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kisalaykrishnava8282
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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

Poet, Writer, Social Activist And Telecom Professional

kavi.nishchhalkisalay

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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

White खोना तो चाहता हूँ, 
पर वो  आंखें कहाँ, 
जो भटका दे हमें, 
वो जुल्फें कहाँ  हैं 
जो उलझा दें हमें, 
या वो ही मिल जाये 
जो समझा दे हमें l

©"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI) #sad_qoute
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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

White रात तन्हा है या चांद तन्हा है, 
शायद तन्हाई में उनको 
घूरता हूं मैं l

©"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI) #good_night
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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

White तुम्हें खोकर ऐसा क्यूँ लगता है, 
जैसे हमने ख़ुद को खो दिया है l

©"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI) #good_night
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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

White रिश्ते आज़माने का अलग  नज़रिया है दोनों का  
हम उसका अकीदा देखते हैं  और वो मेरा रसूख

©"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI) #Sad_Status
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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

Unsplash लिख दूँ क्या, वो जो तुम चाहते हो, 
या वो लिख दूँ जो मैं चाहता हूँ, 
दोनों में फर्क़ ये है, 
तुम जो चाहते हो , वो दिखावा, 
मैं जो चाहता हूँ  ,
वो  हकीक़त l

©"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI) #Book
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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

White रात अंधेरी ही सही, दिया रोज़ जलता है,
आगाज़ ए सुबह फिजां में फूल खिलता है ,

बहुत खूबसूरत होती हैं, अनजानी राहें, 
हर मोड़ पर कुछ ना कुछ नया मिलता है,

©"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI) #sad_quotes
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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

White कई मर्तबा यादें  हकीक़त से ,
खूबसूरत होती हैं, 
अक्सर तन्हाई काटने की ,
अपनी जरूरत होती हैं l

©"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI) #love_shayari
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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

White ख़ुद उजाड़ी बगिया चाहतों की  अपनी 
ख़ुद से शिकायत रही तुमसे गिले नहीं ,

कलम किया ऐसे दरख़्तों के शीश-ए-दिल 
बहारों ने दम दिखाया पर गुल खिले नहीं,

चाहते तो ख़ुद खोकर उसे पा लिया होता 
अडिग थी शख्सियत ज़मीर से हिले  नहीं,
 
अब तो कटती है जिंदगी दीवार घड़ी जैसी 
 जो समय को पंख देती, ख़ुद के खुले नहीं,

लगा दी पाबंदियां तुमनें इजहार करने  पर 
 लब अब तक ख़ामोश हैं कभी हिले नहीं ,

रेल की पटरी सी रही मुसाफ़िरी उल्फत की 
मंज़िल तो  एक थी पर सफ़र में  मिले नहीं l

©"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI) #Sad_Status
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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

Red sands and spectacular sandstone rock formations  गुफ़्तगू होती रही हम  दोनों के दरमियाँ, 
वो अपनी कहता गया  और मैं सुनाता रहा, 

ना रही  फ़िक्र उसको ज़माने की कभी 
मैं तो  ज़माने को हरदम आजमाता रहा, 

दिखती हैं मजबूरियाँ मेरी, उसकी आँखों में
फ़िर भी ज़माने की ख़ातिर नक़ाब लगाता रहा, 

ख़ूब होती है बातें बेज़ार रो लेता हूँ निश्छल
उसे अपनी नाकामियों से अवगत कराता रहा ,

जानता हूँ मुझसे ज़्यादा फ़िक्र उसको है मेरी 
सामने खड़े होकर मुझे  वो ढाढस बंधाता रहा ,

कोई आ नहीं सकता कभी हम दोनों के दरमियाँ 
 उससे मिलने के लिए सामने आईना लगाता रहा l

©"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI) #Sands
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"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

White मेरा लहजा  बदल गया है
ऐसा लोगों में  बात गयी हैं, 
पहले जैसे अब दिखते नहीं 
मेरे अब वो ख़यालात नहीं, 

कैसा था अब क्य़ा हुआ हूं 
इसके कारण  तुम ही हो, 
बदलाव तुम्हें ही पाना था 
शिकायत वाले  तुम ही हो ,

कुछ चिढ़ा चिढ़ा सा रहता हूँ 
ख़ुद भिड़ा भिड़ा अब रहता हूँ ,
खोकर ख़ुद कुछ नया मिला नहीं 
मंज़िल से मुड़ा मुड़ा सा रहता हूँ

©"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI) #sad_quotes
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