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sumansingh5395
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suman singh rajpoot

मैं स्वंम अपनी भावनाओं को लिखता हूँ हिन्दी गीत गजल शायरी लिखता हूँ और एक दिन किताब का रूप देना चाहता हूँ (बिहारी)

https://youtube.com/@singh0531?si=SAhWdWa6XLWYqQ1k

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suman singh rajpoot

White सबसे बड़ी परेशानी इंसान को 
खुद के कारण होता है।
सब मेरे अनुसार चले 
मैं किसी के अनुसार नहीं चलूं।
सब मेरी नजर से देखे 
मुझे सबकी नज़र बंद दिखे।
सब कुछ मेरे दिमाग़ से हो 
दुनियां मुझे बिना दिमाग़ के दिखे।
मैं बोलूं 
लोग सुने, करे और चुप रहे।
ऐसा होता है क्या ?
कभी सोचो दोस्त 
खुद के कमाई से 
पड़ोसी का घर चलता है क्या?
"अधूरा"

©suman singh rajpoot #sad_shayari
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suman singh rajpoot

Unsplash कलयुग में 
पहला स्थान पैसा का है l
जिसे आगे बढ़ाना भी 
कहा जा सकता है।
ये चाहत जब प्रबल होती है 
तो लोग अत्यंत विश्वासी तक को 
हानि पहुंचाने से नहीं चूकता है।
इंसान जब चलता है तो जमीं को देखता है 
और सावधानी पाव रखता है 
कि कोई जीव जन्तु दबे नहीं।
लेकिन जब दौड़ता है, 
तो ध्यान लक्ष्य पर होता है ।
क्या कुचला क्या मसला गया 
ध्यान नहीं रखता है।

©suman singh rajpoot #Book
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suman singh rajpoot

जो ग़लती मान ले 
उसमें इंसानियत होती है,
इंसान झुकना नहीं, होता है।
जो ग़लती करने के वावजूद 
ग़लती नहीं माने,
दोष वक्त पर, हालात पर डाले,
तो समझना,
इंसानियत दिखावा है 
बन्दा बहुत शातिर है।
जहां ना वक्त, ना हालात, 
बन्दा का नियत दोषी है।
जब नियत दोषी हो 
तो रिश्ता भी दोषी लोगों से चलता है।

©#suman singh rajpoot #GoldenHour
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suman singh rajpoot

White प्यार "नशा" से हो 
या "चिकनी चुपरी" बातों से 
तब तक नहीं छूटता 
जब तक इंसान अपने साथ 
अपने बच्चों को भी बर्बाद नहीं कर देता है।
"नशीली पदार्थ" बेचने वाला 
"चिकनी चुपरी" बात करने वाला 
कभी कंगाल नहीं होता है।

©#suman singh rajpoot #sad_quotes
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suman singh rajpoot

White हर जीवन में रंग भरने वाला 
कैसे बेरंग हो सकता है।
हृदय में शौर्य भरने वाला 
कैसे कायर हो सकता है।
हारे मन को जीत दिलाने वाला 
कैसे हार मान सकता है।
उस क्षण को याद करो 
प्रहार चारों तरफ से था 
कैसे स्वयं को निकाला था 
सोये आत्मा को जगाने वाला 
कैसे सो सकता है।
अंधकार में प्रकाश दिखाने वाला 
कैसे अंधकार में जा सकता है।
पहचानो स्वयं को स्वयं को जानो, 
तुम से बेहतर; 
कैसे कोई हो सकता है।

©#suman singh rajpoot #GoodMorning
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suman singh rajpoot

White मैं डगर हूं 
       तुम राही!
मैं स्याही हूँ 
        तुम कलम!
चलो ना चलो 
    मर्ज़ी तुम्हारी!
मैं नींद हूं 
     तुम ख़्वाब!
मैं अंधेरा हूं 
     तुम रौशनी!
आओ ना आओ 
      मर्ज़ी तुम्हारी!

©#suman singh rajpoot #Tulips
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suman singh rajpoot

White बिन बात के बात, बिगड़ती है 
जब ज़रूरत की गाड़ी, 
दूसरों की उम्मीद से चलती है।
         चालाकी उतनी ही हो, 
          तो बेहतर है।
          मौसम बदलते 
          हर किसी की तबियत बिगड़ती है।
क्या हौसला है 
या ढकौसला है।
जब अपने सिर का बोझ 
दूसरों पर लधती है।
बिन बात के बात बिगड़ती है।
           दायरा बढ़े तो 
           अपने दम से बढ़े 
            दूसरों के दम पर 
            दरमियां बढ़ती है।
            बिन बात के बात बिगड़ती है।
स्पष्टवादी रहना आसां कहाँ,
उजाले में।
अंधेरे में,
दोस्ती चलती है।
बिन बात के बात, बिगड़ती है।

©#suman singh rajpoot #love_shayari
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suman singh rajpoot

#sumansinghrajpoot
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suman singh rajpoot

White जिंदगी में कारण पहले,
निवारण बाद में "आता" है।
ठीक उसी तरह 
जैसे शरीर में बिमारी पहले 
उपचार बाद में होता है।
 स्वभाव से कारण 
स्वाद से बिमारी प्रवेश करता है।
"कारण" मानसिक पीड़ा 
"बीमारी" शारीरिक पीड़ा देता है।
खुद को शिक्षित मानने वाले 
"कारण और बिमारी"
दिनों को बखूबी पसन्द करते हैं।
निवारण और उपचार होने के बाद 
"निवारण और उपचार" 
को  दोषी करार देते हैं।

©#suman singh rajpoot #GoodMorning
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suman singh rajpoot

White जिंदगी में कारण पहले,
निवारण बाद में "आता" है।
ठीक उसी तरह 
जैसे शरीर में बिमारी पहले 
उपचार बाद में होता है।
 स्वभाव से कारण 
स्वाद से बिमारी प्रवेश करता है।
"कारण" मानसिक पीड़ा 
"बीमारी" शारीरिक पीड़ा देता है।
खुद को शिक्षित मानने वाले 
"कारण और बिमारी"
दिनों को बखूबी पसन्द करते हैं।
निवारण और उपचार होने के बाद 
"निवारण और उपचार" 
को  दोषी करार देते हैं।

©#suman singh rajpoot #GoodMorning
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