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amritkumar2133
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Amrit Kumar

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Amrit Kumar

White सुन ए आसमा बहुत अकड़ है  न तुझमें  तो बिल्कुल  गिरा मुझे तुझको छूने  से  मगर याद रख आग  से  तपती  भटी में तु मुझको सेक रहा है ,अरे  भय की चादर लिए तु मुझको ढक रहा है.अरे रोक सके तो रोक मेरा यह स्वाभिमान  है लड़के भी हार   गया मैं यह तो योद्धा का पुरुषार्थ है ...अरे अंत तक हारूगा  इस कर्मों के बलिदान से सुन ए आसमा बहुत अकड़ है  न तुझमें  तो बिल्कुल  गिरा मुझे तुझको छूने  से...

©Amrit Kumar
  no one stop u

no one stop u #विचार

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Amrit Kumar

White क्यों सब कुछ धुंधला सा देख रहा हु  अनेक  ऊंचाइयों से अब नाता तोड़ रहा हु क्या यही गलती थी मेरी कुछ बड़े  सपने को दिल में सजाने की,लोगो की कुछ कड़वे चीजों को अपनाने की ,कुछ अलग सोच को कुछ  अंतरंगी चीजो से सजाने की परंतु मन को एकाग्र किए अब भी सपने को बुन रहा हु ,क्योंकी  सब कुछ धुंधला सा देख रहा हु  अनेक  ऊंचाइयों से अब नाता तोड़ रहा हु.....  no excuses Amrit kumar

©Amrit Kumar
  ye lets try

ye lets try #कविता

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Amrit Kumar

Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring.  मेरे जिंदगी के सारे रंग लेकर मेरे चेहरे के सारे उमंग लेकर मेरे कठेनाईओ से रुबरू होके भी पता नही तुम क्यों मुझसे दूर  चली जाती हो . ....और क्या मैं तुम्हारे लिए अब भी एक धोखा हूं  और बेदर्द हवा का एक झोखा हूं जो मिलते ही अपने नजरे यू ही हटा लेती हूं . तुम्हारी कान के वह झूमके ही सही जो मेरे ख्वाबों के टीम टीमाते तारे हुआ करते थे  मगर अक्सर ख्वाबों में भी तुम आकर मुझे हाथो से  कनखी  दे दिया करती हो.... स्वर्ग की परी ही सही लेकिन तुम मुझसे दूर होने बहाना बना देती हो और अक्सर मेरे जिंदगी के सारे रंग लेकर मेरे चेहरे के सारे उमंग लेकर मेरे कठेनाईओ से रुबरू होके भी पता नही तुम क्यों मुझसे दूर  चली जाती हो . .... AMRIT KUMAR

©Amrit Kumar
  ye

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Amrit Kumar

मुझे याद है बड़े पा की आप जब  भी बक्सर मेरे घर आते सुरेंद्र कहा है यही बाते अपनी   मुस्कान से  दोहराते रहते . जब मैं आपका आशीर्वाद लेना जाता हरिओम  बोल मेरी गांव न आने की  शिकायते खूब मुझेसे  सुनाते. मेरी और अलख जी के राजाजी का उल्लेख कर आप भी हसी से अपने आप को रोक नहीं पाते..और मुझे मुझे याद है बड़े पा की आप जब  भी बक्सर मेरे घर आते सुरेंद्र कहा है यही बाते अपनी   मुस्कान से  दोहराते रहते .......    अमृत कुमार 😊😊😊

©Amrit Kumar
  jeevan

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Amrit Kumar

उड़ते हुए परींदे हो तुम हर तरफ रौशनी  से रौशन  जहा करोगे . हा मैने कई बार तुम्हे गीरते लड़ते देखा है हार की भय को छोड़कर   तुम्हारे कर्म की प्रधानता से मैंने भी नही मेरे बड़े भाई ने भी  बहुत कुछ सीखा है . मां बाबा के सपने छोटे सही पर  वह आज  तुमसे  ही पूर्ण होते देख रहा हु . एक दिन वो समा होगा जिस पर जाने का जरिया  होगे तुम .क्युकी रौशन उड़ते हुए परींदे हो तुम हर तरफ रौशनी  से रौशन  जहा करोगे .🙏🙏🙏🙏🙏  अमृत कुमार  💕💕💕💕 happy birthday raushan bhaiya

©Amrit Kumar
  tripod

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Amrit Kumar

इन संघर्षों में फिसल फिसल कर मैं अब खड़ा हो रहा हूं क्युकी महादेव मैं अब आपका हो रहा हू  ....क्युकी  मैं अब आपका हो रहा हू  इस काशी की नगरी में जीवन से भरे इस संगम में अपने मुस्कुराहट के अनेक आशु को धो रहा हूं क्युकी महादेव मैं अब आपका हो रहा हू .... जीवन में भरे ऊर्जा की इस अग्नि को मैं आपके ललाट से ले रहा हू ...  क्युकी महादेव मैं अब आपका हो रहा हू  मैं अब आपका हो रहा हू........……..................अमृत कुमार

©Amrit Kumar
  महादेव

महादेव #समाज

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Amrit Kumar

गिरने से हम क्यों डरते है  क्योंकि हमे लगता हैं कि हम कमजोर है  हारे हुए इन हत्थेलियो से मजबूर है .  अब सहारे की मानो जरूरत आन पड़ी है जिससे   उमीदे थी  उसकी भी खीलखिआहट  मेरी पतन को जान चुकी है .पिता की उन उम्मीदों पे पता नही कब  खड़ा उतरूंगा  पर मेहनत की इन हाथों से जीत की  शंख नाद जरूर करूगा . अंततः तू सुन  तब तू क्यों डरता है क्योंकि तुझे लगता है की तू कमजोर है  और हारे हुए इन हत्थेलियो से मजबूर है

©Amrit Kumar
  #Auजीत आपकी

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Amrit Kumar

कुछ ख्वाब जब हम सोचा करते है तब तब लोग हम पर   हसा करते हैं .  कुछ किया नही न अब तक इसलिए  वह हमसे सारे गीले सीकावा किया करते है . है दर्द  दिए उनके ऐसे  जो हमारी मुस्कानों को भी हमसे छीन लिया करते है .  हां माना मेरी राहें कठीन बहुत हैं मगर  राहों में गिरकर हम अपनी सारी आंसू पोंछ लिया करते हैं  . क्युकी कुछ ख्वाब जब हम सोचा करते है तब तब लोग हम पर   हसा करते हैं . .......

©Amrit Kumar
  मेरा भैया पियूष

मेरा भैया पियूष #कविता

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Amrit Kumar

कुछ ख्वाब जब हम सोचा करते है तब तब लोग हम पर   हसा करते हैं .  कुछ किया नही न अब तक इसलिए  वह हमसे सारे गीले सीकावा किया करते है . है दर्द  दिए उनके ऐसे  जो हमारी मुस्कानों को भी हमसे छीन लिया करते है .  हां माना मेरी राहें कठीन बहुत हैं मगर  राहों में गिरकर हम अपनी सारी आंसू पोंछ लिया करते हैं  . क्युकी कुछ ख्वाब जब हम सोचा करते है तब तब लोग हम पर   हसा करते हैं . .......

©Amrit Kumar मेरा भैया पियूष

मेरा भैया पियूष #कविता

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Amrit Kumar

शरीर यह  तूने कैसा  बनाया ए खुदा  जो मैं हमेशा सजने को तयार रहता हू .खुद का न होगा यह काया फिर भी अभिमानो से अपनी कृति को गया करता हु .माया यह कैसा तेरा जो पहचान न सका अब तक की मिट्टी का खिलवाना हु मै जो जलके राख हो जाऊंगा ...... लेकिन जलता हू मै क्यों इस जहा से जो माया से है तूने गढ़ा. मैने सोचा यह लोभ और एरसया कैसी जिसे अब भी मैं जान न सका . बिनती है तुझसे की तू आ और बता की शरीर यह  तूने कैसा  बनाया ए खुदा  जो मैं हमेशा सजने को तयार रहता हु  ............

©Amrit Kumar
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