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सुसि ग़ाफ़िल

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सुसि ग़ाफ़िल

कोई खास नदी की मिट्टी हो तुम
महकती तो ज्यादा सुखने के बाद

जन्म दिन की शुभकामनाएं सिमरन Blessings 🍃🌺


कोई खास नदी की मिट्टी हो तुम
महकती तो ज्यादा सुखने के बाद

रफ़्ता-रफ़्ता रमती गई ग़ाफ़िल
मेरे  पास  तुम  रूकने  के  बाद

Blessings 🍃🌺 कोई खास नदी की मिट्टी हो तुम महकती तो ज्यादा सुखने के बाद रफ़्ता-रफ़्ता रमती गई ग़ाफ़िल मेरे पास तुम रूकने के बाद #testimonial

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सुसि ग़ाफ़िल

अगर बंद हो गया यहाँ से 
आना जाना हम यहाँ मिलेंगे

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सुसि ग़ाफ़िल

खामोशियों के दरबार में आए हो " ग़ाफ़िल "
चेहरे से हंसी का मुखौटा तो उतारना पड़ेगा | खामोशियों के दरबार में आए हो " ग़ाफ़िल "
चेहरे से हंसी का मुखौटा तो उतारना पड़ेगा |

खामोशियों के दरबार में आए हो " ग़ाफ़िल " चेहरे से हंसी का मुखौटा तो उतारना पड़ेगा |

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सुसि ग़ाफ़िल

मैं हक़ की बात करूँगा तो मारा जाऊंगा , 
मैं पागल-3 "ग़ाफ़िल" पागल ही ठीक हूँ | मैं हक़ की बात करूँगा तो मारा जाऊंगा , 
मैं पागल-3 "ग़ाफ़िल" पागल ही ठीक हूँ |

सुसिल ग़ाफ़िल

मैं हक़ की बात करूँगा तो मारा जाऊंगा , मैं पागल-3 "ग़ाफ़िल" पागल ही ठीक हूँ | सुसिल ग़ाफ़िल

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सुसि ग़ाफ़िल

मुलाक़ातों  की  यादों से कहाँ बसर होगा 
मिरी जान मैं तिरी मांग की सिंदूरी गंगा हूँ | मुलाक़ातों  की  यादों से कहाँ बसर होगा 
मिरी जान मैं तिरी मांग की सिंदूरी गंगा हूँ |

सुसिल ग़ाफ़िल

मुलाक़ातों की यादों से कहाँ बसर होगा मिरी जान मैं तिरी मांग की सिंदूरी गंगा हूँ | सुसिल ग़ाफ़िल

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सुसि ग़ाफ़िल

"ईश्वर का सबसे पसंदीदा सगीत रुदन है"... 


खैर जाने दो 

ईश्वर अंधा है, 
अंधाधुंध पाप है, 
ईश्वर ने कहा मृत्यु में पुण्य है, 

मगर ईश्वर ने कभी पुण्य कमाया ही नहीं....  "ईश्वर का सबसे पसंदीदा सगीत रुदन है"... 

इस बार की दिवाली दिये जलाकर नहीं बल्कि शमशान के गलियारों में उठती चिताओं की आवाज..... 

खैर जाने दो 

ईश्वर अंधा है, 
अंधाधुंध पाप है,

"ईश्वर का सबसे पसंदीदा सगीत रुदन है"... इस बार की दिवाली दिये जलाकर नहीं बल्कि शमशान के गलियारों में उठती चिताओं की आवाज..... खैर जाने दो ईश्वर अंधा है, अंधाधुंध पाप है,

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सुसि ग़ाफ़िल

मैं कोई प्रयाश्चित में बीन गया हूँ..... अभी-२ जो देखा था मैंने देख नहीं पाता हूँ अक्सर.... मृत पत्तियों पर पड़ी चासनी की बूंदों का स्वाद ऐसा था कि बहुत सुंदर चीज़ सुंदर नहीं माथा की कील का केंद्र होती है... मुझे लगता है लगभग ये संसार मिट चुका है... हम इसलिए बचे हैं लाशों के मुंह से निकले झाग हमारी आंखों पर लगे है जिस दिन ये झाग खत्म होंगे निश्चित ही नीले होने से पहले हम मृत्यु के द्वार से आगे होंगे.... 

 मैं कोई प्रयाश्चित में बीन गया हूँ..... अभी-२ जो देखा था मैंने देख नहीं पाता हूँ अक्सर.... मृत पत्तियों पर पड़ी चासनी की बूंदों का स्वाद ऐसा था कि बहुत सुंदर चीज़ सुंदर नहीं माथा की कील का केंद्र होती है... मुझे लगता है लगभग ये संसार मिट चुका है... हम इसलिए बचे हैं लाशों के मुंह से निकले झाग हमारी आंखों पर लगे है जिस दिन ये झाग खत्म होंगे निश्चित ही नीले होने से पहले हम मृत्यु के द्वार से आगे होंगे.... 

०७/१०/२२ रात्रि

मैं कोई प्रयाश्चित में बीन गया हूँ..... अभी-२ जो देखा था मैंने देख नहीं पाता हूँ अक्सर.... मृत पत्तियों पर पड़ी चासनी की बूंदों का स्वाद ऐसा था कि बहुत सुंदर चीज़ सुंदर नहीं माथा की कील का केंद्र होती है... मुझे लगता है लगभग ये संसार मिट चुका है... हम इसलिए बचे हैं लाशों के मुंह से निकले झाग हमारी आंखों पर लगे है जिस दिन ये झाग खत्म होंगे निश्चित ही नीले होने से पहले हम मृत्यु के द्वार से आगे होंगे.... ०७/१०/२२ रात्रि

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सुसि ग़ाफ़िल

वो यक़ीन नहीं करता मुझे मौहब्बत है उससे
मिरी खाट के सिरहाने पर भी उसके चर्चे चलते हैं

कितना कमज़ोर हो गया " ग़ाफ़िल " डर डरकर
तू ऐसा कर आजा किसी और शहर में चलते हैं | मेरी यात्रा में पांव नहीं कंधे चलते हैं 
बिस्तर  पर  नींद  नहीं धंधे चलते हैं

चलती तो है सांसें भी मगर 
सांसों से ज्यादा मेरे मसले चलते हैं

मारा जाऊंगा एक दिन भागते-२
इसलिए कभी कबार जाम चलते हैं

मेरी यात्रा में पांव नहीं कंधे चलते हैं बिस्तर पर नींद नहीं धंधे चलते हैं चलती तो है सांसें भी मगर सांसों से ज्यादा मेरे मसले चलते हैं मारा जाऊंगा एक दिन भागते-२ इसलिए कभी कबार जाम चलते हैं

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सुसि ग़ाफ़िल

मेरी रूह के दायरे को क़ैद कर दिया लाल धागे के बंध से मैं स्तब्ध हूँ ईश्वर की हरकत को देख कर हालांकि मैं जानता हूँ ईश्वर ने अब अपनी जिम्मेदारियां बढ़ा ली है

अततः ईश्वर ने जिंदें लोगों की राख मांगी है | मेरी रूह के दायरे को क़ैद कर दिया लाल धागे के बंध से मैं स्तब्ध हूँ ईश्वर की हरकत को देख कर हालांकि मैं जानता हूँ ईश्वर ने अब अपनी जिम्मेदारियां बढ़ा ली है

अततः ईश्वर ने जिंदें लोगों की राख मांगी है |

मेरी रूह के दायरे को क़ैद कर दिया लाल धागे के बंध से मैं स्तब्ध हूँ ईश्वर की हरकत को देख कर हालांकि मैं जानता हूँ ईश्वर ने अब अपनी जिम्मेदारियां बढ़ा ली है अततः ईश्वर ने जिंदें लोगों की राख मांगी है |

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सुसि ग़ाफ़िल

क्षण भर के लिए नहीं बल्कि 
कई दिनों से उदास पड़ा हूँ 
मीलों की यात्रा के बाद भी

मुझे लगता है 
ईश्वर ने मुझे गहरी नींद में 
सुलाने की कोशिश की है 

मगर

वो भूल गया 
जलती चिताओं के दौरान 
आंख नहीं लगती

लिखते-२ ईश्वर को नींद आ गई
हाथ की कलम मेरी आँख में जा लगी

अततः ना बची ना आंखों की दुनिया

मन बैठा है इस बात को लेकर
ईश्वर ने यह गलती जान बुझकर की है | क्षण भर के लिए नहीं बल्कि 
कई दिनों से उदास पड़ा हूँ 
मीलों की यात्रा के बाद भी

मुझे लगता है 
ईश्वर ने मुझे गहरी नींद में 
सुलाने की कोशिश की है

क्षण भर के लिए नहीं बल्कि कई दिनों से उदास पड़ा हूँ मीलों की यात्रा के बाद भी मुझे लगता है ईश्वर ने मुझे गहरी नींद में सुलाने की कोशिश की है

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