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rakshayadav8787
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raksha yadav

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raksha yadav

वो‌ कहते हैं ना कि जोडियां ऊपर से‌ बनती हैं .... 
हाँ ये बिल्कुल सच है....
मुझे गुस्सा आता है, ‌तुम्हे इगनोर करना
मुझे प्यार जताना आता है, तुम्हे महसूस करना
तुम्हे कार में घुमाना आता‌‌ है, मुझे गूगल मैप‌ चलाना
तुम्हे गुस्सा दिलाना आता है, मुझे तुम्हे मनाना
मुझे खाना बनाना आता है, तुम्हे प्यार से खाना‌
मुझे डांस करना अच्छा लगता है‌, और तुम्हे गाना गुनगुना
कुछ ऐसी है हमारी जोड़ी,
एक दीवना है, तो एक मस्ताना... 
                                   



                                      




                                              
                                              Ry

©raksha yadav 
  #happypromiseday
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raksha yadav

कभी तो तुम भी महसूस करो वो, जो 
हम करते हैं.......... 
खंजर सी चुभ जाती हैं बातें तुम्हारी फिर भी एक छोटी सी मुस्कान के तले उस दर्द 
को ढक लेते हैं |
गुस्से में जब वेवजह चिलाते हो तुम,तो खुदको समझाने
 के लिए  उसे हक 
जताना कह लेते हैं |
कहते नहीं हो कभी कि प्यार करता हूँ तुमसे, फिर भी हम तुम्हारी आंखों में ये शब्द 
कहीं न कहीं ढूँढ ही लेते हैं |
कभी तो ये तुम भी महसूस करो ना जो हम हर रोज किया करते हैं...........
                                                   


                                                                 

                                                                
                                                                RY

©raksha yadav कभी तो महसूस करो वो, जो हम किया करते हैं........ 
23/11/2022

कभी तो महसूस करो वो, जो हम किया करते हैं........ 23/11/2022 #Shayari

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raksha yadav

इस मतलबी दुनिया में माँ ही तो हैं जो बेमतलब याद आती हैं...... 
28/09/2022

इस मतलबी दुनिया में माँ ही तो हैं जो बेमतलब याद आती हैं...... 28/09/2022 #Shayari

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raksha yadav

सोचा आज कुछ अपनी माँ के लिए लिखूँ....
समझ नहीं आया जो जान हैं मेरी अब भला उनकी शान में क्या लिखूँ????
फिर भी खोजने लग गई शब्दकोश में कुछ शब्द, 
जो व्यक्त कर सकें मेरे भाव को, 
तो सोचा बस दो शब्द """" मेरा जहान"""" लिखकर 
अपनी भावनाओं का सारांश लिखूँ ||



                                         
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©raksha yadav सोचा आज माँ के लिए कुछ लिखूँ..... 
28/09/2022

सोचा आज माँ के लिए कुछ लिखूँ..... 28/09/2022 #Shayari

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raksha yadav

आजकल हम खामोशियों से गुफतगू करते हैं |
वो कितना कुछ कह देते हैं हमे,
हम सब चुप-चाप सह लेते हैं |
इजहार और एतबार करना बंद कर दिया हैं हमने |
अब हम उनकी हर बात का बस हां.... में 
जबाब दिया करते हैं ||
            
                                                


                                                       



                                                       RY

©raksha yadav आजकल हम...... 
28/09/2022

आजकल हम...... 28/09/2022 #Shayari

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raksha yadav

एक नया रिश्ता पैदा क्यों करें हम,
जब बिछड़ना हैं, तो झगड़ा क्यों करें हम ||
खामोशी से अदा हो ये रस्में दूरी,
कोई हंगामा बार-बार क्यों करें हम ||
हमारी ही तमन्ना क्यों करो तुम, 
तुम्हारी ही तमन्ना क्यों करें हम ||
नहीं जब परवाह दुनिया को हमारी,
तो दुनिया की परवाह क्यों करें हम ||
     




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©raksha yadav क्यों करें........ 
27/09/2022

क्यों करें........ 27/09/2022 #Shayari

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raksha yadav

जिस अच्छाईयों के रास्ते में हम चल रहे थे,
आज हम उस सफर में नाकाम हो गये |
दूसरों से सुनते थे जो नाकाम कहानियाँ  कभी, 
आज उस नाकाम कहानी का हम ही अंजाम हो गये||







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©raksha yadav हम नाकाम हो गये....... 
27/09/2022

हम नाकाम हो गये....... 27/09/2022 #Shayari

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raksha yadav

जब से तुम हमसे मिले |

तब से ही शुरू हुये ये सिलसिले ||









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©raksha yadav हाँ तुम... 
24/09/2022

हाँ तुम... 24/09/2022 #Shayari

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raksha yadav

जीवन में बदलाव बहुत जरुरी हैं.............
ये बदलाव इंसान में  उम्र के हिसाब से नहीं आते,
 ये बदलाव इंसान में तजुरबों से आते हैं |
ये बदलाव ही तो हैं, जो इंसानी बजूद बदल 
जाते हैं |
ये बदलाव ही तो हैं, जो कुछ कर गुजरने का 
जूनून देकर जाते हैं ||
तो किसी के दिये मशवरे से नहीं,अगर खुद को मुनासिब लगे, तो बदलो |
 कभी भी अपनी शख्सियत को नहीं, अपनी 
हैसियत को बदलो ||
महसूस करना फिर उस बदलाव को जब तुम्हारी मिसाल दी जायेगी, 
 जब आए तुम्हारे पास वो बदलावकर्ता तो  कहना उससे अब हम तो बदल चुके हैं जनाब, चलो अब थोड़ा तुम भी बदलो ||
क्योंकि ये बदलाव बहुत जरूरी हैं.............
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©raksha yadav #ये बदलाव बहुत जरुरी हैं......... 
10/09/2022

#ये बदलाव बहुत जरुरी हैं......... 10/09/2022

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raksha yadav

आज जब फुरसत में जीवन की डायरी के कुछ अनोखे लम्हें खोचने लगी.....
ढूढ़ रही थी जब चैन और सुकून की गली,
तो लगा 24 दिसम्बर 2012 की ही तारीख़ थी सबसे भली |
जब अपने भावों को व्यक्त करने के लिए कभी शब्दों की आवश्यकता ही न पडी़ ||
आंखों में जब भी आये नमी तो फटाफट से उसको सुखाने के लिए हंसी की हवा चली |
अगर भूख लगे तो बिना बोले ही मैगी और आलूभुजिया की पैकेट मुझे मिली ||
बीमार हो जाऊँ मैं तो उसने पूरी रात करवट ही 
न बदली ||
मम्मी के बाद शायद उसने ही मेरी इतनी पिटाई 
थी करी ||
लेकिन जब भी मुझे मम्मी की कमी खली वो मेरे पास हमेशा खडी़ मिली | 
जितना दूर होती गई उससे उतनी ज्यादा उसकी कमी मुझे खली ||
                                             RY

©raksha yadav वो हैं मेरी सहेली 
07/09/2022

#BookLife

वो हैं मेरी सहेली 07/09/2022 #BookLife

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