1-न जाने बज रहे कितने बसन्ती राग धड़कन में।
मिले हो जब से तुम तबसे लगी इक आग धड़कन में।।
हाय बौराया कैसा मन मेरा अमराई सा पागल
मिलालो दिल से दिल हों जाये होली फ़ाग धड़कन में।।
2-कितने रंग हुस्न के वो दिखाता रहा।
आदतन डाँटता,खिलखिलाता रहा।।
बात उससे हुई तो कई दिन तलक
मेरा दिल प्रेमधुन गुनगुनाता रहा।। #कविता