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अल्ताफ़ कलंदर

अल्फाजों मेरा तआरुफ़ दुनिया को करवा दो रख दो आईना आगे, ख़ुद से भी मिलवा दो

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अल्ताफ़ कलंदर

नुमाइश

नुमाइश

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अल्ताफ़ कलंदर

चारागर की दवाओं में
आज असर आ जाए
सब माँओं की दुआओं में
आज असर आ जाए

रातों में छिप कर बैठा
जल जाए दुश्मन
उम्मीदों की ज़ियाओं में
आज असर आ जाए

बनके त्सुनामी आगे बढ़ता 
दरिया हटे पीछे
इतना अपनी साँसों में
आज असर आ जाए

वायलिन और सारंगीयाँ
छेड़े दुख के तार
ताशे ढोल नगाड़ों में
आज असर आ जाए Praying hearts
#prayer #Hope #doctors

Praying hearts #prayer #Hope #Doctors

12 Love

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अल्ताफ़ कलंदर

एक नज़्म अब भी बैठी होगी
कहीं मेरे इंतज़ार में!
ढूँढ अल्ताफ़ निशाँ उसके
सहरा में गुलज़ार में.

क्यों अल्फ़ाज़ न बरसे अबतक?
रुत सावन की बीत रही.
कागज़ तनहा है. और स्याही,
पड़ी क़लम में सूख रही.
भीग जाने दो कागज़ को
नज़्मों की बौछार में Finding nazm #Books #poetry #altafkalandar #kalandari
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अल्ताफ़ कलंदर

अल्ताफ़ कलंदर की शायरी हिसाब

हिसाब

7 Love

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अल्ताफ़ कलंदर

यूँ ही एक एक दबी हुई, खोयी हुई,
उलझी हुई बातोंका इल्म होगा,
तो मिलने लगेगा आकार रूह को
जो महसूस होगा पानी की तरह
पानी...!
ठहरा हुआ, बहता हुआ, बरसता हुआ

यकीन हो जाएगा के सब मुमकिन है.
बस...
कभी ख़ालीपन में "ख़ुद" से बात करो! Khaalipan part 4

Khaalipan part 4

6 Love

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अल्ताफ़ कलंदर

साँसों से आये गर सदा कोई,
तो रुख़ कर उस ओर देख लो एक बार.
कोई सुर और लय उसे भी
मिल गयी होगी अनोखी
दिल और दिमाग़ के,
षड्ज पंचम के बीच
झूलती रही थी अबतक,
उसको भी वजूद मिल गया होगा
सुरीले गंधार सा!!! Khaalipan part 3

Khaalipan part 3

5 Love

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अल्ताफ़ कलंदर

सीने की धड़कन को भी गर सुन सको,
तो बात छेड़ देना उससे भी कोई,
वो भी तो, कब से,
अकेले ही पिसी जा रही थी सीने में...
जैसे माँ होती है घर में...
कुछ देर उससे भी बात कर लो
या मुस्कुरा दो बस उसके लिए
या बैठ जाओ साथ उसके कुछ पल
उसपर लदा उम्मीदों का बोझ
कुछ तो हलका हो जाए! Khaalipan part 2

Khaalipan part 2

7 Love

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अल्ताफ़ कलंदर

कभी यूँ ही ख़ालीपन में
खुद से बात करो,
तो पता लगता है
अपनी आवाज़ कैसी है
पता लगता है कि आजतक,
कभी सुना ही नहीं था ख़ुद को
ठीक से. नज़दीक से. प्यार से.

इस आवाज़ में से बन जाता है एक चेहरा,
वो बयाँ करता है वो सारे जज़्बात
जो मैं महसूस कर रहा हूँ दिल में
मानो कोई आईना रखा हो
अपनी आवाज़ के आगे
जज़्बातों का अक्स दिखाता हुवा! Khaalipan part 1

Khaalipan part 1

7 Love

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अल्ताफ़ कलंदर

काला उजला दो छोरोंपर दो मिसरे हैं
चाँद और सूरज ग़ज़्ले-जहाँ के दो मिसरे हैं
एक वो खींचातानी सब कुछ लिखवाती है
दीनो-दिल के बीच में बैठे दो मिसरे हैं Read between the lines

Read between the lines

10 Love

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अल्ताफ़ कलंदर

न्हाऊनी रंगात मजला एक कविता भेटली
केस ओले झटकता ती अत्तरे ही बरसली
शब्द आणि श्वास झाले सुगंधाचे सोयरे
दुःख, भय अन द्वेष ढळले तन्मने आनंदली Poetry meets colours

Poetry meets colours

10 Love

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