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shubhammishra5755
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शुभम मिश्र बेलौरा

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शुभम मिश्र बेलौरा

White आज का दिन याद  है , उनके लिए मशहूर है,
प्राण  देना  देश  के ख़ातिर  जिन्हें मंजूर है।।
      ✨️14 फरवरी✨️
जो सदी से, जो सदी तक, हिन्द पर कुर्बान हैं,
उन शहीदों की वजह से हिन्दुस्तान महान है।
        ✨️14 फरवरी✨️
पुलवामा की हैवानियत पर, देश पूरा था विवश,
उसके पश्चाताप में अब, मन रहा काला दिवस।

©शुभम मिश्र बेलौरा #sad_quotes 14
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शुभम मिश्र बेलौरा

White आज का दिन याद  है , उनके लिए मशहूर है,
प्राण  देना  देश  के ख़ातिर  जिन्हें मंजूर है।।
                    ✨️ 14 फरवरी✨️                   
जो सदी से, जो सदी तक, हिन्द पर कुर्बान हैं,
उन शहीदों की वजह से हिन्दुस्तान महान है।
                     ✨️14 फरवरी✨️                  
पुलवामा की हैवानियत पर देश पूरा था विवश,
उसके पश्चाताप में ही मन रहा काला दिवस।

©शुभम मिश्र बेलौरा #sad_quotes 14
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शुभम मिश्र बेलौरा

White नहाना तेरा पानी में.....
कि जैसे कयामत से आई हुई हो
कि जैसे नजारा कोई जादुई हो 
जमाना तेरा पानी में
नहाना तेरा पानी में.. 
वो तेरा नदी में उतरना झिझकना 
तेरा जिस्म छूके नदी का महकना
वो होंठों से पानी गुलाबी बनाना 
सभी मछलियों को शराबी बनाना
कलम लिख न पाई ये कैसे बतायें 
अरे बाप रे जान लेवा अदाएं 
दिखाना तेरा पानी में
नहाना तेरा पानी में...
वो सर से तेरा बांधना ओढ़नी को 
लगा जैसे बांधा हो सारी नदी को
हंसी चांद बादल के आगोश में था
तुम्हें देख कोई कहां होश में था 
अरे जागते जागते सो गया था 
तुम्हें देख कर इस तरह खो गया था
दिवाना तेरा पानी में
नहाना तेरा पानी में..... 
वो पानी से अठखेलियां और मस्ती 
कि जैसे विखरने लगी मेरी हस्ती 
लगा तन वदन सारा जल जायेगा ये 
अभी बर्फ सा दिल पिघल जाएगा ये 
दुपट्टे का तेरे बदन से लिपटना 
मुझे देख कर तेरा खुद में सिमटना 
लजाना तेरा पानी में 
नहाना तेरा पानी में...

©शुभम मिश्र बेलौरा #Thinking bathing
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शुभम मिश्र बेलौरा

White छोड़ें घर ,बढ़ी उमर, अब हमें कमाने जाना है।
फूल से बचपन को अपने खंडहर बनवाने जाना है।
छोड़ें घर ,बढ़ी उमर, अब हमें कमाने जाना है।।

छत से टपके बूंद और ढेहरी खाली खड़ी हुई है,
शादी की करनी तैयारी बहनें मेरी बड़ी हुई हैं।
बापू की बढ़ती सांसें बिन बोले ही सब कहती हैं,
कड़क ठंड में फटी हुुई धोती में अम्मा जब रहती हैं।
उन्हीं सिकुड़ती खालों पर अचकन डलवाने जाना है,
छोड़ें घर ,बढ़ी उमर, अब हमें कमाने जाना है।।

गांवों के संगी साथी यारों की दुनिया छूट गयी, 
भरी लालिमा से दादी की दूध की मटकी फूट गयी। 
छोटी सी बहना मेरी किससे लड़कर सोती होगी,
राह देखकर जानें कितनें कितनें घंटे रोती होगी।
उसके छोटे हांथों को, कंगन दिलवाने जाना है,
छोड़ें घर ,बढ़ी उमर, अब हमें कमाने जाना है।।

©शुभम मिश्र बेलौरा #Thinking कमाना

#Thinking कमाना #कविता

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शुभम मिश्र बेलौरा

White समय जब भागता है रात गहरी होने लगती है।
तब उसके याद की सम्मा सुनहरी होने लगती है। 
मेरी पलकों पर उसके ख्वाब उगने लगते हैं जैसे,
अजब खुशबू से तर मेरी  मशहरी होने लगती है।

मैं उठकर बैठता हूं और कलम कागज उठाता हूँ। 
मैं उस कागज पर अपने ख्वाब का चेहरा बनाता हूँ।
उजाले चुभने लगते हैं मेरी आंखों में कमरे के,
कलम को चूमता हूं और चरागों को बुझाता हूँ। 

मेरी यादों की उठती इस भंवर में साथ रहती है।
कोई मासूम सी लड़की सफर में साथ रहती है।

©शुभम मिश्र बेलौरा #love_shayari love
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शुभम मिश्र बेलौरा

White नहाना तेरा पानी में.....
कि जैसे कयामत से आई हुई हो
कि जैसे नजारा कोई जादुई हो
जमाना तेरा पानी में
नहाना तेरा पानी में..
वो तेरा नदी में उतरना झिझकना 
तेरा जिस्म छूके नदी का महकना
वो होंठों से पानी गुलाबी बनाना
सभी मछलियों को शराबी बनाना
कलम लिख न पाई ये कैसे बतायें
अरे बाप रे जान लेवा अदाएं
दिखाना तेरा पानी में
नहाना तेरा पानी में...
वो सर से तेरा बांधना ओढ़नी को
लगा जैसे बांधा हो सारी नदी को
हंसी चांद बादल के आगोश में था 
तुम्हें देख कोई कहां होश में था
अरे जागते जागते सो गया था
तुम्हें देख कर इस तरह खो गया था 
दिवाना तेरा पानी में
नहाना तेरा पानी में.....
वो पानी से अठखेलियां और मस्ती 
कि जैसे विखरने लगी मेरी हस्ती
लगा तन वदन सारा जल जायेगा ये 
अभी बर्फ सा दिल पिघल जाएगा ये 
दुपट्टे का तेरे बदन से लिपटना
मुझे देख कर तेरा खुद में सिमटना 
लजाना तेरा पानी में
नहाना तेरा पानी में...

©शुभम मिश्र बेलौरा #Sad_Status नहाना तेरा पानी में

#Sad_Status नहाना तेरा पानी में #कविता

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शुभम मिश्र बेलौरा

White घर के कोने कोने में ,मोबाइल सब पर हावी है,
न ही अंकुश रहा किसी पर,और न कोई चाभी है।
शर्म हया की बात न करिये,आधुनिकता यूं आई है,
बेटे संग रोमांस दिखाकर मम्मी रील बनाई है।
कांट्रैक्ट में बंधे दिख रहे सम्बन्धों के तार,  
घरवालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार, 
बचा लो अपना अब परिवार-2

©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night घर
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शुभम मिश्र बेलौरा

green-leaves घर के कोने कोने में ,मोबाइल सब पर हावी है,
न ही अंकुश रहा किसी पर,और न कोई चाभी है।
शर्म हया की बात न करिये,आधुनिकता यूं आई है,
बेटे संग रोमांस दिखाकर मम्मी रील बनाई है।
कांट्रैक्ट में बंधे दिख रहे सम्बन्धों के तार,  
घरवालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार, 
बचा लो अपना अब परिवार-2

©शुभम मिश्र बेलौरा #GreenLeavespo
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शुभम मिश्र बेलौरा

White बचा लो अपना अब परिवार -2
घरवालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार।
बचा लो अपना अब परिवार -2
जहां बुजुर्गों की इज्जत थी निगरानी करते थे, 
डांट ठहाके देते और बातें मर्दानी करते थे। 
जिंदा रहना बची जिंदगी उनकी इसी जमाने में, 
सारी अहमियत तौल दी गई थाली भर के खाने में। 
दादी दादा से सजा हुआ अब दिखता नहीं घर द्वार, 
घर वालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार। 
बचा लो अपना अब परिवार -2
जहां एक भाई भाई के खातिर राज्य था छोड़ा,
सदियों में मां बेटे का रिश्ता न किसी ने तोड़ा।
वहीं एक कमरे की लड़ाई गोली तक चलवाती है, 
अपनी स्वतंत्रता के खातिर मां बेटे को खा जाती है। 
कर्तव्यों को छोड़ सभी को दिखता बस अधिकार, 
घर वालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार। 
बचा लो अपना अब परिवार -2
भारत की सभ्यता संस्कृति इसमें रही समाई,
इसे मिटाने की साज़िश है दुनिया की सच्चाई। 
प्रेम जगाने वाला दीपक फिर से यहां जलाओ,
बच्चों को शिक्षा के संग संग संस्कार सिखलाओ। 
इसी का करते दुनिया वाले सबसे पहले शिकार, 
घर वालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार। 
बचा लो अपना अब परिवार -2

©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night परिवार

#good_night परिवार #कविता

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शुभम मिश्र बेलौरा

White Good morning से आती सुबह और Good evening से जाती शाम, 
धीरे-2 हो रहा हूँ  फिर से अंग्रेजियत का गुलाम।
अपनी परम्पराओं पर शर्मिंदगी जताई जा रही,
ये अनपढ़ों की भाषा है, हिन्दी बताई जा रही।
उसी का दर्द उसकी निराशा खोलना चाहता हूँ,
सुुनो,मैं अपने गांव की भाषा बोलना चाहता हूँ।।

ये पश्चिम तेरी हर चालाकी मैं पहचान जाता हूँ,
क्या,क्यूं और कब कर रहे, सब जान जाता हूँ।
अफसोस! सब जानकर भी सच्चाई से कोसों दूर हूँ,
मैं भी नौकर बनने, नौकरी करने पर मजबूर हूँ। 
शक्कर नहीं है शरबत मे बताशा घोलना चाहता हूँ, 
सुुनो,मैं अपने गांव की भाषा बोलना चाहता हूं।।

प्रेम की गहराई को बस काम बनाना सिखाया,
सुन्दरता के नाम पर अश्लीलता नग्नता दिखाया।
हां! तुम जो जो चाहते थे वो सब खाने लगे हैं,
आधुनिकता की आग में खुद को जलाने लगे हैं।
तुम्हारी जीत अपनी हताशा तौलना चाहता हूँ,
सुुनो,मैं अपने गांव की भाषा बोलना चाहता हूं।।

©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night English vs Hindi

#good_night English vs Hindi #कविता

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