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chandanpandey5579
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Chandan Pandey

एक दिन निकलूंगा, चार दीवारों के बीच से मैं भूखा हूं, तलाश मे हूं, पर अभी मिला नहीं हूं मैं....👺~Sanu

https://youtube.com/@pcsprepguide?si=H6N2baGuKSIVVxUC

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Chandan Pandey

Maa ka Aanchal

©Chandan Pandey
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Chandan Pandey

बचपन के दिन

©Chandan Pandey
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Chandan Pandey

White  उन पहचानी आंखों में कुछ सपने पलते देखे हैं
ठंडी के इस ठिठुरन में हर शख्स को जलते देखे हैं
रातों में टिम टिम तारों के बीच उलझते देखें हैं
कभी बचाते कभी छिपाते बात बदलते देखे हैं
25 गज की पुड़िया में कई राज दबा के बैठे हैं
सतरंगी दुनिया के कई साज छिपा के बैठें हैं
दीवारों की सीलन की कुछ गंध छिपी है कमरों में
रिश्ते भी अब बिखर रहे और सिमट रहे है कमरों में
मुखर्जी नगर की गलियों में कई ख्वाब पिघलते देखे हैं
रातों में कई तह के अंदर कई सपने जलते देखे हैं

©Chandan Pandey #upscaspirants  
https://www.instagram.com/reel/DAyg4AmNuoU/?igsh=MTFmYTRiOGVnNzFjdA==

#upscaspirants https://www.instagram.com/reel/DAyg4AmNuoU/?igsh=MTFmYTRiOGVnNzFjdA== #Poetry

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Chandan Pandey

White Sanu Pandey

©Chandan Pandey
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Chandan Pandey

कुछ ख़्वाब टूटे, कुछ ख़्वाब छुटे
कहानी कई हैं, बताऊं किस बूते
ये दुनिया अब काटे, किनारे को छांटे 
मै खुद में हूं सिमटा और मंजिल भी डांटे
चले हो फतह करने, सिकंदर के जैसे
कमर टेक बैठे, विपाशा के आगे
चलो अब खड़े हो, कलम के सहारे
कलम के सिपाही, क्यूं! हिम्मत हो हारे 
ये डर कैसा, है जो तुम्हे लग गया
गर आंधी धारा पे, गगन छू के आ
ये बातें भी सुन, जो तुम्हारे गढ़े
अभी मंजिल आगे, इधर क्यों खड़े
मै फिर से हंसा, और आंसु छिपा
कुछ शब्द हैं गढ़े और फिर से लिखा 
कई रास्ते पे हैं, पत्थर बिछे
क्या हस्ती है, अब वे गिरा दे मुझे
जो अबकी गिरा तो फिर ऐसे उठूं 
तुम मानो, मैं शिव का पताका विजय

©Sanu Pandey #alone 
Vipasha-Beas River
#emptiness #Sanupoetry
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Chandan Pandey

tu kabhi thakega nahi, 
tu kabhi rukega nahi ,
kar sapath, kar sapath
Agni path

tu kabhi thakega nahi, tu kabhi rukega nahi , kar sapath, kar sapath Agni path #Motivational

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Chandan Pandey

भूख की गर्माहटों से 
    रात भर जगता रहा 
        उस क्षितिज को देखकर
            वो खूब ललचाता रहा 

चांद पर उंगली रखी है, 
    आज उसको खाने को 
         मां ने उसको चुप किया है, 
             थपकी दी सो जाने को
 
क्या ही ये वो समझ पाता 
   की रोटी है, या चाँद है
        भूख गहरी आँखे, टिमटिम
             भोलेपन का भाव है 

रुग्णता से देह कप-कप
    फिर भी मन मे आश है
        आज नही तो कल सही
           ये कई जन्मों का प्यास है

©Sanu Pandey
  भूख की गर्माहटों से 
    रात भर जगता रहा 
        उस क्षितिज को देखकर
            वो खूब ललचाता रहा 

चांद पर उंगली रखी है, 
    आज उसको खाने को 
         मां ने उसको चुप किया है,

भूख की गर्माहटों से     रात भर जगता रहा         उस क्षितिज को देखकर             वो खूब ललचाता रहा चांद पर उंगली रखी है,     आज उसको खाने को          मां ने उसको चुप किया है, #Poetry

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Chandan Pandey

हिम्मत से हथियार बना
कोरे मन मे भाव बना
साथी जो भी थके राह पर
मूछ दिखा के ताव बना....

©Sanu Pandey
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Chandan Pandey

एक तेरी नहीं से 
कई ख़्वाब टुटे 
कुछ बिखरे
शाखों से 
कुछ अंकुरण
पर फूटें  
क्या सपने सजे थे 
दिवस के सुनहले
क्या वो भी धरा पे
धरे ही रहेंगे
मै दुल्हन बनूंगी
तू बन मेरा राजा
बसंती के फूलों से
मंडप है साजा
मेरी डोली की
कुछ अनगढ़ कहानी 
ना तू मेरा राजा 
ना मै तेरी रानी

©Sanu Pandey
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Chandan Pandey

ए पथिक तू रुक तनिक 
कितनी दूर तू जाएगा 
सँभल जरा विचार कर 
कहीं पथ भ्रमित हो जाएगा 

कठिनाइयों की बेड़ियों से 
खुद को लिपटा पाएगा 
गर फस गया मझधार में 
तो पार कैसे जाएगा 

गर हो तनिक भी धैर्यता 
तो बाट की पहचान कर 
प्रयाण करना हो अगर 
तो साथी की पहचान कर 

गर साथ में साथी ना हो 
तो स्वयं को साथी बना 
अपनी भुजाओं को घुमाके 
इंद्र का गांडीव बना..

©Sanu Pandey
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