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bhumikakaushik6964
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Bhumika kaushik

im simple girl....thodi si kosis k6 kr pane ki.....👍👍

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Bhumika kaushik

तेरे चरणों की अभिलाषी हूं
मैं तेरी भक्ति की प्यासी हूं
राधा रमन मेरे राधा रमन
आंगन मैं तेरे जन्मी हूं  तेरे ही घर की माटी हूं
अब कृपा करो प्रभु कृपा करो
मेरे राधारमण,मेरे राधारमण

ये दो चंचल तेरे मृगनयना
इनमे डूबी कुछ भूली कुछ बिसरी
एक टक तेरी मुस्कानिया पे 
 में बलिहारी न्योछारी हूं 
मेरे राधा रमण मेरे राधारमण

©Bhumika kaushik
  #Krishna
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Bhumika kaushik

आज का शब्द =आजादी      
आज कुछ यूं मन किया  कि आजादी पर कुछ लिखूं
यूं तो आजादी का मतलब
अंग्रेजो से गुलामी खत्म भारत देश आजाद 
यही पढ़ा है यही सुना है यही सुनते आ रहे है

लेकिन आजकल आजादी के मतलब कुछ अलग अलग है।। तो चलो कुछ अमल कराते है ।।थोड़ी सी कलम चलाते हैं।।
हान तो भैया अगर बच्चे घर से दूर है तो वो आजादी मानी जाती है ।। बिना आफत की जिंदगानी मानी जाती है 
     अब थोड़ा बहुओं की आजादी की चर्चा कर लें।।
अपने बुजुर्गो से दूर है तो वो आजाद है 
बिना सारी और घूंघट के आजाद है😝 
पति के साथ घूमने पर भी उनकी आजादी है🤪
तो भैया जो परिवार में है तो का वो जेल में रह रही है 🤔
अब तनिक कान👂 इधर  तो लाओ 
सूत्रों के मुताबिक आजकल हम कछु ऐसी ही आजादी में है😝
तो समझे असली आजादी ।।।।सबसे आजादी है बस लोगो की मानसिकता को आजादी मिलना बाकी है👍😝

©Bhumika kaushik #freedom #
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Bhumika kaushik

पापा 
आपसे ज्यादा बात तो नहीं करती मैं
लेकिन आपकी हर बात मुझे याद है 

कितने ही संघर्ष आए हमारे जीवन में
लेकिन आपने हमे नाजों से पाला है।

जब आप डांटते थे तो बुरा जरूर लगता था 
लेकिन इस भीड़ में कइयों से बेहतर बनाया है

आपसे धैर्य, ईमानदारी ,
 हर किसी से बिना स्वार्थ के स्नेह रखना आया है
आपसे जाना कि
 बिना दिखावे की जिंदगी में कितना सुकून है
कभी आपसे खुलकर कहा तो नही
लेकिन बहुत याद आती है आपकी
आपके लिए हम कुछ नही कर सके
इसका अफसोस तो रहेगा 
लेकिन हमारे लिए हमे काबिल जरूर बनाया है
आज मन हुआ की में आपके लिए कुछ लिखूं
लेकिन कलम में भी उतना होंसला नहीं 
और शब्दों में वजन जिससे आपका वर्णन
कर सकू।

©Bhumika kaushik #मेरे पापा

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Bhumika kaushik

देखो ना माँ तुम्हारी बिटिया अब बड़ी हो गई है

जिसे तुम बात बात में काम सिखाती थी अब वो बिना सीखे भी सब करने लगी है ।
कभी ठंडा नही खाना  ,,कभी  ये नहीं पहनना जिसके नखरे हुआ करते थे
 और तुम कहती थी न की ससुराल जायेगी तब कैसे करेगी ,,,,,,तो देखो ना सबकी पसंद मे अपनी ढूंढ ली है।।

जो,, भूख लगी है भूख लगी है कहते घर को सर पर उठा लेती थी ,,,,,,,आज सब खाने के बाद खाती है ।।

बताओ ना माँ क्या तुम्हारी बेटी सच में बड़ी हो गई है,
जो कभी तुम्हे काम के मना कर देती थी ना 
आज आगे से आगे सब करने लगी है

अब तो तुम भी मान लो ना माँ  
की तुम्हारी बेटी सच में बड़ी हो गई है।।।

©Bhumika kaushik
  #Parchhai
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Bhumika kaushik

खुद को खोकर कहां पाओगे
 दुनिया की भीड़ में सिमट जाओगे
जब नही रहेगा वजूद अपना 
तो खुद को खुद से कैसे मिलाओगे
यहां कोई किसी का नहीं
खुद भी खुद से बेजार हो जाओगे

कभी कभी वक्त बिताया करो अपने साथ
तन्हाई में खुद को मिलवाया करो अपने साथ
कोई पूछे न पूछे हाल चाल
खुद का ख्याल किया करो अपने साथ
तब खुद को को खुद मे ही पाओगे
अजनबी निगाहों में भी खुद को 
अकेला नही पाओगे

©Bhumika kaushik #rush
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Bhumika kaushik

माँ जैसी सरल है हिंदी, मां जैसी सरल है हिंदी
 पिता के छावों सी मजबूत
बड़ो के आशीर्वाद सी हिंदी
हमसफर के प्यार के फूल

©Bhumika kaushik #hindidiwas2022
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Bhumika kaushik

अनोखी हैं जज्बातों का समुंद्र सी
केवल शब्द नही मन के भाव सी
जो खुले अधरों से तो गिरे मिठास सी
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं हमारा मान है और सम्मान भी

बहुभाषी है देश मेरा लेकिन हिंदी सब की जान सी
जब सुने कथा कृष्ण की तो लगे मिश्री की मिठास सी
हिंदी मात्र समूह नही शब्दों का ,,,
हर संबोधन में डोर प्यार सी
पैगाम भाईचारे का ,हर शब्द में झनकार सी
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं हमारा मान है और सम्मान भी
 
ये संस्कृत की उत्पत्ति है,,मर्यादा संस्कृति की ,,मेरे
पुरुषोत्तम राम सी
जब सुने भजन तो हो मन हर्षित2
ये हिंदी तो है मन के भाव सी 

हिंदी सिर्फ भाषा नहीं हमारा मान है और सम्मान भी

©Bhumika kaushik #hindidiwas2022
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Bhumika kaushik

आजादी के पन्नो पर कितनी ही वीर गाथाएं है
भगतसिंह आजाद समेत बलिदानों की परिभाषाएं है ।
   
   भारत मां के लाल है जो देश के सरताज हैं वो
   अपने रक्त के कतरों से बेटों के फर्ज निभाएं है।।
 आजादी के पन्नो पर कितनी ही वीर गाथाएं है
  
ये स्वर्णिम दिन ,,जो आज यहां  हम 
  ध्वाजा तिरंगा फहराएंगे
 आन बान  और शान से,, ध्वाजा पताका लहराएंगे।।।
 देन है  ये उन वीरों की ,,जो अपनी जान गवाए है
      आजादी के पन्नो पर कितनी ही वीर गाथाएं है
 
जान गवाई उनने,,अपने सपनो के त्याग से
आजादी का सपना देखा फौलादी जज्बात से
लिए तमन्ना दिल मै ,,कह गए वो अलविदा  
फहराएंगे झंडा ,,,लाल किले की मीनार से

 दिया ये मौका तुम्हे सुनहरा  पूरे दिलोजान से
 लहराओ तुम ध्वजा तिरंगा ,,शान और अभिमान से
 
 आजादी के पन्नो पर कितनी ही वीर गाथाएं है

©Bhumika kaushik #अमृतमहोत्सव #independenceday2022
#India2022
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Bhumika kaushik

एक महत्वपूर्ण पन्ना 
जब जब खुला जिंदगी की किताब से
साथ यारो का आंखों मै है भर आया 
 
 जो ख्याल बड़ों सा है रखता 
डांट में मां है बन जाता 
एक दूजे को समझे जो वो मित्र बडा ही है प्यारा 
  
 जो नहीं रंग खून का है परंतु
खून से ज्यादा है भाया 
नौंक झौंक के साथ प्यार बहुत है बरसाया 

जब छांटू यादों के सुनहरे पल
तो पन्ना यारी का ही खुला है पाया 

बस और शब्दों की गहराई न ढूंढ पाई मेरी श्याही
और अब सिर्फ मुझे यही है कहना 
तेरा मेरा साथ रहे जब तक हो जीना मरना

©Bhumika kaushik #FriendshipDay my best friend my life

#FriendshipDay my best friend my life #कविता

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Bhumika kaushik

मंजिल दूर है लेकिन अभी हारी नही हूं मैं
जरा कोमल हूं लेकिन अबला नारी ही हूं मैं
 
मस्त पवन सी बहना फितरत है  मेरी 
 मस्तानी दीवानी हूं लेकिन बेचारी नहीं हूं मैं
  
गृहणी हूं मकान  को घर बनाती हूं  
घर में रहती हू घर संभालती हूं में
सारे रिश्ते दिल से निभाती हूं 
औपचारिक नहीं हूं में

स्वाभिमानी हूं कमाना भी जानती हूं में 
खुद का ख्याल रख सकती हूं 
इतनी लाचारी नही हूं में 

समय के साथ समझोता करना जानती हूं में 
चुप रहती हूं ये कमजोरी नहीं मेरी  
अपने हक के लिए लड़ना भी जानती हूं मैं

रखती हूं सृष्टि चलाने का हुनर
हजारों दर्द की पीड़ा एक खुशी के लिए सहना 
वंश को आगे बढ़ाना भी जानती हूं मैं

नारी हूं लेकिन उससे पहले एक इंसान भी हूं 
कटपुतली नही 
बंधी हूं संस्कारों में 
वरना" खुलकर जीना भी जानती हूं मैं

आज की नारी हूं किसी के अधीन नही हूं 
खुद का अस्तिव पहचानती हूं में
जरा कोमल हूं लेकिन अबला नारी नही हूं मैं

©Bhumika kaushik नारी शक्ति

#adishakti

नारी शक्ति #adishakti

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