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rohanjha7153
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रोहन 'हिमान्शु' झा

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रोहन 'हिमान्शु' झा

उनकी गली में मिला था उनसे,
वो कभी मेरे घर नहीं आया,
जो बिछड़े फिर वो मोड़ से,
मैं, कभी भूल नहीं पाया,
बरसते थे जो बादल उनके कहकशा पर,
उसके बाद फिर कभी वो बरस नही पाया।।

©Rohan Jha #DearCousins
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रोहन 'हिमान्शु' झा

बस यही गिला रहा जिंदगी से,
वो मिला था, बस! मिल नही पाया।।

©Rohan Jha #Hug
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रोहन 'हिमान्शु' झा

मैं अक्सर एक गीत गुनगुनाया करता था,
तुम्हें देखते उसे भूल जाया करता था,
हरे समन्दर के खारे लहरों जैसे उसके बोल थे,
हमारे दरमियाँ हमेशा मीठा अहसास रहे
 इसीलिए अक्सर मैं उसे पी जाया करता था।।

©Rohan Jha #Flower
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रोहन 'हिमान्शु' झा

मैं, खुद को पाना चाहता हूँ,
लेकिन! पता तो चले कि मैंने खोया क्या है?

©Rohan Jha #boatclub
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रोहन 'हिमान्शु' झा

प्रकृति में हरे रंग का इश्क़ जब पकता है तो पीला हो जाता है, ये कहते हुए उसने मुझे पीली पश्मीना शॉल दी।
मैंने वो पीली पश्मीना शॉल औढ़ ली और फिर उसके इश्क़ की हरी घास में कहीं खो गया। #Hum
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रोहन 'हिमान्शु' झा

प्रकृति में हरे रंग का इश्क़ जब पकता है तो पीला हो जाता है, ये कहते हुए उसने मुझे पीली पश्मीना शॉल दी।
मैंने वो पीली पश्मीना शॉल औढ़ ली और फिर उसके इश्क़ की हरी घास में कहीं खो गया।

©Rohan Jha #Hum
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रोहन 'हिमान्शु' झा

White कलम उठा पिता पर कुछ लिखने चला था,
समझ आया
जिन्होंने मुझे लिखा उनपर मैं क्या लिख सकता हूँ।।

©Rohan Jha #fathers_day
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रोहन 'हिमान्शु' झा


मेरे टूटने और समेटने के बीच गर कोई हिस्सा है,
तो वो तुम हो।।

©Rohan Jha
  #Gulaab
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रोहन 'हिमान्शु' झा

मन में कुछ उलझा हो तो बालों को सुलझा लेना,
मेरे पास आ बैठना, धीमें से कुछ गुनगुना देना,
गर इस बार मैं तुमसे शिकायत करूँ,
तब तुम बस! धीरे से मुस्कुरा देना।।

©Rohan Jha
  #UskeHaath
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रोहन 'हिमान्शु' झा

मन में कुछ उलझा हो तो बालों को सुलझा लेना,
मेरे पास आ बैठना, धीमें से कुछ गुनगुना देना,
गर इस बार मैं तुमसे शिकायत करूँ,
तब तुम बस! धीरे से मुस्कुरा देना।।

©Rohan Jha #UskeHaath
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