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raviguptart9056
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Ravi Gupta

i m Ravi Gupta ✍️ from Agra I m scripts writer bollywood story and gazal shayri poem novel etc.. my number 9808449717

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Ravi Gupta

Unsplash पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है.?
आजकल AC के जमाने में रोशनदान कौन रखता है.?
अपने घर की कलह से, फुर्सत मिले तो सुने भी
आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है.?
जहां जब जिसका, जी चाहा थूक दिया
आज कल हाथों में पीकदान कौन रखता है.?
हर चीज मुहैया है, मेरे शहर में किस्तों में,
आजकल हसरतों पर लगाम कौन रखता है.?
बहलाकर छोड़ आते हैं, वृद्ध आश्रम में माँ बाप को
आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है.?

©Ravi Gupta #Book
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Ravi Gupta

ये भी इक तरकीब है दुश्मन से लड़ने की

गले लगा लो जिस पर वार नहीं कर सकते

©Ravi Gupta
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Ravi Gupta

Unsplash "दिन महीने साल से चलता है ll
 वक्त नियत चाल से चलता है ll"

 "तुम कैसे हो" बस पूछ लिया करो,
 मेरा काम इसी सवाल से चलता है ll

 गरीब पीठ झुका के चलता है,
 अमीर पेट निकाल के चलता है ll
 
 चित-पट के खेल में हम उलझे रहेंगे,
 वक्त है कि सिक्का उछाल के चलता है ll"

©Ravi Gupta #leafbook
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Ravi Gupta

राहत ने जिस दुर्भावना के साथ ये "सभी का खून है शामिल है" लिखा था 
उसका और खूबसूरत जवाब "बेचैन मधुपुरी" जी ने दिया है।

"बेचैन मधुपुरी"ने बहुत ही बेहतरीन जवाब दिया है,
आप भी उनके कायल हो जाएँगे।

“ख़फ़ा होते हैं तो हो जाने दो,घर के मेहमान थोड़ी हैं,
सारे जहाँ भर से लताड़े जा चुके हैं,इनका मान थोड़ी है.

ये कान्हा राम की धरती है,सजदा करना ही होगा,
मेरा वतन ये मेरी माँ है, लूट का सामान थोड़ी है.

मैं जानता हूँ, घर में बन चुके हैं सैकड़ों भेदी,
जो सिक्कों में बिक जाए, वो मेरा ईमान थोड़ी है.

मेरे पुरखों ने सींचा है, इस वतन को अपने लहू के कतरों से,
बहुत बांटा मगर अब बस, ख़ैरात थोड़ी है.

जो रहजन थे, उन्हें हाकिम बना कर उम्र भर पूजा।
मगर अब हम भी' सच्चाई से अनजान थोड़े हैं ?

बहुत लूटा फिरंगीयो ने, कभी बाबर के पूतों ने,
ये मेरा मेरा घर है, मुफ्त की सराय थोड़ी है.

कुछ तो अपने भी शामिल है,वतन तोड़ने में।*
अब ये कन्हैया और रविश' देश भक्त मुसलमान थोड़ी है.

नहीं शामिल है' तुम्हारा खून इस मिट्टी में।
ये तुम्हारे बाप का' हिंदुस्तान थोड़ी है.

यकीनन किरायेदार ही ' मालूम पड़ते हैं ये,इस मुल्क में।
यूं बेमुरव्वत अपना ही मकान, कोई जलाता थोड़े है ?

सभी का खून शामिल था यहाँ की मिट्टी में, हम अनजान थोड़े हैं?

किंतु जिनके अब्बा ले चुके पाकिस्तान, अब उनका हिंदुस्तान थोड़े है?🙏
कवि को इन राहत इंदौरी जैसे मक्कारों की असलियत उजागर करने वाली कविता लिखने के लिए कोटिशः साधुवाद
🙏🙏🚩
जय जय भारत माता
🌼🙌🚩

©Ravi Gupta #IndiaLoveNojoto
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Ravi Gupta

White प्रेम तो कल्पनाओं में मिली उपलब्धि है  
वास्तविकता तो वेदनाओं से भरी पड़ी   है…!

हर किसी की अपनी-अपनी कहानी है  
समझो तो दर्द ना समझो तो पानी है..!

©Ravi Gupta #sad_dp
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Ravi Gupta

Unsplash इश्क़ मे उलझ कर बेरोजगार रह गए..
वो लड़के जो कभी होनहार हुआ करते थे..

©Ravi Gupta #Book
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Ravi Gupta

Unsplash वो मेरी खातिर लौट कर अब आए तो क्या आए 
बाद मरने के दवा लाए तो क्या लाए ?

©Ravi Gupta #lovelife
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Ravi Gupta

“जो वकील अपने मुवक्किल की उम्मीदों को व्यापार समझे, वह न्याय की मर्यादा को ठेस पहुंचाता है।”

©Ravi Gupta #justice
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Ravi Gupta

White कहानी ठीक बनती हैं 
नज़ारे ठीक मिलते है 
अमूमन वक्त अच्छा हो
तो सारे ठीक मिलते है 
हमें तो जो मिला अपना
 वही डस ने में माहिर था
न जाने कैसे लोगों को 
सहारे ठीक मिलते हैं

©Ravi Gupta #Sad_Status
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Ravi Gupta

White इश्क की आड़ में अपनी हवस मिटाते हैं 
ये नए आशिक रूह छूते नहीं जिस्म नोंच खाते हैं

©Ravi Gupta #love_shayari
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