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royamit6296
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Roy Amit

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Roy Amit

Kuch to log

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Roy Amit

मैं मोहताज कहीं न हो जाऊँ, रिश्तों की उलझनों में 
ऎ दोस्त तू आजा अब, हूँ खड़ा,, तेरी.. आस लिए आँखों में,

अब न वो उमंग है, न वो हशरतों का दौर ही ,
बहोत हो गया, चल फिर मिलके,, उलझें अपनी जज्बातों में,

खुदगर्जी में इतना खुदगर्ज नहीं था,मैं तो मोह के बंधन में उलझा 
दरकिनार इशारों से, अंजान ना-समझ मैं,था झूठी उम्मीदों में,,

जैसे कल की तो बात है, मैं खुश था अपनी दुनियां में 
अचानक ठोकर लगी, "गिरा" और ! छोड़ दिया नाम के कुछ इंसानो ने,,

चलो दोस्त फिर अपनी धुन में,, सैर करें नाउम्मीदी में,
तृष्णा मोह और माया से दूर,कुछ नहीं रखा यहाँ उन्मादों में,,

 लेखन 
 रॉय अमित मैं मोहताज कहीं न हो जाऊँ, रिश्तों की उलझनों में 
ऎ दोस्त तू आजा अब, हूँ खड़ा,, तेरी.. आस लिए आँखों में,

अब न वो उमंग है, न वो हशरतों का दौर ही ,
बहोत हो गया, चल फिर मिलके,, उलझें अपनी जज्बातों में,

खुदगर्जी में इतना खुदगर्ज नहीं था,मैं तो मोह के बंधन में उलझा 
दरकिनार इशारों से, अंजान ना-समझ मैं,था झूठी उम्मीदों में,,

मैं मोहताज कहीं न हो जाऊँ, रिश्तों की उलझनों में ऎ दोस्त तू आजा अब, हूँ खड़ा,, तेरी.. आस लिए आँखों में, अब न वो उमंग है, न वो हशरतों का दौर ही , बहोत हो गया, चल फिर मिलके,, उलझें अपनी जज्बातों में, खुदगर्जी में इतना खुदगर्ज नहीं था,मैं तो मोह के बंधन में उलझा दरकिनार इशारों से, अंजान ना-समझ मैं,था झूठी उम्मीदों में,,

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Roy Amit


मैं जो भी कहता हूँ वो आप कितना समझते है, ये इस बात पर निर्भर है की आपकि अवधारणा मेरे प्रति कैसी है क्यूंकि आपकि अवधारणा ही आपके लिए मेरे व्यक्तित्व का परिचय है.

रॉय अमित  मैं जो भी कहता हूँ वो आप कितना समझते है, ये इस बात पर निर्भर है की आपकि अवधारणा मेरे प्रति कैसी है क्यूंकि आपकि अवधारणा ही आपके लिए मेरे व्यक्तित्व का परिचय है.

रॉय अमित

मैं जो भी कहता हूँ वो आप कितना समझते है, ये इस बात पर निर्भर है की आपकि अवधारणा मेरे प्रति कैसी है क्यूंकि आपकि अवधारणा ही आपके लिए मेरे व्यक्तित्व का परिचय है. रॉय अमित

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Roy Amit

किसी भी रिश्ते या किसी के प्रति ,सर्वस्व समर्पण ही सुख का आधार है, अन्यथा सब व्यर्थ व बेकार है।

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Roy Amit

भागो मगर ऐसे नहीं,
की मंजिल से पहले ही गिर जाओ,

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Roy Amit

  
  ''है इतनी गुजारिश ,की जमीं पर ही रहूं", 
       मैं आसमां में रहूं,मगर फिर भी,हद में रहूं !!

  Roy amit



  #secondquotebyme
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Roy Amit

    है इल्तजा इतनी खुदा से की तु खुश रहे! 
 मैं राह तेरा बनता रहुँ, और तु बस चलती रहे!!

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