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drpremlatatripat5954
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DrPremlata Tripathi

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काव्य वीणा सम्मान - 2022

काव्य वीणा सम्मान - 2022 #कविता

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DrPremlata Tripathi

चंदा हो इक गोद में

 *कर लूँ आँचल को अम्बर सा* ,चंदा हो इक गोद में ।
रजत चंद्रिका झिलमिल तारे,सँवरे गगन पयोद में ।
उड़ जाना उन्मुक्त दिशा में,
मन पंछी की चाह है ।
महक उठे कलियों सा शैशव
अपनों की परवाह है ।
डिगा सकेगी नहीं चुनौती,व्यथा मिटे आमोद में ।
रजत चंद्रिका झिलमिल तारे,सँवरे गगन पयोद में ।
 *कर लूँ आँचल को अम्बर सा* ----
मेरी  सरहद आशाओं  की 
सारे बंधन तोड़कर ।
नेह लिए ये जोगन काया,
अनबुझ मंथन छोड़कर ।
सित धारा करुणा की बहती,पगली मनोविनोद में।
रजत चंद्रिका झिलमिल तारे,सँवरे गगन पयोद में ।
 *कर लूँ आँचल को अम्बर सा* ----   
पलकों में सिमटी ये अनगिन
चाहत अभिनव गीत की ।
पार क्षितिज के सुखद जहाँ हो
नहीं रूढ़िगत रीत की ।
“लता”सघन खुशियाँ अंतस में, थिरकन लगी सरोद में ।
रजत चंद्रिका झिलमिल तारे, सँवरे गगन पयोद में ।
 *कर लूँ आँचल को अम्बर सा* 
               ---------------

©DrPremlata Tripathi #moonbeauty
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DrPremlata Tripathi

चंदा हो इक गोद में

 *कर लूँ आँचल को अम्बर सा* ,चंदा हो इक गोद में ।
रजत चंद्रिका झिलमिल तारे,सँवरे गगन पयोद में ।
उड़ जाना उन्मुक्त दिशा में,
मन पंछी की चाह है ।
महक उठे कलियों सा शैशव
अपनों की परवाह है ।
डिगा सकेगी नहीं चुनौती,व्यथा मिटे आमोद में ।
रजत चंद्रिका झिलमिल तारे,सँवरे गगन पयोद में ।
 *कर लूँ आँचल को अम्बर सा* ----
मेरी  सरहद आशाओं  की 
सारे बंधन तोड़कर ।
नेह लिए ये जोगन काया,
अनबुझ मंथन छोड़कर ।
सित धारा करुणा की बहती,पगली मनोविनोद में।
रजत चंद्रिका झिलमिल तारे,सँवरे गगन पयोद में ।
 *कर लूँ आँचल को अम्बर सा* ----   
पलकों में सिमटी ये अनगिन
चाहत अभिनव गीत की ।
पार क्षितिज के सुखद जहाँ हो
नहीं रूढ़िगत रीत की ।
“लता”सघन खुशियाँ अंतस में, थिरकन लगी सरोद में ।
रजत चंद्रिका झिलमिल तारे, सँवरे गगन पयोद में ।
 *कर लूँ आँचल को अम्बर सा* 
               ---------------

©DrPremlata Tripathi
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विश्व बांगला रवीन्द्र संगीत

विश्व बांगला रवीन्द्र संगीत #समाज

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काव्य वीणा सम्मान 2022

©DrPremlata Tripathi

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"काव्य वीणा सम्मान" सांस्कृतिक नगरी राजधानी कोलकाता में

©DrPremlata Tripathi परिवार मिलन द्वारा आयोजित काव्य-वीणा सम्मान समारोह २०२२ : २४ सितम्बर २०२२
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काव्य की रागात्मक चेतना को प्रवाहमान बनाये रखने के उद्देश्य से परिवार मिलन द्वारा प्रकल्पित काव्य-वीणा सम्मान २०२२ का दशम पुष्प लखनऊ से पधारीं डॉ० प्रेमलता त्रिपाठी को उनकी भाषाई सौष्ठव से समृद्ध गीतिका-संग्रह "सुधियाँ जैसे बाँह पसारे" को दिया गया। काव्य वीणा सम्मान से सम्मानित डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी पहली महिला हैं।डॉ०प्रेमलताजी को सम्मान स्वरूप इक्यावन हज़ार की राशि के सा

परिवार मिलन द्वारा आयोजित काव्य-वीणा सम्मान समारोह २०२२ : २४ सितम्बर २०२२ ----------------------------------------------------- काव्य की रागात्मक चेतना को प्रवाहमान बनाये रखने के उद्देश्य से परिवार मिलन द्वारा प्रकल्पित काव्य-वीणा सम्मान २०२२ का दशम पुष्प लखनऊ से पधारीं डॉ० प्रेमलता त्रिपाठी को उनकी भाषाई सौष्ठव से समृद्ध गीतिका-संग्रह "सुधियाँ जैसे बाँह पसारे" को दिया गया। काव्य वीणा सम्मान से सम्मानित डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी पहली महिला हैं।डॉ०प्रेमलताजी को सम्मान स्वरूप इक्यावन हज़ार की राशि के सा #समाज

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प्रदीप छंद
प्रदीप(29)=चौपाई(16)+ दोहे का विषम चरण(12)

समांत: आन(का स्वर) पदांत : को

खोज रही है दृष्टि हमारी, बाधा  मुक्ति निदान को ।
घायल करती स्वार्थ कामना,गवाँ रही पहचान को ।  

इस काया का दर्प न करना,बचो दिखावे झूठ से ,   
कहीं भीड़ का हिस्सा बन तुम,मत भूलो उत्थान को ।

दण्ड सदा देते हैं भगवन,करें शमन संहार कर 
जहाँ  विरोधी मानवता के,बने  हुए  हैवान को ।

अपने ही कर्मो से खाते,करनी का फल वे  सदा, 
राह उन्हें फिर सही दिखाना,व्यर्थ बढ़े अभिमान को ।

लगी आग जो तृष्णा की है, बेबस करती प्रेम को
अर्थ नहीं जीवन समझे जो, तरसे अपने प्राण को  ।
  
मुक्तक - 1
सत्य अर्पण नेक काया,में अलग संवेदना ।
वेदना ये लोम हर्षक, साधती जो चेतना ।
चेतना संसार हित की,वे अलग सी दृष्टियाँ  ,         
दृष्टि का संसार है ये,मर्म तक जा भेदना ।
मुक्तक - 2
पुण्य पूजा से सुवासित,सृष्टि कारक अर्चना ।
अर्चना अंतर समाहित,लाभकारी साधना ।
साधना के गर्भ में ही, है लगन की भव्यता, 
भव्यता इतिवृत्ति जाने,हम करें सत कल्पना ।
****************** डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी

©DrPremlata Tripathi
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लिटिल मास्टर युवान त्रिपाठी

लिटिल मास्टर युवान त्रिपाठी #ज़िन्दगी

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