Nojoto: Largest Storytelling Platform
niteshsinghyadav5552
  • 49Stories
  • 208Followers
  • 528Love
    0Views

नितेश सिंह यादव

मै राजनीति का छात्र ,मोटर साईकिल पर घुमने का शौकीन, चाय पीना पसंद है और प्रेमचंद के साहित्य और गोरख पाण्डेय, पाश,विद्रोही, दुष्यंत कुमार की कविताएं पूरा पढना चाहता हूँ

  • Popular
  • Latest
  • Video
741da38f8c7ece81dff5926c1218f737

नितेश सिंह यादव

जालिमों का ठिकाना है यह शहर 
पर मैने बनाया है ये शहर 
बेशक यह अमीरों का ठिकाना है 
ना मिलती है अब सर छुपाने की जगह 
ना मिलती हैं रोटियां भूख मिटाने को 
पर बनाकर ये शहर ये सडके ये पटरियां 
मै थका नही हूँ सुन रहे हो ना 
जितने शहर,सडके पटरियां बनाई है मैने
तुम ताकते रहना ,मै सब पार कर जाऊंगा 
मै शहर दर शहर लाघं जाऊँगा । #मजदूर ।नितेश सिंह यादव

#मजदूर ।नितेश सिंह यादव

741da38f8c7ece81dff5926c1218f737

नितेश सिंह यादव

मौसम तो गरमी का था 
कहाँ से हो गई बरसात 
 दिन तो फसल काटने का था
कहाँ तो फसल हो गई बरबाद फसल

फसल

741da38f8c7ece81dff5926c1218f737

नितेश सिंह यादव

मुझे अब वो घास अच्छी लगती है 
जिसे मैने उखाड़ कर फेक दिया था 
मुझे नही पता था वो पेट का भूख भी मिटा दिया करती है
उन मुशहरो के बच्चों ने मुझे बताया घास
कैसे
कुछ लोगो की आंतों को सुखने से बचाया करती है ।

बनारस, कोरोना 2020 
नितेश सिंह यादव घास

घास

741da38f8c7ece81dff5926c1218f737

नितेश सिंह यादव

अब बस भी करो 
कितना याद आओगी 
थोडी देर रूलाओगी 
फिर चली  जाओगी अब बस करो

अब बस करो

741da38f8c7ece81dff5926c1218f737

नितेश सिंह यादव

जिस कूचा पर छोडकर गई थी 
उसी कूचा पर खडा होकर
चिल्ला पड़ा हूँ आज 
ओ छोड़कर जाने वाली 
एक बार फिर लौटकर आ 
देख मै रो पडा इस बार
ओ छोड़ जाने वाली 
 फिर लौटकर आ 
देख चिल्ला पडा हूँ आज दुसरो का दर्द भी दर्द है

दुसरो का दर्द भी दर्द है

741da38f8c7ece81dff5926c1218f737

नितेश सिंह यादव

मेरा घर भरा है सामान से 
उनसे बातें करता हूं आराम से 
किसी का इंतजार ना होने से 
जिन्दगी जिता हूँ इत्मीनान से अकेला

अकेला

741da38f8c7ece81dff5926c1218f737

नितेश सिंह यादव

हमारे ख्वाबो मे जरा दखल दिया करीये 
आप ही का तो घर है 
जरा वक़्त निकाल कर आया जाया करीये 
थोडा मुस्कुरा कर हमे रिझाया करीये 
आपके मुस्कुराने भर से 
कई और ख्वाबो के बिज उग जाते है 
हमसे अपना चेहरा ना छुपाया करीये ख्वाब

ख्वाब

741da38f8c7ece81dff5926c1218f737

नितेश सिंह यादव

इतना रोशनी कर देते है शहरी 
चाँद के बिना लगने लगती है नगरी

741da38f8c7ece81dff5926c1218f737

नितेश सिंह यादव

"हर रोज़ कविता
गजल या गीत
 नही लिख सकता है कोई 
किसी रोज मरसिया 
भी लिखना पडता है 
जब मरसिया लिखना पडता है 
तब दर्द भी झेलता है कोई " मरसिया

मरसिया

741da38f8c7ece81dff5926c1218f737

नितेश सिंह यादव

दुनिया मे बम गिरवाकर 
गरीब का मर्डर करवा कर 
किसान का बैल चुराकर
मजदूर का कमाई खाकर 
लडकी की इज्ज़त लुटवाकर 
उन सबने देश के नाम दान करवाकर 
महान की उपाधि पाकर 
वो पाप मुक्त होकर 
नये पाप की ओर बढकर
सत्य को झूठलाकर 
उन्होंने अपनी जय की 
लोगो ने भी उनकी जय की । ऐसा भी होता है

ऐसा भी होता है

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile