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suryadeepkushwah2288
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Surya deep kushwaha

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Surya deep kushwaha

नारी तू महान है  
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नारी तू महान है  
प्रकृति की वरदान है 
जीवन की पहचान है 
इस बात का भान है 
कष्ट बहुत सहती है 
मुंह से कुछ न कहती है 
मिलता नहीं सम्मान है 
पुरुष की तरह ही इंसान है 
कभी कभी बहुत तकलीफ होती है 
तेरी दुर्दशा देखी नहीं जाती है 
जब तू कोख में मारी जाती है 
समाज का विकृत रूप नजर आती है 
तेरे आंख से आँसू बहती है 
दुनिया फब्तियां कसती है 
सबको हर रिश्ता चाहिए 
फिर क्यों बेटी नहीं चाहिए 
बेटी -बेटा एक समान 
मत छीनों उनकी बचपन 
अच्छी परवरिश का रखना ध्यान है 
समाज में बढ़ेगा संस्कार की खान है 

- सूर्यदीप कुशवाहा नारी तू महान है

नारी तू महान है

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Surya deep kushwaha

कोरोना वायरस से बचने के उपाय

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Surya deep kushwaha

मजहब कोई भी माना जाए...

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Surya deep kushwaha

 अमन का पैगाम

अमन का पैगाम #nojotophoto

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Surya deep kushwaha

कविता :- शहर और गांव

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Surya deep kushwaha

महाशिवरात्रि स्पेशल

महाशिवरात्रि स्पेशल #nojotovideo

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Surya deep kushwaha

स्वतंत्रता दिवस पर कविता

स्वतंत्रता दिवस पर कविता

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Surya deep kushwaha

ओ मेरे प्रभु गणेश जी

ओ मेरे प्रभु गणेश जी

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Surya deep kushwaha

हे अबला तू काली बनकर 
दुष्टो का संहार करो 
तेरी लाज बचाने हे अबला 
कलयुग में कान्हा ना आएंगे 
खुद ही शत्र उठाकर 
हे अबला तू दुष्टो का संहार करो 

- सूर्यदीप कुशवाहा हे अबला !!

हे अबला !!

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Surya deep kushwaha

बूढ़े आदमी की व्यथा 

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आता क्यों नहीं कोई मेरे पास 

मैं बूढ़ा अँधेरे में घुट जाता हूँ 


मेरे ही बनाई दौलत को उड़ा रहे हैं  

सब समझते हैं मैं किसी काम का नहीं 


मीठे दो बोल के लिए तरस जाता हूँ 

उन्हें फिर भी बद्द्दुआऍ नहीं देता हूँ 


मैं उन्हें चाहता हूँ बहुत 

इसीलिए सब सह जाता हूँ 


मेरी आँखों में एक उम्मीद है 

शायद इसीलिए अब तक जिंदा हूँ 


आज वह मुझे बोझ समझते हैं 

जिन्हें बचपन में चलना सिखाया हूँ 


तसल्ली नहीं आँख छलक उठती है

अपनी बेहाली पर बस आँसू बहाता हूँ 


बूढ़ा आदमी हूँ तो क्या हुआ 

मैं अभी भी इंसान ही तो हूँ 


                      - सूर्यदीप कुशवाहा 

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