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anuj5009765614358
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अनुज

लखनऊ, भारत

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अनुज

White  कैसे ज्यों के त्यों रहे,
प्रेम को कैसे करे परिभाषित,
कैसे बिन आलिंगन,
प्रेम को रखें मर्यादित 
हां, मैं स्पष्टता को
प्रमाणित करना चाहता हूं,
परन्तु, बिना शब्दों के अनुवादित
कोई छद्म और बिना भेद भाव,
जहां सिर्फ प्रेम हो, और
हो शब्दों का आभाव,
जहां समझ सके सिकुड़न,
माथे की हम,
और अंतर्मन के पीड़ा को,
मिल जाए थोड़ा ठहराव,
हां! अगर किंचित मात्र भी,
मन सकुचा जाए,
या फिर की कोई और,
हृदयतल में घर कर जाए,
निरुत्तर, सांझ न होने देना,
अपने नयनों को,
अश्रु मगन होने देना,
बस इतना ही हो,
कि मैं अपना आधार बदल दूंगा,
लिखे पृष्ठ प्रेम सहित,
श्रृंगार बदल दूंगा,
कहे वचन को फिर न,
मैं धूमिल होने दूंगा,
हे प्रियशी! बीज प्रेम के,
मन में, फिर न बोने दूंगा,
न ही स्वयं को मैं,
तुम पर होने दूंगा आश्रित,
न मन में प्रश्न एक भी,
न तुमको खुद पर 
होने दूंगा आच्छादित,
चलो रहे ज्यों के त्यों,
और करे प्रेम को परिभाषित।

©अनुज #love_shayari 
  Pushpvritiya RAVISHANKAR PAL Divya Joshi Sudha Tripathi Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"

#love_shayari Pushpvritiya RAVISHANKAR PAL Divya Joshi Sudha Tripathi Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #Poetry

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अनुज

फिर तुम्हारी बातें और मुलाकातें
चलो आगे बढ़ते हैं....
आंसू आंखों में है, ऊपर से बरसातें
चलो आगे बढ़ते हैं....
आखिर कब तक छिपकर तुमसे 
यूं मिलना हो पायेगा
कोई  देख न‌ ले आते जाते
चलो आगे बढ़ते हैं....

©अनुज 
  #Remember #nojohindi
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अनुज

हर चेहरे का वो नूर जमीं पर रह गया
सारे मन का फितूर जमीं पर रह गया
जो कहते थे मिला देंगे खाक में तुझको
जलकर वो गुरूर जमीं पर रह गया

आसमा से बहुत दूर जमीं पर रह गया
बिन पर के एक मजबूर जमीं पर रह गया
जिनके तेवर थे शैलाबो से बगावत वाले
शीशे सा चुकनाचूर जमीं पर रह गया

मेरे दिल का नासूर जमीं पर रह गया
वो हुस्न का शुरूर जमीं पर रह गया
नफरतो के ढेर पर वो पा गया मुकाम
मोहब्बत में बेकसूर जमीं पर रह गया

©अनुज 
  #nojohindi
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अनुज

हिमाकत जुगनुओं के जैसे जरा सी की गई

अंधेरों में, उजालों की तलाशी ली गई

जहां तहां बिखरी, दम तोड़ती खुशियां

इस कदर, उधार कुछ उदासी ली गई

©अनुज #nojohindi #Poet
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अनुज

जीवन और मृत्यु के मध्य एक पल

कभी सफल !!

कभी असफल !!

©अनुज
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अनुज

कैसा है परिवार आजकल
कैसे बहू और बेटे....


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©अनुज कैसा है परिवार आजकल
कैसे बहू और बेटे
सास ससुर उपहास बने
इज्जत स्वयं समेटे...
बेटा बाप के आंगन‌ में
उनको इक कोना देता है
जिनके महलों में राज किया
उनको फटा बिछौना देता है

कैसा है परिवार आजकल कैसे बहू और बेटे सास ससुर उपहास बने इज्जत स्वयं समेटे... बेटा बाप के आंगन‌ में उनको इक कोना देता है जिनके महलों में राज किया उनको फटा बिछौना देता है #Poetry #Reality #Hindi #poem #bittertruth

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अनुज

मुश्किल है सफर...
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©अनुज मुश्किल है सफर लेकिन
नामुमकिन तो नहीं,
डगर कोई भी हो लेकिन
कांटों के बिन तो नहीं
छोड़कर सर्वस्व अपना
एक दांव खेला जाए,
भीड़ से हटकर कोई,
कहीं तो अकेला जाए,

मुश्किल है सफर लेकिन नामुमकिन तो नहीं, डगर कोई भी हो लेकिन कांटों के बिन तो नहीं छोड़कर सर्वस्व अपना एक दांव खेला जाए, भीड़ से हटकर कोई, कहीं तो अकेला जाए, #Poetry #Drown

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अनुज

मिला नही जो दिल अगर
आप मिल सके तो क्या....

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©अनुज मिला नहीं जो दिल अगर
जो अब आप मिल सके तो क्या

चांद में सब्र जो तुमको मिला नहीं
जो अब आफताब मिल सके तो क्या

डुबी नहीं तुम नशें में मेरे
फिर शराब मिल सके तो क्या

मिला नहीं जो दिल अगर जो अब आप मिल सके तो क्या चांद में सब्र जो तुमको मिला नहीं जो अब आफताब मिल सके तो क्या डुबी नहीं तुम नशें में मेरे फिर शराब मिल सके तो क्या #Shayari

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अनुज

जो लिखूं वो ही पढ़ो
तो ठीक है....

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©अनुज जो लिखूं वो ही पढ़ो तो ठीक है
सब भूलकर आगे बढ़ो तो ठीक है
छोटे छोटे टीलो पर चलने से क्या
जो ऊंचे पर्वत पर चढ़ो तो ठीक है

कुछ को पाकर कुछ को खोना ठीक है
मुश्किल में होना और रोना‌ ठीक है
अब कहां वो बात गद्दो में रही

जो लिखूं वो ही पढ़ो तो ठीक है सब भूलकर आगे बढ़ो तो ठीक है छोटे छोटे टीलो पर चलने से क्या जो ऊंचे पर्वत पर चढ़ो तो ठीक है कुछ को पाकर कुछ को खोना ठीक है मुश्किल में होना और रोना‌ ठीक है अब कहां वो बात गद्दो में रही #Poetry #बस

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अनुज

अकेला ही कुछ दूर तक चलकर.....

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©अनुज अकेला ही कुछ दूर तक चलकर
खामखां आंसुओं से तर-बतर

बेवजह ही मंजिलों की ख्वाहिशें
जाने आगे कहां तक मेरा सफ़र

सोचता हूं कि रूकूं और ठहरू जरा
जी लूं अपनी जिंदगी इस कदर

अकेला ही कुछ दूर तक चलकर खामखां आंसुओं से तर-बतर बेवजह ही मंजिलों की ख्वाहिशें जाने आगे कहां तक मेरा सफ़र सोचता हूं कि रूकूं और ठहरू जरा जी लूं अपनी जिंदगी इस कदर #Poetry #Travel

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