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shlaghasrivastav3620
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Khwaab Writings

किस्से बहुत हैं सुनाने को, क्या आप इतना वक़्त लाएं है?

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Khwaab Writings

एक वक्त था जब दिल पूछता था
किसीको इतनी एहमियत देना मुनासिब होगा क्या?
किसी से बे हिसाब प्यार मुकम्मल होगा क्या?
किसी को अपना सब कुछ बताना क्या वाकई सही है?
किसी के लिए अपनी नींद को गंवाना समझदारी होती है?
किसी की बे परवाह फिकर करना क्या सच में सही होता है?

आज उन सवालों के जवाब बेशक मिल गए हैं
आज दिल अपने खिलाफ ही होगया है,
उसे एहमियत देना बेहिसाब आता है,
जिससे प्यार है उसे बखूबी जताना आता है,
अब वो फिक्र भी हद से ज्यादा करता है,
अब वो नींद गंवाने को तैयार भी रहता है,
अब तो वो अपनी हर बात कहता है।

क्योंकि अब मेरा दिल मेरी नहीं सुनता है,
वो किसी का पूरे दिल से होगया है,
वो किसी के लिए कुछ भी कर सकता है।
सिर्फ एक शख्स के ज़िंदगी में आने से ,
आज ये दिल बे खौफ मुस्कुराने भी लगता है।

©Khwaab Writings #Love

Love #Poetry

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Khwaab Writings

हमे वाकई पता न था 
हम इस हद तक चाहेंगे किसीको,
हमे वाकई अंदाज़ा न था कोई इतना 
चाह सकता है किसीको।

खुदा की नेमत है ये कि 
आप हमारी ज़िंदगी में आए,
आए भी कुछ इस तरह से कि
अब आपके बिना कुछ मुमकिन लगता नहीं है,
आपके जैसा पाक दिल इस जहां ने कोई दिखता भी नहीं है।

खुदा से हमेशा यही है दुआ कि
आपको सारी बरकत दे वो,
ज्यादा कुछ तो नहीं बस हमारा साथ मुकम्मल रखे वो।

©Khwaab Writings #Love

Love #Poetry

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Khwaab Writings

लोग कहते हैं वक्त हर घाव भर देता है।
कुछ सवालात मन में आए हैं ,
जो लोगों से  पूछने चाहे हैं।
कि क्या घाव के निशान भी चले जाते हैं?
 क्या घाव के ये दर्द चले जाते हैं?
मैं पूछती हूं कि समझाना जितना आसान होता है,
क्या समझना भी उतना आसान होता है?
वो जो सिर पर हाथ हमेशा रखते थे,
वो जो हर छोटी बात पर दिल से शाबाश कहते थे,
वो कमी पूरी हो जाएगी क्या?
मैं पूछना चाहती हूं कि, 
अगर वो घाव मुझे प्यारा हो तो क्या? 
वो सब मैं भुलाना न चाहूं तो क्या?
उनके साथ बिताया हर पल खास था, 
वो साथ नहीं तो मेरा हर दिन उदास होता है,
क्या ये उदासी चली जाएगी?
 क्या पापा की याद वक्त के साथ कम आएगी?

बातों में तो बातें ही होती है बस, 
हकीकत में जिंदगी बातें नहीं करती।
मीठी यादें तो बेशक बहुत हैं, 
मगर वो आखिरी के कुछ कड़वे दिन भूले नहीं जाते।
मैं मानती हूं घाव भर ही जाएगा,
 मगर उनका न होना उदास हमेशा कर जाएगा।

©Khwaab Writings #MessageToTheWorld
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Khwaab Writings

इस जहां में इतना तन्हा तन्हा सा क्यों लगता है?
मन में ख्यालों की भीड़ इतनी है 
तो ये घर खाली खाली सा क्यों लगता है? 
कहते हैं वक्त से साथ यादें धुंधली पड़ जाती हैं,
मगर कुछ कड़वी यादें 
न चाहते हुए भी याद क्यों आती हैं?
मैने सुना था लोग लिख कर अपनी कहानी बयां करते हैं,
मगर इस लिखावट में भी 
अब सब बनावटी सा क्यों लगता है?
लिखना चाहती तो बहुत कुछ हूं,
मगर अब लिखने का मन क्यूं नहीं करता है?
कुछ लोगों की बातें सुन कर , अब मन भर सा जाता है,
कुछ की बातें सुनने के लिए ये मन तरस सा जाता है।
वो आवाज़ , वो हंसी , वो खुशी कहीं खो सी गई है क्या?
वो जज़्बात , वो बात अब वापस नहीं आ सकती है क्या?
वो खुदा ये रिश्ते नाते बनाता क्यूं है?
एक बेटी अपने पिता को देखना चाहती है,
उन्हें गले से लगाकर , उन्हें चूमना चाहती है,
ये जज़्बात , ये दर्द खुदा को नहीं दिखते क्या?

मन में सवालों की सुनामी सी आई है आज,
मैं क्या करू पापा की रोज से ज़्यादा याद आई है आज।

©Shlagha #LoveYouDad
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Khwaab Writings

कमी बहुत लगती है,
वो लफ्ज़  - वो हंसी - वो ठहाके ,
कमी बहुत लगती है,
वो आप - वो आपकी हर बात, 
कमी बहुत लगती है,
वो दुलार - वो प्यार 
वो आपकी हर एक आदत 
कमी बहुत लगती है।
वो मुझे बुलाकर मुझे समझाना,
वो मां की डांट से मुझे बचाना, कमी बहुत लगती है।
वो मुझे रोज सुबह "सोना" कहकर उठाना
वो मेरे न उठने पर आपका प्यार से गुस्सा दिखाना,
कमी बहुत लगती है,
वो आपके साथ घूमना, 
वो आपका मेरी फेवरेट चीज़ें खरीदना 
वो आपका मेरी बेइंतेहान फिकर करना
कमी बहुत लगती है
वो आपकी हर बात पर मेरा "आप भी पापा" कहना , 
वो मेरे बीमार होने पर, मेरा माथा चूमना
वो आपका बिट्टू कहकर ज़ोर से पुकारना,
कमी बहुत लगती है। 
वो मेरी कुछ बातों पर आपका मुस्कुराकर 
"बहुत शैतान हो " कहना , कमी बहुत लगती है।

कमी बहुत लगती है,
आपका हमारे बीच न होना,
पापा आपकी 
कमी बहुत ज़्यादा लगती है।

©Shlagha #standAlone
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Khwaab Writings

मन में एक बात आई है , 
जो जुबां से कहनी चाही है
इस दुनिया से लोग कहां जाते है? 
ये रिश्ते नाते ईश्वर क्यों बनाते हैं?
एक दिन जाना सबको होता है, 
फिर इतना लाड प्यार दिया क्यों जाता है?
एक बेटी के लिए पिता क्या होता है? 

पिता का साया छिन जाए उसके बाद क्या होता है?
ये दुनिया दारी ईश्वर ने क्यों बनाई है? 
ये भगवान ने कटपुतलियों जैसी जिंदगी क्यों बनाई है?
क्या सबको प्यार नसीब होता है? किसीको को इतना सुख तो किसीको
सिर्फ दुख ही नसीब क्यों होता है? 
माना कर्म सबसे ऊंचा होता है, तो फिर कर्म भी न्याय करने से क्यों चूका है? 
किस बात की सजा ईश्वर तुमने मुझको दी है?
क्या इतनी जल्दी कोई बेटी पिता से बिछड़ती है? 
क्या ज़रा सी रहम न आई तुझको मुझ पर,
क्या मेरा खुदा मुझसे बेहद रूठा है? 
क्या करू ऐसा जो फिर से गले लगा ले मुझे, 
क्या कहूं ऐसा कि पापा से फिर से मिला दे मुझे?

मेरे महादेव इतने खफा तुम क्यों हो भला?
इतना सब दिया फिर भी एक लालच सी लगती है,
सिर्फ सुख ही मिले मन ज़िद्द ये बड़ा ही करता है,
मुमकिन नहीं वापस वैसा ये मुझको पता है अब,
एक बात सुनो अब थोड़ी खुशियां भी दे देना,
ज्यादा तो नहीं बस मेरी मां को लम्बी उमर तुम दे देना।

©Shlagha #Dwell_in_possibility
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Khwaab Writings

आज एक महीने बाद...

सूरज की चमक वैसी ही है।
हवा की ठंडक वैसी ही है।
चांद की चांदनी वैसी ही है।
मोहल्ले के रुख वैसे ही है। 
दुनिया के रीति रिवाज़ भी वैसे ही है।
भूख प्यास वैसे ही है।
घर का सामान वैसे ही है।

बदला है तो सिर्फ
हमारा छोटा सा आशियाना
और हमारा मन।

पापा का न होना 
ज़िन्दगी बदल गया 
पापा का न होना
हम सबको बदल गया।

बाकी सब तो वैसे ही है .....

- अनिमेष

©Shlagha #FathersDay
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Khwaab Writings

I was there with my father on 29th April morning. 
He was doing fine and according to the doctors he was recovering.
I adored him the most on that morning
 because there was a sign of recovering.
I gave him milk and juice to drink and 
He sat on the bed holding the glass sipping the juice. 
After some time god's plan started working and He got panicked.
His blood pressure was extremely unstable &
 then he became unconscious.
After that We had tried hell lot of things and shifted him to the ICU and as doctors said we were returning home.
I was sitting in the car front seat & a call 
on my phone changed my life like its 
a call from Mahadeva saying I am taking your father with me & 
I will take care of him more than you can do.
I imagined like Mahadeva & 
Papa smiled at me holding hands of each other & they both gone.
My Father gone that day & there was no tears of grief in my eyes.
I was stable doing all the hospital formalities & 
I myself saw that my father's body going into the logs of fire.
I trusted Mahadeva & will trust him forever.

Lots of peace and love to Papa ❣️
Om Namah Shivay 🙏🙏

©Shlagha #HeartBook
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Khwaab Writings

कम नहीं होता,
जज़्बातों के इस समंदर से
लगाव कम नहीं होता।
यादें धुंधली पड़ना मुमकिन सा है
मगर हर छोटी बड़ी बातों से,
जुड़ाव कम नहीं होता।
इंसान मुकम्मल जीता होगा,
मगर दिल का वो एहसास कम नहीं होता।
कहने को तो ज़िंदगी चल ही रही है,
मगर ख्वाबों से वो गहरा नाता कम नहीं होता।
मुस्कुराते हम आज भी उतना ही हैं
मगर वो खिलखिलाहट भरी आवाज़
का सूनापन कम नहीं होता।
ना जाने क्यों,
वो दिल से दिमाग की नाराज़गी
का सिलसिला कम नहीं होता।

 - श्लाघा #SilentWaves
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Khwaab Writings

मालूम होता हैं डायरी का 
सफ़्हा अब बे जुबां नहीं रहा,
मानो लफ़्ज़ों की कलम से
किसीने इसमें जान फूंक दी हो।
अब डायरी खोलते ही,
ये हर बात बड़े शौक से बताता है,
अब ये मेरी सुनता भी है,
और बीती बातें याद भी दिलाता है।

- श्लाघा #Book
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