मस्जिदें तुमने बनाई
मंदिरों को तोड़कर
मस्जिदें क्या बन नहीं सकती थीं?
मन्दिरों को छोड़कर
(छोड़कर=बगल या अन्यत्र)
✏️कुमार विश्वास #मोटिवेशनल
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Bazirao Ashish
Duty के सिर्फ 8 घण्टे जो मज़दूर हैं
वही बाकी के समय ग्राहक होते हैं।
इसलिए
कम्पनी में घटिया सामान बनाने वालों,
भोजन में जहर मिलाने वालों
एक निवाला तुम खाओगे,
आज नहीं तो कल पाओगे। #जानकारी
#लालबहादुरशास्त्री_जयंती
जिन्हें पसन्द हो अहिंसा
वो अपने पास रख लें
दस बारह दर्जन चूड़ियों का
वो शृङ्गार रख लें।
हम बलिदानियों के पुजारी
सदा हिंसा ही जाने हैं #कविता
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Bazirao Ashish
सरकारी नौकरी वालों की
केवल तनख़्वाह ही सरकारी होती है।
ख़र्चे उनके भी निजी (Private) होते हैं,
बिल्कुल आपके तरह।
●आशीष●द्विवेदी● #ज़िन्दगी
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Bazirao Ashish
हम तकते ही रहे उनके गुलाबी गालों को
और
किसी ने उन पर #काला_जादू कर दिया।
●आशीष●द्विवेदी● #शायरी
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Bazirao Ashish
अब मेरा क्या काम रहा?
न ही मुझमें प्राण रहा,
अब मेरा क्या काम रहा?
न हरियाली ना छांव रहा,
अब मेरा क्या काम रहा?
सूख गई सब शाखाएं मेरी,
अब मेरा क्या काम रहा? #विचार