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shashank1385
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Shashank

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Shashank

कब तक भारत माँ साँसे लेगी केवल भारत माता की जय के नारों में....
भारत माँ की हत्या  हो रही हर रोज़ इन अखबारों में....
कैसे जय होगी भारत माता की जब रोज देश मे नारी मारी जाती है......
 हर रोज किसी की अस्मत लूटी जाती है..... 
लेकर वोट हम ही से ये नेता हर रोज़ बतोले बाज़ी करते हैं....
नारी सुरक्षा पे  केवल इनसे बस भाषण ही मिलते हैं..... 
बलात्कारी जेहादी इनके संरक्षण मे ही तो पलते हैं... 
नन्ही बच्चियों तक को हवस का शिकार बनाया जाता है.... 
तब मेरा अंतरमन  आँसुओं से भर जाता है.... 
लाशों के आगे अब किसी की मुहब्बत की दुकान नहीं खुलती है.....
 राजनीतिक स्वार्थ के कारण अब किसी की जुबान नही खुलती है..... 
मानवता के आगे खड़ी ये सबसे बड़ी चुनौती है..... 
मुझको तो अब लगता है की लोकतंत्र ही सबसे बड़ी पनौती है... 
जेहादियों के कातिल मंसूबों के आगे ये दण्ड संहिता बौनी लगती है..... 
लचर है कानून व्यवस्था जो न्याय दिलाने का दम भरती है.... 
इनकी बर्बरता के आगे फांसी की सजा भी कम से कम लगती है..... 

लोकतंत्र में अब स्त्री का भक्षण बंद करो.... 
और बलत्कारियों के मानव अधिकारों का संरक्षण बंद करो .... 
दण्ड संहिता में बस इक संसोधन  और करवा दो..... 
बलात्कार करने वालों को २ फीट नीचे मिट्टी में जिंदा गडवा दो.... 
हत्या करने पर हाथ पैर कटवाकर बीच सड़क पर रखवा दो....
—Shashank

©Shashank
  #justice
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Shashank

कब तक भारत माँ साँसे लेगी केवल भारत माता की जय के नारों में....
भारत माँ की हत्या  हो रही हर रोज़ इन अखबारों में....
कैसे जय होगी भारत माता की जब रोज देश मे नारी मारी जाती है......
 हर रोज किसी की अस्मत लूटी जाती है..... 
लेकर वोट हम ही से ये नेता हर रोज़ बतोले बाज़ी करते हैं....
नारी सुरक्षा पे  केवल इनसे बस भाषण ही मिलते हैं..... 
बलात्कारी जेहादी इनके संरक्षण मे ही तो पलते हैं... 
नन्ही बच्चियों तक को हवस का शिकार बनाया जाता है.... 
तब मेरा अंतरमन  आँसुओं से भर जाता है.... 
लाशों के आगे अब किसी की मुहब्बत की दुकान नहीं खुलती है.....
 राजनीतिक स्वार्थ के कारण अब किसी की जुबान नही खुलती है..... 
मानवता के आगे खड़ी ये सबसे बड़ी चुनौती है..... 
मुझको तो अब लगता है की लोकतंत्र ही सबसे बड़ी पनौती है... 
जेहादियों के कातिल मंसूबों के आगे ये दण्ड संहिता बौनी लगती है..... 
लचर है कानून व्यवस्था जो न्याय दिलाने का दम भरती है.... 
इनकी बर्बरता के आगे फ़ासी की सजा भी कम से कम लगती है..... 

लोकतंत्र में अब स्त्री का भक्षण बंद करो.... 
और बलत्कारियों के मानव अधिकारों का संरक्षण बंद करो .... 
दण्ड संहिता में बस इक संसोधन  और करवा दो..... 
बलात्कार करने वालों को २ फीट नीचे मिट्टी में जिंदा गडवा दो.... 
हत्या करने पर हाथ पैर कटवाकर बीच सड़क पर रखवा दो....
—Shashank

©Shashank #justice
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Shashank

इक शुरुआत करके सब अंत करना है....
अंत करके सब अनंत करना है....
आंखों के सपनों को मुट्ठी में भरना है....
समय की ऊष्मा में तपकर तरना है....
नवदिन के उद्भव की खातिर हर रात्रि ढ़लना है....
पुष्प हटा कर कांटों पर चलना है....

©Shashank #leaf
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Shashank

बदहालत बुत को फिर से गढ़ने का इरादा रखते हैं.....
कोई मारने का इरादा रखता है तो हम मरने का इरादा रखते हैं.....
रखता होगा दहशत का इरादा कोई, हम वक्त से लड़ने का इरादा रखते हैं....
हर इक सितम में हम बढ़ने का इरादा रखते हैं...
वक्त की लहरों को हम पीने का इरादा रखते हैं.....
सौ सितम झेलकर भी हम जीने का इरादा रखते हैं....
—Shashank

©Shashank 🤩🤗

#MereKhayaal

🤩🤗 #MereKhayaal

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Shashank

हे ! भारत के युवा तुम भी एक प्रण करो....
राष्ट्र भक्ति के भावों को और भी दृढ़ करो....

भारत पर संकट आए तो भारत मां की सेवा पर लग जाना....
 बेटे संग बेटियों तुम भी आगे बढ़ जाना....
स्वाधीनता पर आंच आए तो तुम मर्दानी बन जाना....
युगों तक याद रहे वीरता की वो अमर कहानी बन जाना....
वक्त पड़ने पे पर भगत सिंह के किस्से तक गढ़ जाना....
वतन की खातिर हंसते हंसते फांसी तक चढ़ जाना....
शत्रु जब बेवजह सिर पर चढ़ने लगे..औकात उसकी  हद से ज्यादा बढ़ने लगे....
 सीमाएं बेचैन हो उठें... और प्यास सरहदों की बढने लगे....
उस वक्त तुम हवाओं को एक नया मजमून  दे देना....
प्यास से बेचैन सरहदों को सुकून दे देना....
तुम जाकर बस सरहदों में अपना खून दे देना .....
तुम इस धरती पर  शौर्य की इक नई दास्तान लिख देना....
कलम की जरूरत नहीं है तुम मिट्टी पर हिंदुस्तान लिख देना....

—शशांक पटेल

©Shashank 🙏🇮🇳

#OurRights

🙏🇮🇳 #OurRights

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Shashank

मेरे दिल में सिर्फ थोड़ी सी मोहब्बत थी,
भला तुझ पे कैसे लूटाता मैं....
वतन का कर्ज मुझ पर था बता कैसे चुकाता मैं....

—शशांक पटेल

©Shashank 🙏🇮🇳
#OurRights

🙏🇮🇳 #OurRights

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Shashank

तुम महबूबा की सुंदर आंखें चांद से मुख मंडल लिखते हो....
जुल्फों की लट और कानों का कुंडल लिखते हो....
उसकी चाल  लिखते हो... सुंदर-सुंदर गाल लिखते हो....

मैं भारत का गर्वित भाल लिख दूंगा.....
रगों में बहते इस लहू का उबाल लिख दूंगा....
तुम लिखते रहना जिस्म के किस्से,
मैं जिस्म संग पूरी जान लिख दूंगा....
मरकर ही सही मैं कफन पर हिंदुस्तान लिख दूंगा....
 
—शशांक पटेल

©Shashank 🙏🇮🇳
#wetogether

🙏🇮🇳 #wetogether

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Shashank

तारे जहां से निकलें उसे आसमान कहते हैं......
गुल के गिल को गुलिस्तान कहते हैं.....
और मेरे दिल के दिल को हिंदुस्तान कहते हैं ...

—शशांक पटेल

©Shashank 🚩🇮🇳

#OurRights

🚩🇮🇳 #OurRights

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Shashank

समझती थी ये दुनिया सारी,
 भारत का अंग अंग यूं ही कटता जाएगा....
अखंडभारत होकर खंड खंड यूं ही बंटता जाएगा....
है जो दुनिया में वर्चस्व इसका इतना, वो भी धीरे-धीरे घटता जाएगा.....
 समझते थे हिंदुओं का अस्तित्व धीरे-धीरे मिटता जाएगा....
भारत ने विश्व के इस भ्रम को एक ही बार में तोड़ दिया....
ऐठा था जो नवाबी हथौड़ा पकड़कर लोहे ने झटके में मरोड़ दिया....
तोड़ना चाहते थे लोहे को लेकिन लोहे ने खुद हथौड़े को तोड़ दिया....
एक तरफ से पकड़ा काश्मीर,एक तरफ से जूनागढ़... दोनों लाकर भारत में जोड़ दिया...
कांटों की सेजों पर वो ही लेटा था....भारत मां के वो ही सच्चा बेटा था....
वो ही देश का वफादार था ....वो ही सच्चा सरदार था....
सच कहूं तो वो ही गद्दी का असली हकदार था.....🚩🙏🇮🇳

—शशांक पटेल









 🙏🇮🇳🚩
#SardarPatel

🙏🇮🇳🚩 #SardarPatel

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Shashank

इस धरा धाम में फिर से कुछ जेहादी अंकुर फूटे हैं.....
मानवता की अनुकृतियों के फिर से सारे दर्पण टूटे हैं......
आज सियासत की गलियों में फिर से इक मां की सीमटी सिसकी आई है....
सुना कोई निर्भया फिर से भय की चादर में लिपटी आई है...
आज सियासतदारों ने जनता के वोटों का सिला अच्छा भला दिया है....
मां बिटिया को देखे उससे पहले ही जला दिया है....
बचपन से बिटिया को बड़े लाड प्यार से पाला था....
बड़ी हुई तो शादी तक का सपना सजा डाला था....
कुछ सपने मां ने सजाए कुछ उसे सजाना था....
उस तारे को चलकर धीरे-धीरे अंबर तक जाना था....
बड़े शौक से उस छोटी चिड़िया ने सपनों का महल सजाया.....
लेकिन ज्यादा दिन तक वो बच ना पाया....
कुछ बड़े परिंदों ने आकर उसको तोड़ दिया....
कुछ हैवान दरिंदों ने आकर उसकी गर्दन तक को मरोड़ दिया......
सिहर उठी थी तन का इक इक कपड़ा फाड़ रहे थे जेहादी...
चिल्लाती कैसे? जब जबड़ा ही फाड़ रहे थे जेहादी....
कितना दर्द हुआ गर्दन, पैरों,हाथों को....
कैसे समझाऊं कविता में जज्बातों को....
जिस्म के अंग अंग को टुकड़ों में बांट दिया...
बची जुबान इन दरिंदों ने उसको भी काट दिया...

—शशांक पटेल #HappyDaughtersDay2020
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