Nojoto: Largest Storytelling Platform
imransambhalshah1038
  • 59Stories
  • 291Followers
  • 614Love
    1.5KViews

Imran SambhalShahi

मै "इमरान" हूं दिल का आइना व इश्क़ का हूं फ़लसफ़ा। मुझे नाज़ है अपनी क़लम पर जो पामाल संग चल रहा।। ~इमरान सम्भलशाही (कवि व अभिनेता)

  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
85b4ee6daed2d84bba6bae64fcbdd677

Imran SambhalShahi

कविताएं 
अगर

रिश्तों से संबंधित
 रिक्त स्थानों की
पूर्ति के लिए

लिखी जाती तो

मै केवल

"मां"

लिखता!

~Imran SambhalShahi #MothersDay
85b4ee6daed2d84bba6bae64fcbdd677

Imran SambhalShahi

ऐ!प्रकृति प्रदत्त चीज़ों से इंशा,मत करो खिलवाड़ तुम
रौद्र सा तेवर जागेगा जब,क्या सह पाओगे दहाड़ तुम?


युगों युगों से देती आई जो, जीवनदायिनी सतरंग भी
"मां" बन पोषी अपने आंचल में, सदा निभाई संग भी


सुख सागर सा प्राण दिया है, अनंतमय हरियाली भी
क्रिसमस होली राखी संग दी, ईद और दिवाली भी


वक्त हुआ है सम्हल भी जाओ,प्रकृति शक्ति को छेड़ना
नहीं तो,प्रकृति अपने क्रोधों से,आरंभ करेंगे खदेड़ना


सिंहनाद सा गूंज उठेगा,भीषण प्रकृति शिवजी जैसा
आओ प्रकृति से प्रेम करें,ललना "मां" की प्रेम के जैसा


ध्यान से देखो कोरोना आया है,जो लॉकडाउन स्वरूपा
कर वंदना ईश की तुम!ना आए प्रकृति शक्ति रौद्र रूपा

इमरान संभलशाही #footsteps
85b4ee6daed2d84bba6bae64fcbdd677

Imran SambhalShahi

ऐ!प्रकृति प्रदत्त चीज़ों से इंशा,मत करो खिलवाड़ तुम
रौद्र सा तेवर जागेगा जब,क्या सह पाओगे दहाड़ तुम?


युगों युगों से देती आई जो, जीवनदायिनी सतरंग भी
"मां" बन पोषी अपने आंचल में, सदा निभाई संग भी


सुख सागर सा प्राण दिया है, अनंतमय हरियाली भी
क्रिसमस होली राखी संग दी, ईद और दिवाली भी


वक्त हुआ है सम्हल भी जाओ,प्रकृति शक्ति को छेड़ना
नहीं तो,प्रकृति अपने क्रोधों से,आरंभ करेंगे खदेड़ना


सिंहनाद सा गूंज उठेगा,भीषण प्रकृति शिवजी जैसा
आओ प्रकृति से प्रेम करें,ललना "मां" की प्रेम के जैसा


ध्यान से देखो कोरोना आया है,जो लॉकडाउन स्वरूपा
कर वंदना ईश की तुम!ना आए प्रकृति शक्ति रौद्र रूपा

*इमरान संभलशाही*


* #Art
85b4ee6daed2d84bba6bae64fcbdd677

Imran SambhalShahi

क्या हैं ?भारत देश!

भारतवर्ष
हम तो 
वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं 
बस इसी में जीते खाते हैं 
और यहीं रहते हुए
इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं

पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व
इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए 
क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है
और इसी की परंपरा निभाते हुए
सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है

हम जो कुछ भी है 
यथा,
आधुनिक -पौराणिक 
सहिष्णु -असहिष्णु
जातिवादी -मानवतावादी 
क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए
वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो
रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो
इतिहास के अतीत की आत्माओं में 
सीमित या असीमित हो
भय व निर्भय हो
भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं

इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में 
अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को 
नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश!
मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी

जितना कि
सदियों से अद्यतन
गंगा जमुनी तहजीब का मालिक
इस महान भारत देश ने गढ़ा है

~अपरिचित सलमान

85b4ee6daed2d84bba6bae64fcbdd677

Imran SambhalShahi

क्या हैं ?भारत देश!

भारतवर्ष
हम तो 
वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं 
बस इसी में जीते खाते हैं 
और यहीं रहते हुए
इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं

पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व
इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए 
क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है
और इसी की परंपरा निभाते हुए
सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है

हम जो कुछ भी है 
यथा,
आधुनिक -पौराणिक 
सहिष्णु -असहिष्णु
जातिवादी -मानवतावादी 
क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए
वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो
रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो
इतिहास के अतीत की आत्माओं में 
सीमित या असीमित हो
भय व निर्भय हो
भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं

इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में 
अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को 
नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश!
मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी

जितना कि
सदियों से अद्यतन
गंगा जमुनी तहजीब का मालिक
इस महान भारत देश ने गढ़ा है

~अपरिचित सलमान

85b4ee6daed2d84bba6bae64fcbdd677

Imran SambhalShahi

दो ज़ुबानी जंग में
सबसे ज़्यादा
फंसती,लड़ती और कराहती है
जीभ
होंठ
और गला

~~इमरान सम्भलशाही

85b4ee6daed2d84bba6bae64fcbdd677

Imran SambhalShahi

सारी लंका पुनः जलाकर,आओ शीघ्र अयोध्या राम
दंभी दशानन के आनन को, पुनः काट कर सियाराम

जिस अयोध्या का तू राजा, हैं हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
जातिवाद का भेद मिटाकर, तू सबको बना दे भाई भाई

हर जन के हृदय स्थल में, सुख शांति बरसाओ मेरे राम

दूख झेल रहा सिंध सारा, है तपोभूमि में राक्षस का अंबार
ऋषि मुनियों का हवन भंग कर, विध्न पहुंचा रहे बारंबार

शीघ्र तजो अयोध्या कांड,आओ अरण्य कांड को मेरे राम

शैतानी पशुवृत्ती टहल रहे, जो न होनी हो अब होना है
तरकश धनुष संग आना ही, मिटाने जो फैला कोरोना है

हर संभव प्रयास करो अब, सकल जग के दाता मेरे राम

कलयुगी खरदूषण पापी का, सिर को झट से काटो स्वामी
घमंड सरीखा रावण भूज को,शीघ्र पैगाम को भेजो स्वामी

सीता हरण घटना से पहले, बस जग को बचा लो मेरे राम

समस्त दुखों से हर प्राणी की, भूखी प्यासी प्राण जा रही 
अब लॉकडाउन के चलते ही, हर प्राणी पाषाण खा रही 

सबका पेट भरे भी कैसे, सबका पेट भराने आओ राम

सत्कार करेंगे दिया जलाकर, प्रकाश करेंगे चारो ओर
हर जन सेवक मिलकर अपने,स्वागत करेंगे उठकर भोर

इस अंधकार को दूर भगाने, शीघ्र ही आ जाओ मेरे राम

~~इमरान सम्भलशाही

85b4ee6daed2d84bba6bae64fcbdd677

Imran SambhalShahi

आओ प्रकृति से प्रेम करें

चर अचरों का भेद मिटाकर, आओ प्रकृति से प्रेम करें 
मन भेदों का दूब जलाकर, आओ प्रकृति से प्रेम करें 


हिम गंगों का शिखर छुए हम, पाषाणों में प्रवास करें
कल कल करती नदियों का, कभी नहीं उपहास करें
लहरों के आंगन में जाकर, बसंत सरीखा वास करें
हर दरिया की शांति वृत्ति में, भंवरों संग निवास करें


मौज उमंग को समेट समेटकर, आओ प्रकृति से प्रेम करें 


अंबर नीचे दरख़्त जो सारे, उसकी मिलकर गान करें
हर शाखों की पातों में सुत कर, कलियों का गुणगान करें
पवनों से हिलती पुष्पों में, मधुकर सा सुर तान करें
आम्र बगीचे के झूले में, पेंग पेंग के हंसी  बखान करें


बंसवारी सा भौंहे चढ़ाकर, आओ प्रकृति से प्रेम करें

~~इमरान सम्भलशाही

85b4ee6daed2d84bba6bae64fcbdd677

Imran SambhalShahi

आओ प्रकृति से प्रेम करें

चर अचरों का भेद मिटाकर, आओ प्रकृति से प्रेम करें 
मन भेदों का दूब जलाकर, आओ प्रकृति से प्रेम करें 


हिम गंगों का शिखर छुए हम, पाषाणों में प्रवास करें
कल कल करती नदियों का, कभी नहीं उपहास करें
लहरों के आंगन में जाकर, बसंत सरीखा वास करें
हर दरिया की शांति वृत्ति में, भंवरों संग निवास करें


मौज उमंग को समेट समेटकर, आओ प्रकृति से प्रेम करें 


अंबर नीचे दरख़्त जो सारे, उसकी मिलकर गान करें
हर शाखों की पातों में सुत कर, कलियों का गुणगान करें
पवनों से हिलती पुष्पों में, मधुकर सा सुर तान करें
आम्र बगीचे के झूले में, पेंग पेंग के हंसी  बखान करें


बंसवारी सा भौंहे चढ़ाकर, आओ प्रकृति से प्रेम करें

~~इमरान सम्भलशाही

85b4ee6daed2d84bba6bae64fcbdd677

Imran SambhalShahi

आओ मिलकर दिया जलाएं
वबा कोरोना दूर भगाएं

द्वेष घृणा को निचोड़ मोड़ कर
वैमनस्यता का बन्धन तोड़कर
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण
सब करें, प्रार्थना हाथ जोड़कर

हर घर आंगन का भूत भगाएं
आओ मिलकर दिया जलाएं

हम पहचानो में पहचान है भाई
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई
रक्त लाल है, हर एक नसों में
प्रण कर लो, ना हो जुदाई

शांति सखा का पाठ पढ़ाएं
आओ मिलकर दिया जलाएं

ईद,दिवाली, हैप्पी क्रिसमस 
मिलकर बोएं, केवल समरस
राखी संग होली के रंग में
चराग़ बनें, जागें हरपल बस

मिलकर देवों की धूप गुंजाएं
आप मिलकर दिया जलाएं

(वबा_महामारी)
~इमरान सम्भलशाही

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile