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©प्रवीण त्रिपाठी

Physics faculty/motivational speaker/Poet

https://youtu.be/qFWACdrD4FA

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©प्रवीण त्रिपाठी

हमसफ़र माँग लेना

हमसफ़र माँग लेना

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©प्रवीण त्रिपाठी

खामोश आईना तुम्हारी क्या तारीफ करेगा 
 जब भी खुद को देखना हो मेरी नजर माँग लेना
आज के दौर में कोई भी तुम्हारा साथ यूँ न देगा
जब भी अकेला महसूस करो इस शहर में
मुझे हमसफ़र माँग लेना

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©प्रवीण त्रिपाठी

मोहब्बत

मोहब्बत

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©प्रवीण त्रिपाठी

चलो कुछ वक्त निकाला जाये।।

चलो कुछ वक्त निकाला जाये।।

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©प्रवीण त्रिपाठी

चलो कुछ वक़्त निकाला जाये 




 अपनों को अपने होने का एहसास कराया जाये,
जिन्दगी भाग दौड़ में, बीते कुछ दिनों से  खुद को देखा नही 
इस दुनिया में ,खुद तुमसे कुछ बेहतर नही
 चलो आज फिर आईने को ये बतलााया जाये,
आँखों और उंगलियों को जरा आराम कराया जाये 
 व्हाट्सएप फेसबुक से कुछ पल के लिये कँही दूर  जाया  जाये।
चलो आज खोया हुआ बचपन न सही यादों को जगाया जाये
दादी माँ के किस्सों से अपने अपने हिस्से का बचपन  ढूँढा जाये,खुद 
अबोध बालक बन अपनी हरकतों से सबको हँसाया जाये।।
चलो कुछ वक्त निकाला जाये
 घर के आँगन में क्रिकेट से धूम मचाया जाये
खुद को हराकर घर के नन्हों विश्वास जगाया जाये।
कितनी भी कीमत लगायी जाये बाजार में,
माँ की रसोई की महक कँहा से लायी जाये शहरों बार में,
ढाबे की  मिस्सी रोटी मखनी दाल ,कैसे देगी माँ के मखन्न वाली रोटी का स्वाद 
चलो फिर त्यौहारों के बहाने माँ की ममता का लुफ्त उठाया जाये
थोड़े पल सही सुकूँ की नीद ले उनकी छाँव में 
अपने को सबसे धनी होने एहसास कराया जाये।।

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©प्रवीण त्रिपाठी

चलो कुछ वक़्त निकाला जाये 




अपनों को अपने होने का एहसास कराया जाये,
जिन्दगी भाग दौड़ में, बीते कुछ दिनों से  खुद को देखा नही 
इस दुनिया में ,खुद तुमसे कुछ बेहतर नही
 चलो आज फिर ,आईने को ये बतलााया जाये,
किसी बहाने ,आँखों और उंगलियों को आराम कराया जाये 
व्हाट्सएप फेसबुक से कुछ पल के लिये कँही दूर  जाया  जाये।
चलो आज खोया हुआ बचपन न सही यादों को जगाया जाये
दादी माँ के किस्सों से अपने अपने हिस्से का बचपन  ढूँढा जाये,
खुद अबोध बालक बन अपनी हरकतों से सबको हँसाया जाये।।
चलो कुछ वक्त निकाला जाये
 घर के आँगन में, क्रिकेट से धूम मचाया जाये
खुद को हराकर, घर के नन्हों विश्वास जगाया जाये।
कितनी भी कीमत लगायी जाये बाजार में,
माँ की रसोई की महक कँहा से लायी जाये शहरों बार में,
ढाबे की  मिस्सी रोटी मखनी दाल कैसे देगी माँ के मखन्न वाली रोटी का स्वाद 
चलो फिर त्यौहारों के बहाने माँ की ममता का लुफ्त उठाया जाये
थोड़े पल सही सुकूँ की नीद ले उनकी छाँव में ,
अपने को सबसे धनी होने एहसास कराया जाये।। कुछ वक्त निकाला जाये।। pooja negi# Maneesh Singh Aayush Raj | Thepaperpenguy Lakshmi singh My_Words✍✍

कुछ वक्त निकाला जाये।। pooja negi# Maneesh Singh Aayush Raj | Thepaperpenguy Lakshmi singh My_Words✍✍

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©प्रवीण त्रिपाठी

#Zid स्वयं जीत का प्रतीक हो।।

#Zid स्वयं जीत का प्रतीक हो।।

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©प्रवीण त्रिपाठी

स्वयं जीत का प्रतीक हो।। Maneesh Singh Prinal Royal Aayush Raj | Thepaperpenguy Lakshmi singh Soumya Jain

स्वयं जीत का प्रतीक हो।। Maneesh Singh Prinal Royal Aayush Raj | Thepaperpenguy Lakshmi singh Soumya Jain #कविता

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©प्रवीण त्रिपाठी

तुझे झुठला दूँगा

तुझे झुठला दूँगा #कविता

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©प्रवीण त्रिपाठी

विश्वास

विश्वास #विचार

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