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minakshikumari7427
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ranjit Kumar rathour

jharkhand

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ranjit Kumar rathour

इन पेड़ों से रिश्ता है मेरा
कभी हर सुबह आता था
सबसे पहले तलाशने
एक आम जो पानी मे होता
उसे पाकर जितनी खुशी मिलती
उसे बता पाना मुश्किल है
आज इनकी हालात पे रोना आया
सिर्फ ठूंठ रह गयी है अब
लोग इंतज़ार में है गिर जाने का
शायद जलावन की दरकार होगी
तू गिरना नही मुझे तुम्हे देखना
हा अच्छा लगता है
तू मेरी दादी सी है
शायद दादा ने तुझे सींचा होगा
तू रहना अभी सालों साल
जब घर जाऊं तो तुझे
देखना है हमे महशुस करना है

©ranjit Kumar rathour तू रहना अभी

तू रहना अभी #कविता

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ranjit Kumar rathour

White माँ तेरे बगैर
घर खाली लगता है
ऐसा कम ही होता
की तू नही होती है
तेरी तबियत नासाज है
तू छोटे के पास है
घर मे खुशी के पल है
सब नाच गा रहे है
लेकिन घर आया
निकली मुह से माँ
मेरी कमीज
तौलिया कहा है
ब्रश नही मिल रही
फिर याद आया माँ
घर पर नही है
इसी लिए तो माँ को
हा माँ को घर कहते है

©ranjit Kumar rathour
  माँ को घर कहते है

माँ को घर कहते है #कविता

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ranjit Kumar rathour

कितना मुश्किल होता है
नए रिश्तों का बनना
और  आखिरी सांस तक निभाना
सोचता हूँ तो
सिहर जाता हूँ क्योंकि
सवाल सोचता ही क्यों हूँ
सोचना होता है
आज मबहन की शादी है
कल बेटी को भी विदाई होगी
जब किसी को लाया था घर अपने
तब शायद नही सोच पाया था
आज लगता है जिगर का टुकड़ा
अनजान के हाथों सौप रहा हूँ
मगर सिर्फ फफक सकता हूँ
रोक नही सकता
क्योंकि यही परंपरा है
यही है दस्तूर
हा यही है दस्तूर

©ranjit Kumar rathour
  यही है दस्तूर

यही है दस्तूर #शायरी

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ranjit Kumar rathour

बस आज तक
हा आज ही तक
कल कही औऱ
किसी और संग
सब खुश है
मैं भी उसी में हु
लेकिन ये सब कुछ
इतना आसान है क्या
सोच कर डर जाती हूँ
लेकिन यही सच है
सब ने मां लिया है
और मुझे मानना ही है
सदियो से होता आया है
सबके साथ इसलिए
मुझे भी जाना होगा
कितना कुछ छूट जाएगा
किसी को क्या
मेरे दोस्त 
मेरे छोटे प्यारे
अब कभी कभी आना होगा
अतिथियों की तरह
मुझ पर मेरा बस नही होगा
किसी और कि अमानत
कहलाऊंगी मैं
बेटी हु न पराई हु न
हा पराई हूँ

©ranjit Kumar rathour
  पराई हूँ न

पराई हूँ न #कविता

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ranjit Kumar rathour

Black ईद मुबारक
सैकड़ो संदेश भरे पड़े थर
इनबॉक्स में
लेकिन एक संदेश ऐसा था
मेरे बेटे का
पापा किसी ने सेवइयां नही दी
पिछले साल की तरह
दर असल वो शहर छूट चुका था
अब नए शहर में था
बेटे ने कहा एहतेशाम चाचू वाला
सेवइयां ला दो न
मम्मी को बोलो न बना देगी
इन बच्चों ने यादे ताजा कर दी
सालो पुरानी वाली
और फिर सब कुछ नजर के सामने था 
नही थी तो वो दोस्त
वो शहर वो घर
ढेर सारा प्यारा सभी को
ईद मुबारक क्योकि सब कुछ जिंदा है
यादों में स्वाद के रूप में
हमारे बच्चों में

©ranjit Kumar rathour
  #eidmubarak
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ranjit Kumar rathour

कितना बदल गयी है वो
अब ना नही करती है
कुछ कहो तो मान जाती है
दोस्तो को नाराज नही करती
पास बुलाओ आ जाती है
तस्वीर भी खिंचा लेती है
कोई संकोच नही कोई गिला नही
मानो उसे भी एहसास है
सालो का साथ जो रहा कभी
अब चंद दिनो का अवशेष है
अब ये वक्त मीले न मिले
सो जी लेते है हम सब
थोड़ी शरारत थोड़ा मजाक
सब चलता है भला जिंदगी में 
कहा यारो का साथ मिलता है
तेरी यही अदा तो हमे भाती है
तू मेरी ही नही 
तू तो हम सबका साथी है
ये बातों के सिलसिला भी
न पता कब थम जाए
जो है आज तक है
डरता हूँ ये था न हो जाये
हा ये था न हो जाये

©ranjit Kumar rathour
  साथ है से था हो जाये

साथ है से था हो जाये #शायरी

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ranjit Kumar rathour

हर दिन एक डर होता है
और फिर एक कल होता है
फिर चर्चे में एक दिन कम होता है
जख्म गहरा और होता है
कभी उस पर मरहम होता है
तो कभी दर्द की बाम लेता हूँ
मैं ही नही कोई डरा है
कोई तस्वीरों में सहेज रहा
कोई  चंद पल और जी लेता है
चलो हम भी भीड़ बन जाये
साथ उसके जी कर अमीर बन जाये
एक कहानी और गढ़ लू
अगले पड़ाव में सुनने की तासीर बन जाये
हा कहूंगा कि थी वो ऐसी
मैं ही कई और भी मरता था
साथ थोड़ा झुठ कहूँगा
लेकिन प्यार हमी से करता था
है प्यार हमी से करता था

©ranjit Kumar rathour
  कहूंगा झूठ प्यार हमी से करता तंग

कहूंगा झूठ प्यार हमी से करता तंग #कविता

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ranjit Kumar rathour

Beautiful Moon Night अब दिन गिन रहा हूँ
एक एक पल जी रहा हूँ
पहले ऐसा नही था
अब साथ चुन रहा हूँ
और थोड़ा वक्त साथ मिलता
धड़कनों की सुन रहा हूँ
कितना मुश्किल होता है
मुकर्रर तारीख का इंतज़ार
जैसे पल पल मर रहा हूँ
अच्छा होता खबर आती
अचानक से कहती जाती हूँ
न सोचने का वक्त 
और न रोने का सहूर होता
बस मिलते गले सिसकते
और निहारते जाते उसे
कपकपाते ओठ होते भींगे नयन
या फिर धड़कने थम जाती
हा धड़कने घाम जाती

©ranjit Kumar rathour
  तेरे जाने की खबर

तेरे जाने की खबर #कविता

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ranjit Kumar rathour

तू रफ्तार से है दूर निकल जाते हो
लेकिन मैं जाते तुझे निहार सकता हु न
पीछे भाग नही सकता मैं
लौट आने का इंतज़ार कर सकता हु न
तू मेरे हिस्से का है भी की नही
मगर मेरा भी है कुछ सोच सकता हु न
जनता हूँ न मिलेंगे हम कभी
एहसासो को अपने अंदर संजो सकता हु
 महशुस मेरी  हो तो कहना जरूर
बताओ न ऐसा कर सकते हो न
हा ऐसा ही कुछ कर सकती हो न

©ranjit Kumar rathour
  इंतज़ार लौट आने का

इंतज़ार लौट आने का #कविता

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ranjit Kumar rathour

सुनो न अब तो तुम जा ही रहे हो
करना एक काम मेरे लिए जैसा मैंने किया है तेरे लिए
बड़े शहर में रहते हो
नॉकरी भी अच्छी खासी करते हो
एक घर ढंग का बना लेना
हो तो उसमे एक कमरा बनाना
है तेरा ही होगा लेकिन मेरे लिए
डर गया तूं बांकी दिन तू ही सोना
उसमे एक बिछावन लगा देना मेरे लिए
हा मेरी आदत थोड़ी खराब है
एक चादर एक तकिया और एक ग्लास
खरीद लेना जब आऊंगा तब के लिए
क्योंकि जब आऊंगा तो ये सब थोड़े लाऊंगा अपने लिए
और फिर जब आऊँगा तब जवान थोड़े रह जाऊंगा
फिर तुम्हारे शहर में तुमसे मिलने तबियत से क्या आ पाऊंगा
कभी इलाज तो कभी बेटे से मिलने के बहाने ट्रैन पकड़ने आऊंगा
कभी जाने के वक्त एक दिन या फिर लौटती रात रुक जाऊंगा
अपनी घरवाली को बता देना की मेरी थोड़ी खातिर कर देगी
उसे तारीफ झूठी ही सही खूब सारी तारीफे कहना
कहना बहुत अच्छा था मेरा एक दोस्त 
बहुत उधार है उसका मुझ पर 
मैं रहा तो ठीक है न आऊं तो पानी के जरूर पूछना
तेरे बेटे के जवान होने तक ठहरू या नही
अगर अटका रहा तो उसे भी कहना अंकल है खातिर कर देना
साथ ही बताना को थोड़ा जिद्दी है बातूनी भी
जल्दी आएगा नही आया तो रुकेगा नही
जो रुका तो खायेगा जरूरी नही
और खाया तो तेरा कर्जा वसूल जायेगा
और वसूला नही तो बता देना बहुत बकाया है उसका मुझ पर
कभी जो तेरे शहर से गुजरूँगा
अपनी पत्नी को बताऊंगा
एक घर मेरा भी इस शहर में
है उसमें कमरा और बिछावन भी
और वोलेगी कभी बताया नही
उसे कहूंगा चलोगे उस घर मे
अगर मान गयी तो उसे तेरे घर ले आऊंगा
इसी बहाने तुमसे मिल लूंगा तेरी घरवाली से भी उसे मिलवा दूंगा
ऐसा कर तू मुझ पे एहसान नही करेगा
मैंने भी बना रखा एक घर मेरे अपने शहर में 
जो कभी आना हुआ तो जरूर आना अभी से वादा ले रहा हूँ
ये सोचना रुकना ये मेरा है
हा सब कुछ उसी तरह सजा मिलेगा
एक कमरा एक बिछावन पास में गरम पानी
मसहरी लगी हुई बिना सिलवट का चादर पड़ा मिलेगा
रात का खाना बिल्कुल वेज तो तेरे पसंद का होगा
और तो और तुझे परेशानी हो गली में हर किसी कह रखा है
हर पड़ोसी को नाम तेरा बता रखा है
हा इससे भी बढ़ घर में बेटे का नाम भी विनय लिखा रखा हैं

©ranjit Kumar rathour #HappyRoseDay
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