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baziraoashish6898
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Bazirao Ashish

हिन्दी, पंजाबी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषाओं का साक्षर हूँ। चीते की चाल, बाज की नज़र और बाजीराव की कलम पर कभी शक नहीं करते.

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Bazirao Ashish

White इस बेईमान जगत में लोग सबसे ज्यादा ईमानदारों पर संशय करते हैं।


•आशीष•द्विवेदी•

©Bazirao Ashish #Thinking
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Bazirao Ashish

White ऐ मातृ भू! तुझपर
हो जाऊँ न्यौछावर।
जब जब हदें पार करे 
दुश्मन कायर।।

●आशीष●द्विवेदी●

©Bazirao Ashish #happy_independence_day
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Bazirao Ashish

White अपनों की कब्र पर एक बीज बोते चलें।
रोने के बाद भी खुश होते चलें।।
शहर वालों को तो नसीब ही नहीं ये खुशी।
खुश होना है तो वृक्ष लगाते चलें।।
दुआएं देंगी आने वाली पीढ़ियाँ उम्र भर।
मेरे पुरखों ने दी हरियाली गुज़र कर।।

@आशीष द्विवेदी

अपने खेत में अपने पुरखों की कब्र एक वृक्ष अवश्य लगाएं इससे उनका एक प्रतीक आपको जीवनपर्यन्त याद दिलाता रहेगा।

©Bazirao Ashish #short_shyari 
अपनों की कब्र पर एक बीज बोते चलें।
रोने के बाद भी खुश होते चलें।।
शहर वालों को तो नसीब ही नहीं ये खुशी।
खुश होना है तो वृक्ष लगाते चलें।।
दुआएं देंगी आने वाली पीढ़ियाँ उम्र भर।
मेरे पुरखों ने दी हरियाली गुज़र कर।।

#short_shyari अपनों की कब्र पर एक बीज बोते चलें। रोने के बाद भी खुश होते चलें।। शहर वालों को तो नसीब ही नहीं ये खुशी। खुश होना है तो वृक्ष लगाते चलें।। दुआएं देंगी आने वाली पीढ़ियाँ उम्र भर। मेरे पुरखों ने दी हरियाली गुज़र कर।। #विचार

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Bazirao Ashish

महिलाओं की सुन्दरता इन्द्रजाल है
जबकि
पुरुषों की सुन्दरता शाश्वत सत्य है।

~अज्ञात

©Bazirao Ashish #aaina
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Bazirao Ashish

"Duty के सिर्फ 8 घण्टे जो मज़दूर हैं
वही बाकी के समय ग्राहक होते हैं।"

इसलिए 


"कम्पनी में घटिया सामान बनाने वालों, 
भोजन में जहर मिलाने वालों
एक निवाला तुम खाओगे, 
आज नहीं तो कल पाओगे।"

●आशीष●द्विवेदी●

©Bazirao Ashish Duty के सिर्फ 8 घण्टे जो मज़दूर हैं
वही बाकी के समय ग्राहक होते हैं।
इसलिए 
कम्पनी में घटिया सामान बनाने वालों, 
भोजन में जहर मिलाने वालों
एक निवाला तुम खाओगे, 
आज नहीं तो कल पाओगे।

Duty के सिर्फ 8 घण्टे जो मज़दूर हैं वही बाकी के समय ग्राहक होते हैं। इसलिए कम्पनी में घटिया सामान बनाने वालों, भोजन में जहर मिलाने वालों एक निवाला तुम खाओगे, आज नहीं तो कल पाओगे। #जानकारी

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Bazirao Ashish

#अवधी_लोकगीत
माई हमरौ नैहर छूटल बा;
पूत हईं तव का भा?
माई हमरौ नैहर छूटल बा।

छूटल माई तोहार अँचरा;
छूटल गँउआ कय सगरा;
छूटल बिरवा बगिया;

#अवधी_लोकगीत माई हमरौ नैहर छूटल बा; पूत हईं तव का भा? माई हमरौ नैहर छूटल बा। छूटल माई तोहार अँचरा; छूटल गँउआ कय सगरा; छूटल बिरवा बगिया; #समाज

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Bazirao Ashish

जिन्हें पसन्द हो अहिंसा
वो अपने पास रख लें
दस बारह दर्जन चूड़ियों का
वो शृङ्गार रख लें।

हम बलिदानियों के पुजारी
सदा हिंसा ही जाने हैं
जब निकले कटारी दुधारी तो
रणभूमि ही माने है।

जिन्हें पसन्द हो अहिंसा
वो अपने पास रख लें
दस बारह दर्जन चूड़ियाँ 
वो उधार रख लें।


●आशीष●द्विवेदी●

©Bazirao Ashish #लालबहादुरशास्त्री_जयंती 
जिन्हें पसन्द हो अहिंसा
वो अपने पास रख लें
दस बारह दर्जन चूड़ियों का
वो शृङ्गार रख लें।

हम बलिदानियों के पुजारी
सदा हिंसा ही जाने हैं

#लालबहादुरशास्त्री_जयंती जिन्हें पसन्द हो अहिंसा वो अपने पास रख लें दस बारह दर्जन चूड़ियों का वो शृङ्गार रख लें। हम बलिदानियों के पुजारी सदा हिंसा ही जाने हैं #कविता

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Bazirao Ashish

सरकारी नौकरी वालों की
 केवल तनख़्वाह ही सरकारी होती है।
ख़र्चे उनके भी निजी (Private) होते हैं, 
बिल्कुल आपके तरह।


●आशीष●द्विवेदी●

©Bazirao Ashish सरकारी नौकरी वालों की
 केवल तनख़्वाह ही सरकारी होती है।
ख़र्चे उनके भी निजी (Private) होते हैं, 
बिल्कुल आपके तरह।


●आशीष●द्विवेदी●

सरकारी नौकरी वालों की केवल तनख़्वाह ही सरकारी होती है। ख़र्चे उनके भी निजी (Private) होते हैं, बिल्कुल आपके तरह। ●आशीष●द्विवेदी● #ज़िन्दगी

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Bazirao Ashish

अब मेरा क्या काम रहा?
न ही मुझमें प्राण रहा, 
अब मेरा क्या काम रहा?
न हरियाली ना छांव रहा,
अब मेरा क्या काम रहा?

सूख गई सब शाखाएं मेरी,
अब मेरा क्या काम रहा?
जीवन अब न साथ रहा , 
अब मेरा क्या काम रहा?

जब तक थी मुझमें जान, 
होता छांव में विश्राम रहा,
अब मेरा क्या काम रहा?
ठंड में अलाव व अंतेष्ठी में
जलना मेरा काम रहा, 
अब मेरा क्या काम रहा?

            •शिवम दूबे•

©Bazirao Ashish अब मेरा क्या काम रहा?
न ही मुझमें प्राण रहा, 
अब मेरा क्या काम रहा?
न हरियाली ना छांव रहा,
अब मेरा क्या काम रहा?

सूख गई सब शाखाएं मेरी,
अब मेरा क्या काम रहा?

अब मेरा क्या काम रहा? न ही मुझमें प्राण रहा, अब मेरा क्या काम रहा? न हरियाली ना छांव रहा, अब मेरा क्या काम रहा? सूख गई सब शाखाएं मेरी, अब मेरा क्या काम रहा? #विचार

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Bazirao Ashish

खोटे सिक्कों की वजह से 
समाज में सन्देह बढ़ता है
और सन्देह से पाप बढ़ता है 
और पाप से 
समाज का विनाश निश्चित हो जाता है
अतः खोटे सिक्कों की वजह से
 सब पर सन्देह करना अनुचित है।

◆आशीष●द्विवेदी◆

©Bazirao Ashish
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