीये ख्वाब

ख्वाब

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नितेश सिंह यादव

इतना रोशनी कर देते है शहरी 
चाँद के बिना लगने लगती है नगरी

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नितेश सिंह यादव

"हर रोज़ कविता
गजल या गीत
 नही लिख सकता है कोई 
किसी रोज मरसिया 
भी लिखना पडता है 
जब मरसिया लिखना पडता है 
तब दर्द भी झेलता है कोई " मरसिया

मरसिया

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नितेश सिंह यादव

दुनिया मे बम गिरवाकर 
गरीब का मर्डर करवा कर 
किसान का बैल चुराकर
मजदूर का कमाई खाकर 
लडकी की इज्ज़त लुटवाकर 
उन सबने देश के नाम दान करवाकर 
महान की उपाधि पाकर 
वो पाप मुक्त होकर 
नये पाप की ओर बढकर
सत्य को झूठलाकर 
उन्होंने अपनी जय की 
लोगो ने भी उनकी जय की । ऐसा भी होता है

ऐसा भी होता है

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