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saifrazakhan7251
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Saif Raza Khan

A Non-fiction author and poet

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Saif Raza Khan

 ज़रा  सुनो  उन्होंने  कहा  क्या  है
ये  हमसे  पूछा  है   वफ़ा  क्या है|

उन्हीं केे वासते उनको भुला दिया हमने
इससे  बढ़के  हमारे  लिए सज़ा  क्या है?

ये हमने  माना  मुह़ब्बत  उनको थी  हमसे
मगर ज़माना न देखे तो फिर मज़ा क्या है?

ज़रा सुनो उन्होंने कहा क्या है ये हमसे पूछा है वफ़ा क्या है| उन्हीं केे वासते उनको भुला दिया हमने इससे बढ़के हमारे लिए सज़ा क्या है? ये हमने माना मुह़ब्बत उनको थी हमसे मगर ज़माना न देखे तो फिर मज़ा क्या है? #Shayari #nojotophoto

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Saif Raza Khan

 रोहित तिवारी  Rinku Singh OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Namita Suprabha

रोहित तिवारी Rinku Singh OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Namita Suprabha #Quote #nojotophoto

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Saif Raza Khan

 मैं उनके क़ौल पे  कब कहाँ नहीं आया
जहाँ बुलाया है क्या मैं वहाँ नहीं आया|

वादा   करके  कई   बार  वो   नहीं   आये
मेरी ज़ुबां  पे मगर हर्फे गिला  नहीं आया|

वो  दिल  तोड़के  सौ  बार  भी  ये  कहते  हैं
भरा  नहीं  है  अभी  जी  मज़ा  नहीं   आया|

मैं उनके क़ौल पे कब कहाँ नहीं आया जहाँ बुलाया है क्या मैं वहाँ नहीं आया| वादा करके कई बार वो नहीं आये मेरी ज़ुबां पे मगर हर्फे गिला नहीं आया| वो दिल तोड़के सौ बार भी ये कहते हैं भरा नहीं है अभी जी मज़ा नहीं आया| #nojotophoto

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Saif Raza Khan

 मैं ग़रीब हूँ तो क्या  मुझमें जान नहीं?
ख़ाली है मेरा दिल कोई अरमान नहीं?

बस इसीलिए कोई शिक़ायत नहीं थी की
मेरी  सबको ख़बर  है कोई  अंजान  नहीं|

कोई क्यों मदद को  आए भला क्यों  इम्दाद करे
तमाशाईं   हैं यहाँ  सब   रहता कोई  इंसान  नहीं|

मैं ग़रीब हूँ तो क्या मुझमें जान नहीं? ख़ाली है मेरा दिल कोई अरमान नहीं? बस इसीलिए कोई शिक़ायत नहीं थी की मेरी सबको ख़बर है कोई अंजान नहीं| कोई क्यों मदद को आए भला क्यों इम्दाद करे तमाशाईं हैं यहाँ सब रहता कोई इंसान नहीं| #nojotophoto

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Saif Raza Khan

 बैठे   बिठाए   हम  ये  हर  रोज़   सुना  करते   हैं
सब्र की इम्तेहां को लोग ख़ुद-ख़ुशी कहा करते हैं|

ख़ुद की ख़ुशी होती नहीं जिसमें वो ख़ुद-ख़ुशी है क्या?
जिन्हें ख़ुशी ये मिल जाये  वों घुट-घुट के  रहा करते हैं!

कहीं  मुह़ब्बत, कहीं क़र्ज़, कहीं कोई और वजह है
ख़ुदी से  हार कर  फिर लोग ज़हर  पिया  करते  हैं|

बैठे बिठाए हम ये हर रोज़ सुना करते हैं सब्र की इम्तेहां को लोग ख़ुद-ख़ुशी कहा करते हैं| ख़ुद की ख़ुशी होती नहीं जिसमें वो ख़ुद-ख़ुशी है क्या? जिन्हें ख़ुशी ये मिल जाये वों घुट-घुट के रहा करते हैं! कहीं मुह़ब्बत, कहीं क़र्ज़, कहीं कोई और वजह है ख़ुदी से हार कर फिर लोग ज़हर पिया करते हैं| #nojotophoto

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Saif Raza Khan

 या खु़दा मेरे लिए अहद-ए-वफ़ा कोई हो
तनहा कश्ती में हूँ बैठा  हमनवां कोई हो|

क़ल्बे बीमार मेरा नाजाने क्यों धड़कता ही नहीं
देर  हो  जाये  न  इस  दिल  की  दवा  कोई हो|

बेवफ़ाओं  पे फ़िदा मैं ही  हुआ हूँ  अक्सर
काश! अहले वफ़ा मुझपे भी फ़िदा कोई हो|

या खु़दा मेरे लिए अहद-ए-वफ़ा कोई हो तनहा कश्ती में हूँ बैठा हमनवां कोई हो| क़ल्बे बीमार मेरा नाजाने क्यों धड़कता ही नहीं देर हो जाये न इस दिल की दवा कोई हो| बेवफ़ाओं पे फ़िदा मैं ही हुआ हूँ अक्सर काश! अहले वफ़ा मुझपे भी फ़िदा कोई हो| #Shayari #nojotophoto

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Saif Raza Khan

 जान जायेंगे हक़ीक़त उनकी वक़्त ज़रा गुज़रने तो दो
उनके जिस्म  से  हुस्न का  नक़ाब ज़रा  उतरने  तो दो|

अभी लाखों फ़िदा हैं लोग उनके चमकते हुए चेहरे पर
उनके  जिस्म  की  जिल्दाें  को  ज़रा  सिकुड़ने  तो दो|

वो सोचते  हैं अपने  हुस्न  के  सहारे जी  लेंगे  ज़िन्दगी सारी
सब्ज़ दरख़्त है मौसमे बहार में पतझड़ में पत्तों गिरने तो दो|

जान जायेंगे हक़ीक़त उनकी वक़्त ज़रा गुज़रने तो दो उनके जिस्म से हुस्न का नक़ाब ज़रा उतरने तो दो| अभी लाखों फ़िदा हैं लोग उनके चमकते हुए चेहरे पर उनके जिस्म की जिल्दाें को ज़रा सिकुड़ने तो दो| वो सोचते हैं अपने हुस्न के सहारे जी लेंगे ज़िन्दगी सारी सब्ज़ दरख़्त है मौसमे बहार में पतझड़ में पत्तों गिरने तो दो| #Shayari #nojotophoto

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Saif Raza Khan

 तुझे जब कभी मैं देखूं मचलता है दिल
प्यार तुझे  करने को  ये कहता है दिल|

तू जब भी आती है और आके तू जाती है
होके  बेक़रार  फिर  ये तड़पता  है  दिल|

ग़ैरों से  जब-जब  तू बात हंसके  करती है
तुझसे गुफ़्तगू को फिर ये तरसता है दिल|

तुझे जब कभी मैं देखूं मचलता है दिल प्यार तुझे करने को ये कहता है दिल| तू जब भी आती है और आके तू जाती है होके बेक़रार फिर ये तड़पता है दिल| ग़ैरों से जब-जब तू बात हंसके करती है तुझसे गुफ़्तगू को फिर ये तरसता है दिल| #Shayari #nojotophoto

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Saif Raza Khan

 In the memory of my late mother

ऐकाश!   मेरे   पास   मेरी   माँ   होती
वजह अश्क़ की मुझसे फिर बयां होती ।
जबीं को चूमकर सुकून वो अ़ता करती
भूले से  अगर  मुझसे  कोई ख़ता होती।
कसम खु़दा की मैं वो सब क़ुबूल करलेता
उसकी जानिब  से मुझको जो सज़ा होती।

In the memory of my late mother ऐकाश! मेरे पास मेरी माँ होती वजह अश्क़ की मुझसे फिर बयां होती । जबीं को चूमकर सुकून वो अ़ता करती भूले से अगर मुझसे कोई ख़ता होती। कसम खु़दा की मैं वो सब क़ुबूल करलेता उसकी जानिब से मुझको जो सज़ा होती। #Shayari #nojotophoto

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Saif Raza Khan

 दौलत  की  चाह  नहीं  मुझे  ये  इनाम  न  दो
मेरी वफ़ाओ के एवज़ पैसों में मुझे दाम न दो|

किसी बेख़ता को ख़ताकार कहना अच्छा नहीं
क्या किया  है मैंने?  मुझपे  ये  इल्ज़ाम  न दो|

मेरे दोस्त भी हो जायेंगे यक़ीनन मेरे दुश्मन
तुमको खु़दा  का वास्ता मुझे ये  काम न दो|

दौलत की चाह नहीं मुझे ये इनाम न दो मेरी वफ़ाओ के एवज़ पैसों में मुझे दाम न दो| किसी बेख़ता को ख़ताकार कहना अच्छा नहीं क्या किया है मैंने? मुझपे ये इल्ज़ाम न दो| मेरे दोस्त भी हो जायेंगे यक़ीनन मेरे दुश्मन तुमको खु़दा का वास्ता मुझे ये काम न दो| #Shayari #nojotophoto

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