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tanubhardwaj9839
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Tanu Bhardwaj

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Tanu Bhardwaj

उसकी नज़रें 
जिनमें लाखों सवाल थें।
और मैं जवाब ढूंढने लगी।
जागते हुए यूं ख्वाब मे ।
सुनहले ख्वाब बुनने लगी।
उसकी नज़रें
जो सागर से भी गहरी थी।
जिसकी गहराई मे मैं डूबने लगी।
इक कहानी बनती गई।
और मैं उसकी ओर खिंचने लगी।
उसकी नज़रें
जिसके जरिये मैंने अंदर झांका।
रौशनी ही रौशनी थी और मैं खोने लगी।
बंद करके पलकों को कई बार।
उसकी तश्वीर दिल मे छुपाने लगी। नज़रें

नज़रें

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Tanu Bhardwaj

आकांक्षा
प्रारंभ सही पर धैर्य रखूँगी।
अपनी वाणी अटल रखूँगी ।
मंजिल न मिल जाये तब तक
नहीं गिरूँगी, नहीं रुकूंँगी ।

कितने भी दीवार मिलेंगे,
कितने ही अंगार मिलेंगे,
सबसे लड़कर, आगे बढ़कर
चले चलूंँगी, बढ़े चलूंँगी ।

अपने मन की डोरी बांधे,
दूर क्षितिज तक  मन पतंग बन
हवा संग मैं रुख बदलूंँगी।
उड़ उड़ कर मैं इठलाऊंँगी।

कितने तूफां कितनी आंँधी
या सागर में उठें बवंडर 
बन कस्ती मैं बहती जाऊंँ
नहीं डरूँगी बढ़े चलूंँगी।

पंकिल भाव भरी दुनियां में 
श्वेत कमल सी मैं खिल खिलकर 
स्वयंसिद्ध परिभाषा दूंँगी।
घर आंँगन पावन कर दूंँगी।

 दे दो बस इक सांँस मुझे
मैं अंतकाल तक जीवन दूंँगी ।
मैं लक्ष्मी हूंँ, मैं बेटी हूंँ
खुशियों से जग को भर दूंँगी।

~~~~~~~~~~~~~~तनु भारद्वाज ।। आकांक्षा

आकांक्षा

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Tanu Bhardwaj

My Paperworld .

Today again I want to say something to you. 
I want to fight you openly.
 you are just a page for other,
 for me., You are my paperworld.
You are white in colour but,
For me ,you are colourful.
You are plane and I am dark.
 I want to bring my darkness on you.
I want to fight you with the pen of my heart.
Because, you keep silent listening to my pain.
I say my condition please reply me.
I fight my luck everyday, support me
My words and my courage will be scatter.
If you get scared by the wind.
I write my city please settle in it.
Please try to understand.
I said my happiness and sorrow to you.
Because you are my paper world.
I know you feel hurt with the tip of my pen.
See, I stay on that tip every moment.
My dreams and health are written on you.
Now make it real and shape it.
Shrink in me and support me.
Because you are my paper world.
.......
.............Tanu Bhardwaj.

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Tanu Bhardwaj

वो दिन निश्चय ही आएगा
जब मुझमे तुम मिल जाओगी 
कल कल बहती तुम नदियों सी
मुझमें विलीन हो जाओगी।

शीतल और अमरता की गंगा
ये प्यास तभी बुझ पाएगी ,
जब मेरे अधरों से लिपटी तुम
अनंतटटी कहलाओगी।

वो दिन निश्चय ही आएगा ।
जब मुझसे तुम मिल जाओगी। आशा

आशा

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Tanu Bhardwaj

-------दर्पण-------- अपनी कमी छुपाके खुदमे, जब देखूं मैं तोहे तू इतराती और मुश्काती लगी निहारने मोहे

-------दर्पण-------- अपनी कमी छुपाके खुदमे, जब देखूं मैं तोहे तू इतराती और मुश्काती लगी निहारने मोहे

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Tanu Bhardwaj

(swarn swapn swarup) Dhanak ke saare rang samete Ek tasveer rachu mai aisi Khwab ko ek aakar bana kar Rang rup garhu priy teri. Aakashi rango ko bharke

(swarn swapn swarup) Dhanak ke saare rang samete Ek tasveer rachu mai aisi Khwab ko ek aakar bana kar Rang rup garhu priy teri. Aakashi rango ko bharke

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Tanu Bhardwaj

"स्वर्ण स्वप्न स्वरूप" धनक के सारे रंग समेटे इक तश्वीर रचु मै ऐसी ख्वाब को एक आकर बना कर रंग  रूप गरहु प्रिय तेरी । आकाशी रंगों को भरके

"स्वर्ण स्वप्न स्वरूप" धनक के सारे रंग समेटे इक तश्वीर रचु मै ऐसी ख्वाब को एक आकर बना कर रंग  रूप गरहु प्रिय तेरी । आकाशी रंगों को भरके

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Tanu Bhardwaj

दरन्दगी का हाथ थामें ये दुनियां है चल पड़ी झुकी-झुकी नजरों की कलम से खूनी कहानी निकल पड़ी युग युग की हथेली पे नाचती नारी नतमस्तक प्रीत के नाम पे बिकती #Poetry

दरन्दगी का हाथ थामें ये दुनियां है चल पड़ी झुकी-झुकी नजरों की कलम से खूनी कहानी निकल पड़ी युग युग की हथेली पे नाचती नारी नतमस्तक प्रीत के नाम पे बिकती #Poetry

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Tanu Bhardwaj

मेरे मित्रामिय!!!! संसार स्वार्थ सार है । विश्वास आस मात्र है । हर कदम पर बेगाने लोग हैं, अपने नही हैं अपना मात्र है। इक आश के किरण बनके मेरे "मित्रामिय" तुम याद बहुत आते हो ।। #Poetry

मेरे मित्रामिय!!!! संसार स्वार्थ सार है । विश्वास आस मात्र है । हर कदम पर बेगाने लोग हैं, अपने नही हैं अपना मात्र है। इक आश के किरण बनके मेरे "मित्रामिय" तुम याद बहुत आते हो ।। #Poetry

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Tanu Bhardwaj

 मेरे मित्रमिय !!!!!!

लकीरें नहीं मेरे हाथों पे तेरी
फिर भी  सपने हजारो साजये फिरू 
तुझमे बसने की मेरी  औकात नहीं 
इसलिए यूं  तुझसे नजरे छूपये फिरू ।

मैं बेताब  रहती  हूँ  तेरे  लिए

मेरे मित्रमिय !!!!!! लकीरें नहीं मेरे हाथों पे तेरी फिर भी सपने हजारो साजये फिरू तुझमे बसने की मेरी औकात नहीं इसलिए यूं तुझसे नजरे छूपये फिरू । मैं बेताब रहती हूँ तेरे लिए #Poetry

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