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ishagoswami1238
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Where Isha Writes...

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Where Isha Writes...

मैंने देख है 
मैंने देखा है खुद को बदलते हुए 
सपनो के आसमान में उड़ते हुए 
मैंने देखी है अपनी परछाई 
तुझसे कदम से कदम मिलते हुए 
मैंने देखा है अपना वो मुस्कुराता चेहरा 
सिर्फ तेरी खातिर हर शाम ढलते हुए 
मैंने देखी है अपनी झिझक को  
हक़ से तेरा हाथ पकड़ते हुए 
मैंने देखा है खुद को
बिना तीज त्योहार सवरतें हुए 
मैंने देखा है बिना जाम 
किसी नशे में बहकते हुए 
हाँ मैंने देखा है खुद को तेरा होते हुए ❤

©Where Isha Writes... #Chhavi
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Where Isha Writes...

एक छोटी सी पगडंडी से हो कर 
गुज़रता है स्त्री की जीवन
समाज जिसे मर्यादा कहता है

©Where Isha Writes... #stree #maryada
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Where Isha Writes...

हर रात एक नया ख्याल, फ़कत उठता वही सवाल 
इर्द गिर्द है सब कमाल, फिर क्यों जिंदगी बवाल.....??

©Where Isha Writes... #hand
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Where Isha Writes...

कभी सोचती हूँ 
लिखूँ उसे अपनी पसंदीदा किताब की तरह....!! 
हर पन्ने पर उतारू किस्से 
लफ्ज़ दर लफ्ज़ उसे बया करूँ 
किसी एक कहानी में खूबसूरत लिखूँ उसे 
कहीं उसकी उलझी सी जिंदगी बताऊँ 
अनजान ही रखू उसे दुनिया से 
फिर भी सबसे उसको मिलाऊँ 
पहले पन्ने पर तो होगी शुरू 
आखिर सिरा मै खुद ढूंढ न पाऊँ 
मुक्कमल करूँ उसे अपनी लिखावट में 
एक जिंदा तस्वीर उसकी सादे काग़ज़ पर बनाऊँ 
कभी सोचती हूँ 
लिखूँ उसे अपनी पसंदीदा किताब की तरह....!!
@where_isha_writes

©Where Isha Writes...
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Where Isha Writes...

वाक़िफ़ हूँ तेरी वफा से, पता है मुझे मेरी अना का 
मोहब्बत बेवफा तो नही बेमन्ज़िल हो सकती हैं.... 

मुख्तालिफ किनारों पर खड़े है दोनो 
साहिल ढूँढने में मुश्किल हो सकती है...... 

तेरे जाने से वीरान पड़ जायेगा मेरा घर 
चाँद के बिना सितारों की कैसे महफ़िल हो सकती है..... 

भुला दे जो दोनों गम _ ए_ इश्क़ एक दफा 
फिर शायद जोड़ी हमारी कामिल हो सकती है.......
ईशा ❤

©Where Isha Writes... #Rose
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Where Isha Writes...

मैं नही जानती  

मैं नही जानती तुझसे बंधी ये डोर 
कितनी कच्ची है कितनी पक्की है.... 
पर तेरी उंगलियो के पकड़ के सहारे 
पूरी दुनिया मैं निश्चिंत घूम लेती हूँ....... 

मैं नही जानती तुझमें क्या वो ऐसी बात है 
जो मुझे सबसे अजीज है ..... 
पर तेरे चेहरे की रौनक से 
दर्द में भी झूम लेती हूँ.... 

मैं नहीं जानती कि तुम कोई जादूगर हो 
या उपर वाले का करम .. ... 
पर जब से आये हो 
तेरी तस्वीर चूम लेती हूँ ......... 

मैं नही जानती तुझसे मोहब्बत ज़रूरतन हैं 
या बेमकसद ही तुझपे मर रही ............
पर जिक्र तेरा जुबान पर आये तो 
आँखो से तेरा अक्स बुन लेती हूँ ............ 
 
मैं नहीं जानती तेरी मोह की बातें
इतनी रिझाने क्यों लगी है ......... 
पर मैं भी अपना सब भूल 
तेरी कहानियाँ सुन लेती हूँ .......... 

मैं नही जानती तेरा मकसद, तेरी मंज़िल का
मुझसे क्या वास्ता होगा .............. 
पर मैं अपनी राहों का हमसफर 
तुझे ही चुन लेती हूँ. ............ 

मैं नही जानती तुझमें मेरी हर उलझन 
को सुलझाने की कैसी काबिलियत है ............ 
पर तेरे साथ के तसव्वुर से ही 
मैं मुश्किल पड़ाव आसान कर लेती हूँ ........... 

मैं नही जानती तेरे करीब होने से 
मेरी शक्सियत क्यों मुकम्मल हो जाती है ........... 
पर ये तुझसे बिछड़ने के ख्याल से ही 
अपनी दुनिया शमशान कर लेती हूँ ............... 

मैं नही जानती तु सुकून मेरी खातिर 
किस भाव लाता है .............. 
पर मैं हर दफा तुझे तौफे में क्या दूँ 
सोचकर खुद को परेशान कर लेती हूँ ...............

©Where Isha Writes... #bornfire
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Where Isha Writes...

शज़र की तमन्ना है आसमान को पाना 
इतना आसान तो नही तेरा मेरा हो जाना 

वाक़िफ़ हूँ अपने हालात से मै फिर भी 
दुनिया भर के दुखो के बावजूद मुस्कुराना 

लोगों का क्या है इनसे तमाशे की ही आस है 
दिल चीर जो देता है वो है तेरा बिछड़ना 

आशना नही हुई कभी मोहब्बत की दहलीज़ 
और ज़माने भर को नज़र आता है मेरा ये मिज़ाज़ आशिक़ाना 

हो गयी है आग ठंडी तो अब इसे हवा न दे 
ये लौ फिर जली तो मुश्किल है तेरा बच पाना 

तु सोचता है मै तेरी ख्वाहिश तुझसे ही करूँगी 
हाय!! तेरा यूँ मेरी शखसियत को गलत समझना 
 ईशा ❤

©Where Isha Writes... #Morning
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Where Isha Writes...

क्या लिखूँ ? 
एकाएक सब बदलते गया 
बचपन की याद कोरी होते गयी 
खिलौने बचकाने लगने लगे 
मीठी गोलियों का अब लालच नही रहा 
बाहें फैलाकर भी न समेट पाती थी पहले 
अब वो दोस्त गिनती के रह गए 
दुनिया की दौड़ में कभी बचपन छुटा 
तो कभी अपने छुट गए 
सब पीछे रह गया सबसे आगे आने की होड़ में 
देखते देखते सब बदल गया 
और मै बस देखते रह गयी........!!!! 
ईशा ❤

©Where Isha Writes... #RailTrack
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Where Isha Writes...

कितना सुना लगता है न सब तुम्हारे बिना 
ये दिन बस खामखा गुज़र रहा है 
बातें होती है पर समझने वाला कोई न हो 
ये रास्ते सारे बेमंज़िल से लगते है 
दरख्तो पर जैसे भरे सावन पतझड़ हो 
हज़ारो की भीड़ मे भी अजीब सी विरानीयत है 
इन महफिलो को भी जैसे नज़र लगी हो 
मेहंदी का रंग फीका फूलों मे खुशबू कम है 
श्रृंगार का जैसे कोई मतलब ही न हो 
बैचैन सी कैफियत बेहाल दिल नज़र आता है  
कि जैसे चल तो रहा है जिस्म पर बाकी न जान हो 
ईशा ❤

©Where Isha Writes... #Heart
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Where Isha Writes...

कसूर नहीं सितारों का जो आसमान में बिखर आये
हमारा चाँद हमसे रूठा है कोई बताये हम किधर जाये? 

फिर रहे है उसकी तलाश में दर बदर 
शायद उसके दीदार के बाद हम सुधर जाए 

कर ले कुछ अलग उनकी दीवानगी के खातिर 
मसला ये है की उन तक न कोई ख़बर जाए 

कर रखा है खुद को ज़प्त सिर्फ एक शख्श की वजह से 
जी में आता है कभी कभी सारे बंधन तोड़ बस मर जाए 
ईशा ❤

©Where Isha Writes... #chaand
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