Nojoto: Largest Storytelling Platform
rahuldubey3490
  • 16Stories
  • 35Followers
  • 120Love
    390Views

rahul Dubey

  • Popular
  • Latest
  • Video
80d24cd4555e281dcc27ffe864b13d55

rahul Dubey

80d24cd4555e281dcc27ffe864b13d55

rahul Dubey

चिट्ठियां 

            (1)

चिट्ठियों ने सिखाया हमें 
प्रेम की सबसे पवित्रतम अभिव्यक्ति का कायदा
इन्हीं से जाना हमने 
प्रतीक्षा के फैले रेगिस्तान में छिपे शीतल कूप का ठिकाना
और ये समझे हम कि
सब कुछ नहीं होता महज लिखे में 
बल्कि शब्दों की डोर पकड़ उड़ना होता है 
अनकही भावनाओं के आसमान में 

हमने सीखे चिट्ठियों से ही
उन्हें सहेजने के कई-कई सलीके
कुछ को छोटे-छोटे टुकड़े कर हम उन्हें बिखेर देते थे खेतों में 
उनमें उग आईं फसलों को सहेजते थे
चिट्ठियों में लिखे संदेश की तरह ही
कुछ को उड़ा देते थे हम हवा की दिशा में बिना पता-ठिकाना
छत पर चाँद आता था लेकर जवाबी चिट्ठी
जागती आँखें बांचती थी उसे तकिये पर टिकाये सारी रात
कुछ चिट्ठियां हमने रख ली संदूकों में संभालकर
कुछ मन की परतों में दबाकर
जो निकल आतीं हैं 
हमारे अकेलेपन के अंधेरों में अभी भी 
बनकर के रोशनी

            (2) 

कुछ चिट्ठियां कभी नहीं पहुँची अपने ठिकानों पर
कुछ लग गईं गलत हाथों में 
कुछ के जवाब नहीं आए कभी
कुछ मन पर ही लिखीं गईं उतरी नहीं कागज़ पर
कुछ चिट्ठियों आईं अपने अंतिम होने की घोषणा के साथ 
पर चिट्ठियां जहाँ भी रहीं जिस रूप में रहीं
जिंदगी की चाशनी से लिपटीं रहीं 
चिट्ठियां जिंदगी के प्रेम में थीं 

          (3)

पिता परदेस रहते थे
अनपढ़ माँ गाँव में ही छूटी रही थी बरसों
पर मैंने देखा था कि
चिट्ठी बन कैसे जब-तब
पिता आ जाते थे गाँव 
माँ चली जाती थी शहर

मैं छोटा था 
लिखना-पढ़ना सीखा ही था
माँ मुझसे ही लिखवाती और पढ़वाती थी चिट्ठियां 

बहुत सी बातें नहीं समझता था
पर पहचानता था 
माँ की आँखों में उड़े जुगनुओं को
उनमें लहराती नदी को
चिट्ठी सुनते हुए थोड़ी देर रुक जाने और पंक्तियाँ दुहराने को उसका कहना 
या लिखवाते हुए बोलते-बोलते चुप हो जाना खलता था मुझको

मैं इतना जानता था कि ये जुबान, कान या ध्यान का नहीं 
कुछ और मामला है

आज तक याद है उसकी लिखवाई हर चिट्ठी की अंतिम पंक्ति-
'बाकी आप तो खुद समझदार हैं, थोड़ा लिखना बहुत समझना'
मैंने चिट्ठियों से ही जाना 
कि कितना जरूरी है कुछ अनकहा रह जाना

चिट्ठियां मेरी पहली तालीम थीं 
इस दुनिया और दूसरी दुनिया के बारे में।

           (4)

इच्छाएं भी अजीब हैं 
मोबाइल के इस दौर में भी मैं 
अपने बच्चों को सिखाना चाहता हूँ चिट्ठी लिखना
जिसे लिखना सीखा था मैंने अपनी अनपढ़ माँ से
वो हर महीने लिखवाती थी चिट्ठी 
परदेस गये पिता के लिए

मैं उन्हें बताना चाहता हूँ 
प्रेम में शब्दों की कीमत
रोकना चाहता हूँ उनकी फिज़ूलखर्ची 
और पैदा करना चाहता हूँ 
थोड़े लिखे में ज्यादा समझने का माद्दा

मैं उन्हें देना चाहता हूँ 
प्रेम में दूरी के गणित को सुलझाने का सूत्र 
प्रतीक्षा की बागबानी को हरा रखने का सलीका
शब्दों को देर तक पकाने
उन्हें कागज़ पर परोसने
और दूर देश में अपनी प्रेमिका या प्रेमी तक पहुँचा पाने में लगे समय के कौतूहल को जीने का अवसर
जवाब आने की नाउम्मीदी में भी उम्मीद पालने का हुनर

चिट्ठियों के अलावा 
कौन सिखाएगा उन्हें ये सब
क्या मोबाइल?

            (5)

चिट्ठियां लौटती हैं 'हाँ' बनकर तो
प्रेमी खिल जाते हैं 
प्रेमिका का पसंदीदा फूल बनकर 
और यदि 
वे आतीं हैं 'ना' बनकर
तो प्रेमी खाद बन जाते हैं 
और घुल जाते हैं मिट्टी में 
कि खिल सकें फुलवारियां।

         (6)

सबसे ज़्यादा 
परेशान होता हूँ ये सोचकर
कि चिट्ठियां लिखने और बांचने वाली
अंतिम पीढ़ी के लोग हैं हम

सोचता हूँ 
चिट्ठियों के बिना ये दुनिया 
कैसे रहेगी?
क्या प्रेम करने वाली अंतिम पीढ़ी हैं हम?

- आलोक कुमार मिश्रा 

#WorldPostOfficeDay पर कविता का एक अंश, जिसका पोस्टर बनाया है Ajamil Vyas सर ने।

©rahul Dubey #Moon
80d24cd4555e281dcc27ffe864b13d55

rahul Dubey

कविताएं उन मुसाफिराें के लिए हैं 
जो भटक गए हैं 
दुःख के मरुस्थल में  
उन सूख चुके कंठो के लिए
बहती नदी और ठंडी छांव हैं कविताऐं ।

★

©rahul Dubey #cloud
80d24cd4555e281dcc27ffe864b13d55

rahul Dubey

मैं किसी नए घर में रखे ,
पुराने फर्नीचर की तरह हूँ,
मुझे मालिक ने लगाव भरी निगाह में रखा ,
लोगों ने उपेक्षाओं भरी ,

सच तो यह है कि मुझे ,
आर्थिक तंगी के चलते रखा गया ,
मेरा हर रोज का भोजन ताना है।
"पैसे आते ही पहले इसे बदलो "
"ये कुछ जम नहीं रहा भाई इसे बदलो",
"क्या तुम भी ! नए घर में पुराना फर्नीचर"

सारी दुनिया में ताना एक ऐसा भोजन है ,
जो उसे खाता है ताना उसे खा जाता है ।

मैं अपने मालिक की आंखों में,
प्रेम देखकर जी उठता हूँ
और लोगों की आंखों में 
उपेक्षा देखकर मर जाता हूँ ।


राहुल दूबे

#repost

©rahul Dubey #FadingAway
80d24cd4555e281dcc27ffe864b13d55

rahul Dubey

#अयोध्या
80d24cd4555e281dcc27ffe864b13d55

rahul Dubey

#ayodhya
80d24cd4555e281dcc27ffe864b13d55

rahul Dubey

 #rahul
80d24cd4555e281dcc27ffe864b13d55

rahul Dubey

#rahul
80d24cd4555e281dcc27ffe864b13d55

rahul Dubey

#राहुल
80d24cd4555e281dcc27ffe864b13d55

rahul Dubey

#Pehlealfaaz हमारे अश्क छलकने पे गाैर मत कर,अब तू एक साँस में फैसला सुनाता जा
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile