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alokyadav2386
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Alok Yadav

कलम जो उठ गई मेरी ,तो फिर मैं सो नही सकता। दुआएं लाख कर लो तुम, तुम्हारा हो नही सकता।।

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Alok Yadav

"याद आने पर वो हमे इसतरह ढूंढते हैं,

बारिश में परिंदे जैसे मकां ढूंढते हैं....."

~alok

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Alok Yadav

"उम्मीदों में डूबे रहना क्या कोई ख़ता है,

    गर जमीं पर नही तो क्या आसमानों

 में ख़ुदा है..........…............

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Alok Yadav

न कोई झलक दिखी न कोई हाल अच्छा है,

फिर भी लोग कहेंगे नया साल अच्छा है।

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Alok Yadav

Happy New Year "तुममें नया साल आने की ख़ुशी,

हम्में एक साल बीत जाने का गम"

@आलोक

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Alok Yadav

अब उससे रोज-रोज बात नहीं होती ,
मिलने को कहती है पर मुलाकात नहीं होती ,

सियासत बिना मज़हब के खास नहीं होती,
अब वसुधैव कुटुंबकम जैसी कोई बात नहीं होती,

साकी के लिए हर मयखाना परेशान  लगता है
पर चकोर की चांदनी से मुलाकात नहीं होती ,

शराब के नशे में नशेमन मत गिराओ,
ये अलामत सी जिंदगी बार-बार नहीं होती,

इस हिन्दोस्तां को गुलिस्ता की तरह पाला गया है ,
इसके अपमान की कीमत अब आसान नहीं होती ,

जिंदगी हौसलों की तुरपाई सी लगती है,
मुसीबत तो जिंदगी में शिवाय मेहमान नहीं होती,

आज भीगा सा मौसम बड़ा हसीन लगा तुम्हे ,
पर चंद बूंदें गिरने से बरसात नहीं होती,

कमर तोड़ दी है इन अब्रों ने  किसानों की ,
शहरियों के लिए शिमला से कम कोई बरसात नही होती

वक्त की बर्बादी का खामियाजा तो तुम भुगतोगे,
वक्त के बीत जाने पर कोई आवाज नहीं होती,

हमारी जिंदगी  तो फलसफों में उलझी सी लगती है ,
इम्तिहान रोज देती है पर पास नहीं होती,

हमें तो लगता है रसूख है बुनियाद इसकी,
पर अदावत के बिना कोई वारदात नहीं होती,

आलोक रोज बस उसी के बारे में सोचता है,
पर ख्वाबों के सिवा उससे कभी बात नहीं होती,

मिलती तो रोज है वो पर मुलाक़ात नही होती,
अब उससे रोज-रोज बात नही होती.........

✍️ Alok Yadav

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Alok Yadav

सत्ता की कसक जाने क्या-क्या करवाएगी,

ये मोहब्बत की ही तरह जीते जी मरवायेगी"
      
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Alok Yadav

...पथिक...

इस आह  भरे सूने थल पर, 
थी रेख चरागां की जल पर,
था एक पथिक यूँ घूम रहा, 
लगे प्रेम रस ढूंढ रहा, 
वो तट जननी जनगंगा का , 
वो दृश्य विहंगम संध्या का, 
जिसमे वो खुद को भूल रहा, 
बस प्रेम के मोती ढूंढ रहा।
हो चला पहर अब रजनी का, 
मन हुआ विभोर अजनबी का, 
न अब तक उसको मिला कोई, 
थी प्रेम सिवा न आस कोई
उसकी माशूका नही मिली,
मन उसका विह्वल हुआ तभी
था मिला उसे न कोई अभी,
 रजनी की आभा साथ दिखी,
अश्क प्रेम का मिल न सका
अब रैना भी पैहम बीत रही
मन उसका इतना घबराया , 
पर उसपर  थी मां की शाया 
वो पथिक प्रेम रस पा न सका,, 
उसका जीवन था  रोस भरा,
गंगा का तट हिलकोर लिया,,
लहरों ने उसको घेर लिया, 
एक लहर प्रेम की मिल न सकी , 
पर जीवन उसका डूब गया , 
वो पथिक  प्रेम को भूल गया ,
वो पथिक प्रेम को भूल गया....

✍️ Alok Yadav

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Alok Yadav

...पथिक...

इस आह  भरे सूने थल पर, 
थी रेख चरागां की जल पर,
था एक पथिक यूँ घूम रहा, 
लगे प्रेम रस ढूंढ रहा, 
वो तट जननी जनगंगा का , 
वो दृश्य विहंगम संध्या का, 
जिसमे वो खुद को भूल रहा, 
बस प्रेम के मोती ढूंढ रहा।
हो चला पहर अब रजनी का, 
मन हुआ विभोर अजनबी का, 
न अब तक उसको मिला कोई, 
थी प्रेम सिवा न आस कोई
उसकी माशूका नही मिली,
मन उसका विह्वल हुआ तभी
था मिला उसे न कोई अभी,
 रजनी की आभा साथ दिखी,
अश्क प्रेम का मिल न सका
अब रैना भी पैहम बीत रही
मन उसका इतना घबराया , 
पर उसपर  थी मां की शाया 
वो पथिक प्रेम रस पा न सका,, 
उसका जीवन था  रोस भरा,
गंगा का तट हिलकोर लिया,,
लहरों ने उसको घेर लिया, 
एक लहर प्रेम की मिल न सकी , 
पर जीवन उसका डूब गया , 
वो पथिक  प्रेम को भूल गया ,
वो पथिक प्रेम को भूल गया....

✍️ Alok Yadav

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Alok Yadav

".पथिक"

इस आह  भरे सूने थल पर, 
थी रेख चरागां की जल पर,
था एक पथिक यूँ घूम रहा, 
लगे प्रेम रस ढूंढ रहा, 
वो तट जननी जनगंगा का , 
वो दृश्य विहंगम संध्या का, 
जिसमे वो खुद को भूल रहा, 
बस प्रेम के मोती ढूंढ रहा।
हो चला पहर अब रजनी का, 
मन हुआ विभोर अजनबी का, 
न अब तक उसको मिला कोई, 
थी प्रेम सिवा न आस कोई
उसकी माशूका नही मिली,
मन उसका विह्वल हुआ तभी
था मिला उसे न कोई अभी,
 रजनी की आभा साथ दिखी,
अश्क प्रेम का मिल न सका
अब रैना भी पैहम बीत रही
मन उसका इतना घबराया , 
पर उसपर  थी मां की शाया 
वो पथिक प्रेम रस पा न सका,, 
उसका जीवन था  रोस भरा,
गंगा का तट हिलकोर लिया,,
लहरों ने उसको घेर लिया, 
एक लहर प्रेम की मिल न सकी , 
पर जीवन उसका डूब गया , 
वो पथिक  प्रेम को भूल गया ,
वो पथिक प्रेम को भूल गया......

✍️ Alok yadav #nojoto

nojoto

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Alok Yadav

सांवलापन  भी जाने कितना है कहर ढाए है

उदाहरण तुम मेरे कॉलेज का ही ले लो...... @nojoto

@nojoto

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