(सभी विषयों से रिक्त मन होना ही आत्मदर्शन का उत्तम व अंतिम उपाय है )अथात आदेशो नेति नेति न ह्येतस्मादिति नेत्यन्यत् परमस्ति(बृह.उपनिषद 2/3/6)
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