#short_shyari
अपनों की कब्र पर एक बीज बोते चलें।
रोने के बाद भी खुश होते चलें।।
शहर वालों को तो नसीब ही नहीं ये खुशी।
खुश होना है तो वृक्ष लगाते चलें।।
दुआएं देंगी आने वाली पीढ़ियाँ उम्र भर।
मेरे पुरखों ने दी हरियाली गुज़र कर।।
#विचार
Duty के सिर्फ 8 घण्टे जो मज़दूर हैं
वही बाकी के समय ग्राहक होते हैं।
इसलिए
कम्पनी में घटिया सामान बनाने वालों,
भोजन में जहर मिलाने वालों
एक निवाला तुम खाओगे,
आज नहीं तो कल पाओगे। #जानकारी
#लालबहादुरशास्त्री_जयंती
जिन्हें पसन्द हो अहिंसा
वो अपने पास रख लें
दस बारह दर्जन चूड़ियों का
वो शृङ्गार रख लें।
हम बलिदानियों के पुजारी
सदा हिंसा ही जाने हैं #कविता
Bazirao Ashish
सरकारी नौकरी वालों की
केवल तनख़्वाह ही सरकारी होती है।
ख़र्चे उनके भी निजी (Private) होते हैं,
बिल्कुल आपके तरह।
●आशीष●द्विवेदी● #ज़िन्दगी
Bazirao Ashish
अब मेरा क्या काम रहा?
न ही मुझमें प्राण रहा,
अब मेरा क्या काम रहा?
न हरियाली ना छांव रहा,
अब मेरा क्या काम रहा?
सूख गई सब शाखाएं मेरी,
अब मेरा क्या काम रहा? #विचार