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Brajendra Mishra

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Brajendra Mishra

#एक_शाम_पुलिस_के_नाम
 #25_अक्टूबर_2022

#Seoni #kavisammelan 
#सिवनी #कविसम्मेलन 

अपनी जन्मभूमि (सिवनी) में पुलिस बल द्वारा आयोजित कवि  सम्मेलन में कुछ पढ़ने सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। एक और बड़ी बात मेरे लिए यह भी थी कि पहली ही प्रस्तुति मेरी थी।

#एक_शाम_पुलिस_के_नाम #25_अक्टूबर_2022 #seoni #kavisammelan #सिवनी #कविसम्मेलन अपनी जन्मभूमि (सिवनी) में पुलिस बल द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में कुछ पढ़ने सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। एक और बड़ी बात मेरे लिए यह भी थी कि पहली ही प्रस्तुति मेरी थी। #कविता #Police_FlagDay_2022 #Seoni_Madhya_Pradesh #Kavi_Sammelan_25Oct22

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Brajendra Mishra

🌺 हिन्दी साहित्य भारती 🌺

 *हिन्दी साहित्य भारती की स्थापना और विकास*
         
            प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, झाँसी निवासी डॉ रवींद्र शुक्ल तथा उनके साथ देश के अनेक विद्वानों ने हिन्दी भाषा एवं हिन्दी साहित्य के उत्थान का संकल्प लेकर १५ जुलाई २०२० को हिन्दी साहित्य भारती नामक संस्था का गठन किया। अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ३५ देशों में हिन्दी साहित्य भारती सक्रिय है और भारत के २७ प्रदेशों में हमारी विधिवत रूप से गठित प्रदेश अनेक कार्य कारिणी सांगठनिक और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं तथा देश के शेष प्रदेशों में संयोजक एवं प्रभारी नियुक्त किए जा चुके हैं जो गठन की प्रक्रिया में सक्रिय हैं। अनेक प्रदेशों में जनपदों और महानगरों में भी हमारा संगठन खड़ा हो चुका है। 
        १
        अत्यन्त गौरव का विषय है कि हिन्दी साहित्य भारती से इस समय अनेक पूर्व राज्यपाल, अनेक विश्विद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति,  प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिलब्ध साहित्यकार, नवोदित प्रतिभाशाली साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक हिन्दीप्रेमी और साहित्यनुरागी तन-मन-धन से तथा पूर्ण निष्ठा एवं समर्पणभाव से जुड़े हैं।
       
 केंद्रीय कमेटी के सदस्य,व कर्नाटक के प्रभारी प्रेम तन्मय के दिशा निर्देशन में कर्नाटक प्रदेश की कार्यकारणी गठित की गई , जिसमें  शालिनी श्रीवास्तव - प्रदेश अध्यक्ष ,
श्री ब्रजेन्द्र मिश्रा - सह अध्यक्ष , सरिता सैल - उपाध्यक्ष, ममता शर्मा - प्रदेश सचिव , मनीष उपाध्याय - सह सचिव व पुष्पा त्रिपाठी कोषाध्यक्ष मनोनीत किये गये ।

                    


*संस्था के उद्देश्य* 

 संस्था के प्रमुख उद्देश्य निम्नवत हैं-
१-भारत के गौरवशाली साहित्य एवं सांस्कृतिक चेतना को विश्व पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना। 
२- भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार दिलाना तथा इसके लिए आवश्यक कार्य योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करना।
३- वैश्विक स्तर पर हिन्दी की महत्ता (जिसमें भारत की सभी  क्षेत्रीय बोलियाँ भी शामिल हैं) स्थापित करना और इस हेतु हिन्दी भाषा की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करना। 
४- हिन्दी एवं भारत की सभा भाषाओं के साहित्यकारों को वैश्विक एवं राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना तथा समाजोपयोगी साहित्य को भिन्न-भिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल कराना। 
५- हिन्दी के समृद्ध किन्तु आर्थिक रूप से कमजोर साहित्यकारों की उच्च स्तरीय कृतियों को प्रकाशित कराने की व्यवस्था कराना।  
६- विश्व के हिन्दी साहित्यकारों को एक साथ एक मंच पर लाकर साहित्य के प्रदूषण को समाप्त करना।
७- विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों के माध्यम से मानवता के कल्याण हेतु भारत के आदर्श मानवीय जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुँचना तथा देश के बौद्धिक वातावरण को सकारात्मक दिशा देना। 
८- *"इदं न मम, इदं राष्ट्राय"* तथा *"माता भूमि: पुत्रोहम पृथ्विया:"* के मंत्र को केंद्र में रखकर हिन्दी में साहित्य रचना करने वाले साहित्यकारों को प्रेरित करना, जिसके लिए पुरस्कार और प्रशिक्षण आदि का आयोजन करना। 
९-हर प्रदेश के उत्कृष्ट हिन्दी साहित्यकारों को देश तथा विदेश के मंचों पर स्थान दिलाना। 
१०- हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य तथा हिन्दी के साहित्यकारों के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, गोष्ठियाँ, कवि सम्मेलन, परिसंवाद, साहित्यकार सम्मेलन आदि आयोजित करना।

      
         आज हिन्दी साहित्य भारती की केन्द्रीय  तथा वैदेशिक व प्रादेशिक कार्यकारिणी की घोषणा की जा रही है।  ये सभी केन्द्रीय कार्यकारिणी के मार्गदर्शन में काम करेगी।

                                  
  
 प्रेम तन्मय
                                     सदस्य - 
केंद्रीय कार्यकारिणी ,
प्रभारी कर्नाटक प्रदेश

©Brajendra Mishra

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Brajendra Mishra

दिनांक- ३०/१०/२०२०
विषय- चित्राधार लेखन
विधा - हाइकू
---------------------------------
१. जैसे ही झुका
मैं चरणों को छूने
मिला आशीष
२. पाके आशीष 
हुआ पुण्य प्रतीत
मिटा अज्ञान
३. सलाह मन
मैं हुआ धनवान
मिला सम्मान
४. मिटा अज्ञान
पा के ये संस्कार
जीवन सार
५. वे परिपूर्ण
निज अनुभव से
सिखाते बात
६. दिखाते राह
तुम्हारा कल्याण ही
उनकी चाह
७. करो आदर
 उत्तम व्यवहार
सीखो संस्कार
------------------------------------
- ब्रजेन्द्र मिश्रा
(स्वरचित)
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©Brajendra Mishra

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Brajendra Mishra

#myvoice
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Brajendra Mishra

मोहन की अविरल भक्ति

#JalFlute

मोहन की अविरल भक्ति #JalFlute

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Brajendra Mishra

ये राखी के सुंदर धागे इतने भी, कच्चे नहीं होते हैं।
जो काम नहीं कर सकता कोई, वो काम ये कर देते हैं।।1।।

वैसे तो यह पावन धागा, लगता बहुत ही सस्ता है।
भाई-बहिन का पवित्र प्रेम इस धागे में ही बसता है।।2।।

वैसे तो धागों का दुनिया में, खास कोई मोल नहीं।
गर छूले कोई बहिना इसे, बनता है रक्षा सूत्र यही।।3  

शक्ति कच्चे धागे की, तो हम सभी भारतीय जानें।
बहिना की एक पुकार पर, दौड़े आए भाई अकुलाने।।4।।

इस धागे की महिमा को, निभाये थे श्री जगदीश भी।
द्रोपदी की एक पुकार पर, दौड़े आये द्वारिकाधीश भी।।5।।

बहिन तो भाई का है इक गहना, इस पावन रिश्ते का क्या कहना।
बहिन का प्यार नहीं पाया जिसने,जीवन का एक सुख गंवाया उसने।।6।।

रक्षाबंधन का त्यौहार, साल में एक बार ही आता है।
हर एक-भाई बहिन को, यह पर्व बड़ा ही भाता है।।7।।

जब खुश होती हैं बहनें, भाई आनंदमग्न हो जाता है।
मत पूछो कितना प्यारा, ये भाई बहिन का नाता है।।8।।

कहे भाई राखी के बदले, रक्षा का वचन निभाऊंगा।
गर जरूरत तुझे पड़े, अपना सर्वस्व लुटाऊंगा।।9।।

लगा के चंदन बाँध के राखी बहिन दुआएँ  देती है।
सदा खुश रहे मेरा प्यारा भैया कहकर बलैया लेती है।।10।।

कुछ वर्षों पहले तक क्या खूब होता था।
अपना भी ये पावन धागों का त्यौहार।।11।।

संग संग होते हम सब इसदिन और होता।
दिनभर मौज मस्ती नोंकझोंक और प्यार।।12।।

आज जब इस दिन हम सब मिल नहीं पाते।
वो प्यारे दिन मुझको बहिना याद बड़े आते।।13।।

रक्षाबंधन भाई-बहिन का सबसे बड़ा त्यौहार है।
दूर होकर भी हम सबके मन में कितना प्यार है।।14।।



शब्दशिल्प : ब्रजेन्द्र मिश्रा #rakshabandhan
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Brajendra Mishra

दोस्ती का नाम जिंदगी, जिंदगी का नाम दोस्ती।
दोस्ती को निभाना यारों, है रब की सच्ची बंदगी।।

दोस्ती तो दवा है, जिंदगी ख़ुशी से जीने की।
दोस्त ही देता है, हिम्मत गमों को पीने की।।

जिंदगी बैरंग होती, बिन दोस्ती के तुम तुम्हारी।
यार तेरी ये दोस्ती ही, है अब जिंदगी हमारी।।

जिंदगी गर भूख है, तो दोस्ती है निवाला।
ये मेरे दोस्त कभी, ये दोस्ती ना भुलाना।।

दोस्ती नहीं कोई सौदा, जो शर्तों पे निभायी जाए।
दोस्ती तो वो दुआ है,जो मुसीबत में काम आए।।

जो मतलब भरी हो, तो बुरी आदत है दोस्ती।
तो मतलब परे हो, तो एक इबादत है दोस्ती।।

शब्दशिल्प : ब्रजेन्द्र मिश्रा #Dosti
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Brajendra Mishra

💢इंतज़ार💢

बेक़रारी बढ़ रही है इंतजार की
करूँ प्रतिक्षा मैं तेरे इक़रार की
इंतहा हो रही है इम्तिहान की
बेक़रारी बढ़ रही है इंतजार की।।1।।

क्या वज़ह है यूँ तेरे इनकार की
या परीक्षा ले रही हो मेरे प्यार की
इंतहा हो रही है इम्तिहान की
बेक़रारी बढ़ रही है इंतजार की।।2।।

ऐसी भी क्या वज़ह है तकरार की
बेवज़ह ये क्या अदा है सरकार की
इंतहा हो रही है इम्तिहान की
बेक़रारी बढ़ रही है इंतजार की।।3।।

धड़कने बढ़ा रहे क्यूँ दिलदार की
ऋतुयें बीत रहीं मौसमें बहार की
इंतहा हो रही है इम्तिहान की
बेक़रारी बढ़ रही है इंतजार की।।4।।

चकोर जैसे चाँद का रास्ता निहारती
क्या कदर नहीं है तुझे ऐसे प्यार की
इंतहा हो रही है इम्तिहान की
बेक़रारी बढ़ रही है इंतजार की।।5।।

स्वाति नक्षत्र बूँद ज्यों चातक को चाहती
आभीजा आन है राधेकिशन के प्यार की
इंतहा हो रही है इम्तिहान की
बेक़रारी बढ़ रही है इंतजार की।।6।।

शब्दशिल्प : ब्रजेन्द्र मिश्र #newplace
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Brajendra Mishra

कान्हा तुम्हें जितना भी सोचूँ, मन कभी भरता नहीं,
तेरे सिवा कुछ और मैं देखूँ, मन कभी करता नहीं।

मोर पंख सिर पर सोहे, मोहनी सूरत घनश्याम की,
पीरी कछौटी काया सोहे, मनमोहन सुंदर श्याम की।

माखनचोरी, नाग नथाये, गोवर्धन अंगुली उठाए तुम।
वस्त्र चुराए, रास रचाये, देवेंद्र का मान घटाए तुम।

पूतना मारे कंसासुर तारे, मही का भार उतारे तुम,
सकल जगत मैं हूँ अकेला, सिर्फ एक सहारे तुम।

राधेकिशन की कथा कन्हैया, मुझे बड़ा ही भाती हैं,
जब जब मोहन मुरली बजावे, राधा दौड़ी आती है।

द्रोपदी की तुम लाज बचाये, बन्धन को सम्मान दिया,
धर्मयुद्ध में तुम बने सारथी, पार्थ को गीता ज्ञान दिया।

कान्हा तुम्हें जितना भी सोचूँ, मन कभी भरता नहीं,
तेरे सिवा कुछ और मैं देखूँ, मन कभी करता नहीं।

शब्दशिल्प : ब्रजेन्द्र मिश्रा

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