आढ्यो वापि दरिद्रो वा दु:खित: सुखितोऽपि वा।
निर्दोषो वा सदोषो वा वयस्य: परमा गति:।।
चाहे धनी हो या निर्धन, दुःखी हो या सुखी, निर्दोष हो या सदोष - मित्र ही मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा होता है ।
Source- किष्किन्धाकाण्ड अष्टम सर्ग
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Pallavi Goel
मार्गं दर्शयति य:।
शुभ गुरु पूर्णिमा
#Gurupurnima Prem Lata Solanki $Mahi..🙂 Radhika sweety Krishna dwivedi Anshu writer