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Wamiq Saood Khan Alig
कभी भी झूठी शोहरत की बहारों पर नहीं चलता..
हो मंज़िल दूर कितनी भी, सहारों पर नहीं चलता..
बना लेता हूँ अपना रास्ता दुनिया के जंगल में.....
कभी भी मैं, हवाओं के इशारों पर नहीं चलता....
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