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kumarpraveen3148
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Kumar Praveen

mariner

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Kumar Praveen

love u papa👨‍❤️‍👨

love u papa👨‍❤️‍👨

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Kumar Praveen

पिता 
                      
चाह कर भी कभी न मना करते देखा
अपने अधूरे सपनों को मेरे अंदर बुनते देखा
जिसने मेरी हर कोशिश में सफलता देखी
उन्हीं कोशिशों पर मैने पिता को अभिमान करते देखा।


कंधों पर बैठकर बचपन को जी कर देखा
बढ़ते कदम हों तो उंगली पकड़कर संभलते देखा
मेरे ओंठो की मुस्कान के लिए
मैने अपने पापा को बच्चा बनते देखा ।

उनकी डांट में भी प्यार का इजहार देखा
मेरे होने से उनके अंदर खुशियों का संसार देखा
बनूं में कभी कामयाबी की मिशाल
मैने अपने पिता में मेरी हार में भी जीत का एहसास देखा।

उन्होंने मुझे घर से बाहर निकलते देखा
ठोकर लगने पर उठते संभलते देखा 
मां की आंखों में  तो आंसू थे
पर मेरे पिता ने संघर्ष के पीछे छिपी जीत को देखा।

घर में घुसते ही मां को पूछते देखा
पिता को भी कहीं न कहीं ढूंढ़ते देखा
मां की ममता तो नजर आ जाती
पर आज मैने पिता में मेरे लिए आत्मसमर्पण देखा।

__Praveen Kumar happy father's day

happy father's day

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Kumar Praveen

पिता 

चाह कर भी कभी न मना करते देखा
अपने अधूरे सपनों को मेरे अंदर बुनते देखा
जिसने मेरी हर कोशिश में सफलता देखी
उन्हीं कोशिशों पर मैने पिता को अभिमान करते देखा।


कंधों पर बैठकर बचपन को जी कर देखा
बढ़ते कदम हों तो उंगली पकड़कर संभलते देखा
मेरे ओंठो की मुस्कान के लिए
मैने अपने पापा को बच्चा बनते देखा ।

उनकी डांट में भी प्यार का इजहार देखा
मेरे होने से उनके अंदर खुशियों का संसार देखा
बनूं में कभी कामयाबी की मिशाल
मैने अपने पिता में मेरी हार में भी जीत  एहसास देखा।

उन्होंने मुझे घर से बाहर निकलते देखा
ठोकर लगने पर उठते संभलते देखा 
मां की आंखों में  तो आंसू थे
पर मेरे पिता ने संघर्ष के पीछे छिपी जीत को देखा।

घर में घुसते ही मां को पूछते देखा
पिता को भी कहीं न कहीं ढूंढ़ते देखा
मां की ममता तो नजर आ जाती
पर आज मैने पिता में मेरे लिए आत्मसमर्पण देखा।

__प्रवीन happy father's day

happy father's day

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Kumar Praveen

छोटी सी गुड़िया।
                              -(Praveen kumar)

अभी कुछ दिनों की बात है
खिलोने की दुकान पर देखा था।
माँ से जिद कर रही थी,
गुड़िया लेनी है।
माँ ने मना किया, तो रूठ गयी।
मेने पूछ लिया?
इस प्यारी सी गुड़िया को किस गुड़िया की जरूरत है।
मुस्कुरा दी!
और सरमाते हुए माँ के पल्लू में छिप गयी।
इतने में माँ बोली-
"इसका नाम ही गुड़िया है"
पापा की प्यारी है, और माँ की राजदुलारी है।
हम रोज मिलते थे।
पापा के साथ रोज आती थी।
सामने बाले पार्क में खूब खेलती थी।
पापा की तरफ देखकर मुस्कुराती थी।
आठों पर चाँद का टुकुडा बनता था।
और गालों पर गड्ढे से बड़ी मासूम लगती थी।
मानो दुनियां की सारी खुशी मिल गयी हो।
शायद अपने पापा से बहुत प्यार करती थी।
लगभग 7 साल की थी।
भैया बोलती थी,रक्षाबंधन पर राखी भी बंधी थी।
बड़ा प्यार करती थी।
शायद कोई भाई नही था,
पर इस बात का अफसोस भी नही था।
मेरे साथ खूब खेलती थी।
कभी कंधे पर बैठने की जिद करती,
कभी हवा में उछालने को बोलती।
मेरे चारों ओर गोल-गोल घूमती,
फिर मुझे भागकर खुद पकड़ती।
और थक जाने पर,
गोद मे आकर बैठ जाती।
फिर सारी कहानी सुनाती।
ऐसा लगता था।
मानो कोई  छोटी चिड़िया बोल रही हो।
भैया अब कल मिलेंगें,
बोलकर  हस्ते- खेलते घर चली जाती।
2-3 से दिखी नही,
खिलोने बाले से पूछा?
तो बोला! साहब एक अनहोनी हो गयी।
दिल बैठ गया।
पूछा क्या हुआ मेरी गुड़िया को?
सब ठीक तो है!
बोला कुछ ठीक नही है।
आपकी गुड़िया को न जाने किसकी नजर लग गयी।
इस समाज के कुछ हैबान उसे कहा गए।
आपकी गुड़िया को अपनी हवस से मार गए।
इतना सुनकर में जीते जी मर गया।
कैसा भाई हूँ, अपनी बहन को भी नई बचा सका।
पूछा क्या हुआ मेरी गुड़िया को?
सब ठीक तो है!
बोला कुछ ठीक नही है।
आपकी गुड़िया को न जाने किसकी नजर लग गयी।
इस समाज के कुछ हैबान उसे  खा गए।
आपकी गुड़िया को अपनी हवस से मार गए।
इतना सुनकर में जीते जी मर गया।
कैसा भाई हूँ, अपनी बहन को भी नई बचा सका।

Justice for#twinkle #justicefortwinkle
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Kumar Praveen

इतनी खफा किस लिए,
मुझसे ही वफ़ा किस लिए।
है अगर कोई शिकवा तो खुल कर कह,
यूं बसंत में,गुलाब मुरझाया किस लिए।।

ये फूलबाग में फुलबारी किस लिए,
तेरी सूरत इन फूलों से प्यारी किस लिए।
अब  के मौसम में हर कली मुस्कुराने लगी,
फिर तेरी गालों की लाली किस लिए।।

बुरा हूं पर बुरा किस लिए,
सच बयां किया क्या इस लिए।
हो अगर मोहलत तो मुझे माफ़ कर,
यूं पूर्णिमा को चांद छिपा किस लिए।।

बसन्त में ये खुशहाली किस लिए,
पेड़ों पर हरी भरी डाली किस लिए।
अब तो मीठी कोकिला भी कूं कूं करने लगी,
फिर तुम्हारे ओठों की खामोशी किस लिए।।

 बहुत हो गया, कुछ तो बोलो,
 अपने कमल के कपोलों को जरा सा तो खोलो।
 ‎जो दिल में हो तो बयां कर दो,
 ‎तेरी हां और मेरी न में ये सवाली किस लिए।।
-praveen
 ‎ #apkinarajagi


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