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sanjaykumarmishr4734
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sanjay Kumar Mishra

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sanjay Kumar Mishra

White जो प्रेम विवाह करते है उनमें इतनी हिम्मत जरूर होती है कि स्वयं कि खुशी के लिये या माता पिता भाई के दूर ब्यौहार कारण सामाजिक मान-मर्यादा को तोड़ने मे वो नहीं हिचकिंचाते इसलिये जब उनके वैवाहिक जीवन मे कभी ऐसा मोड़ आता है कि उन्हें लगता है की वो इस रिश्ते से खुश नहीं है तब वे तलाक लेने से भी नहीं हिचकिंचाते इनके मुकाबले एक सामान्य युगल तलाक जैसा निर्णय लेने में सामाजिक मान-मर्यादा के चलते थोड़ा झिझकेगा  पारिवारिक सहमति से तय किये गये रिश्तों मे परिवार-समाज के लोग एक गारन्टर के रूप मे कार्य करते इसलिए जब कभी एक सामान्य युगल के वैवाहिक जीवन कोई तकरार ,अनबन होती हैं तो ये गारन्टर लोग इस तकरार,अनबन को बढा़ते नहीं बल्कि उनके बीच की दूरीयों कम करते हैं सीधे शब्दों मे कहें तो ये लोग मैरेज काउंसलर की भूमिका निभाते हैं इसके विपरीत मामले मे इन लोगो की भूमिका बदल जाती हैं प्रेमी जोड़े के मामले मे तकरार, अनबन को बढावा देना ही इनका मुख्य कार्य हो जाता हैं और सारी समस्याओं का समाधान इन्हें तलाक मे ही दिखता हैं  प्रेम विवाह करने वाले आम तौर पर अपने इस निर्णय से कईयों को दुखी करते है इसलिए चाहे अनचाहे इस नये रिश्ते मे एक प्रकार की जो नकारात्मक ऊर्जा समाहित हो जाती वो भी प्रेम विवाह को असफल बनाने मे कहीं ना कहीं अपना योगदान देती है

धन्यवाद।

©sanjay Kumar Mishra #love_shayari
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sanjay Kumar Mishra

White प्रेम की बात करो तो समाज पीछे पायदान पर नजर आता है जब की प्रेम महत्व पूर्ण है । हमारे समाज में ज्यादातर अरेंज विवाह होते हैं, क्योंकि विवाह करते समय सिर्फ भावनाओं का ख्याल नहीं रखा जाता बांकी सारे ख्याल रखे जाते है । लड़का लड़की का। बैकग्राउंड ,स्टेटस चरित्र धार्मिक विश्वास, यह सब भी बहुत मायने रखता है । लेकिन क्या आप इसे समझ पाते है नही और बाद की जिंदगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः विवाह संबंधी फैसला सोच समझ कर लेना चाहिए। परिवार के लोगों को भी चाहिए कि अगर लड़का और लड़की सच में एक दूसरे के प्रति गंभीर हैं, साथ में जीवन बिताना चाहते हैं तो उनके प्रेम को जरूर स्वीकार करें, इसमें अपने झूठे अहं या समाज के डर को लाने की जरूरत नहीं, यह आपके बच्चों की जिंदगी का सवाल होता है। आपके विचार जरूर मेरे विचारों से अलग हो सकते

©sanjay Kumar Mishra #love_shayari
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sanjay Kumar Mishra

White आप जो भी करते हैं और कहते हैं, उसमें विनम्र रहें। विनम्रता का मतलब यह नहीं है कि आपको कुचल दिया जाए। इसके ठीक विपरीत। विनम्रता यह जानना है कि हम अलग होने की तुलना में एक साथ अधिक मजबूत हैं। विनम्रता वह है जो हमारे पास है उसे देना और फिर से वही करना। हम गिरेंगे और कुचले जाएँगे। याद रखने के लिए दो बातें हैं। सबसे पहले, एक पुरानी राजनीतिक कहावत है कि "जो बोओगे, वही काटोगे।" अगर कोई हम पर कदम रख रहा है, हमें रोक रहा है, या हमें अनदेखा कर रहा है, तो प्रकृति के पास इससे निपटने का एक तरीका है, इसलिए इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि आप क्या कर सकते हैं और चरित्र की मजबूत भावना के साथ ऐसा करें। दूसरा, उठते रहें और वह बनाते रहें जो आपको करना है। आखिरकार, यही एकमात्र तरीका है जिससे आपका उद्देश्य जड़ पकड़ेगा और खिलना शुरू होगा। 🙏🙏

©sanjay Kumar Mishra #alone_quotes
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sanjay Kumar Mishra

White 

अनैतिक और चरित्रहीन लोगों का गिरोह होता है, जबकि नैतिक और चरित्रवान व्यक्ति आमतौर पर अकेला होता है। कई बार उसे अकेला होना पड़ता है। नैतिकता को धर्म की मां माना जा सकता है। नैतिक हुए बगैर व्यक्ति मानवीय और धार्मिक नहीं हो सकता

©sanjay Kumar Mishra #good_night
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sanjay Kumar Mishra

White प्रेम दुनिया का एकमात्र ऐसा भाव जो बिना किसी मोह, लालच, ईर्ष्या, और स्वार्थ से किया जाता है वही प्रेम है। प्रेम और आस्था में क्या अंतर है?
प्रेम में पूर्ण समर्पण के साथ अधिकार का भाव सार्थक होता है, जबकि आस्था में दासत्व के भाव से प्रेम होता है। प्रेम और लगाव में क्या अंतर है, स्पष्ट करेंगे?
प्रेम एक पवित्र शब्द हैं जो वर्तमान समय मे लांक्षित अवस्था मे इसका मूल स्वरुप नष्ट हो चुका है यह एक प्राकृतिक सौम्य निस्वार्थ भावना है जो स्वयं किसी के लिए मन मे जन्म लेती है इस मे कारण और उद्देश्य नही होते। लगाव का कोई कारण हो सकता है उद्देश्य भी अवश्य होगा। जैसे कोई आपकी मदद करता है आपको उससे लगाव हो गया इस मे कारण भी है और उद्देश्य भी। प्रेम में कुछ भी अश्लील या चारित्रिक हीनता नहीं ।

©sanjay Kumar Mishra #good_night_images
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sanjay Kumar Mishra

White जलील इंसान कभी जलील नही होता ।

©sanjay Kumar Mishra #hindi_poem_appreciation
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White भारतीय पितृसत्तात्क समाज में तलाकशुदा होना एक स्त्री के लिए ज्यादा बुरा माना जाता है। इसी झूठी शान की वजह से महिलाएं जीवनभर एक हिंसक रिश्ते में रहने पर मजबूर होती हैं।संस्कृति और नैतिकता की दुहाई देने वाले हमारे समाज में तलाक को धब्बा और बुराई की तरह से देखा जाता है, भले ही शादी का रिश्ता कितना ही हिंसक हो। यहां तलाक के मामलों की दर भले ही कम हो लेकिन शादी के रिश्ते में हिंसा, आत्महत्या के मामलों में कोई कमी नहीं है। शादी के रिश्ते में असमानता, हिंसा के बावजूद बने रहने का सामाजिक दबाव रहता है जिस वजह से महिलाएं एक खराब रिश्ते से बाहर निकलने में हिचकती है। इसका एक कारण यह है कि लोग तलाकशुदा महिलाएं के साथ बुरा व्यवहार करते है। उसके निजी स्वायत्ता को नष्ट कर उसका चरित्र विश्लेषण तक किया जाता है। ख़ासतौर पर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में यह स्थिति और भी प्रताड़ित करने वाली बन जाती है। तलाक के बाद उनके आत्मनिर्भर बनने को भी बुरी नज़र से देखा जाता है उनपर सार्वजनिक तौर पर टीका-टिप्पणी की जाती है। भारतीय समाज  विवाह से प्रेम पैदा करना चाहता है । प्रेम से विवाह नही करना चाहता।

©sanjay Kumar Mishra #flowers
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sanjay Kumar Mishra

White आत्म-सम्मान के प्रमुख तत्वों में शामिल हैं । खुद पे भरोसा, सुरक्षा की भावना, पहचान, अपनेपन की भावना, सक्षमता की भावना आत्म-सम्मान के साथ अक्सर प्रयुक्त होने वाले अन्य शब्दों में आत्म-मूल्य, आत्म-सम्मान और आत्म-सम्मान शामिल हैं। आत्म सम्मान मानव की उस अदृश्य शक्ति का नाम है जो प्रत्यक्ष शक्ति से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली है,इसी की बदौलत इंसान समाज में एक रुतबा स्थापित करता है या सर ऊंचा करके चलता है। अब बात करते हैं कि आत्मसम्मान खोना किसे कहते हैं,। इंसान जब स्वयं की ही नज़र में झुक जाता है और उसे स्वयं पर ही ग्लानि होने लगती है तो इसे ही कहते आत्मसम्मान का खोना। आत्मसम्मान हेतु कई गुण हैँ जो अधोलिखित हैँ।
1 निष्ठावान(ईमानदार) 2. करुणा 3. निष्पक्षता 4. दया भाव 5. सहायता का भाव 6. अतिक्रमण न करना 7. किसी की वस्तु, सम्पत्ति, धनादि न हड़पना 8. चोरी न करना 9. धोखा, कपट, छल न करना । आत्मसम्मान को ठेस तब अधिक लगती है जब व्यक्ति उपरोक्त के उलट कार्य करता है या अधोलिखित गुणोँ युक्त होता है। 1. दम्भी 2. पाखण्डी 3. कृतघ्न 4. स्वार्थी 5. नीच सोच रखने वाला 6. लिप्सा, तृष्णा, मोह युक्त 7. कुतर्की 8. आलस्य 9. कामचोरी 10. दिखावा

©sanjay Kumar Mishra #sad_quotes
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sanjay Kumar Mishra

White कभी कभी सोए हुए आत्म सम्मान जगाने के लिए भी आत्म सम्मान पर चोट करनी पड़ती है । आत्म-सम्मान का अर्थ है खुद को सम्मान देना. हमें अक्सर इस बात से फर्क पड़ता है कि दूसरे हमारा मूल्य समझते हैं या नहीं,

©sanjay Kumar Mishra #Animals
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sanjay Kumar Mishra

White सच से मुह चुराती दुनिया का दस्तूर है कि सच बोलने की अलग ही सजा मिलती है खास किस्म की सजा जिससे आपको मानवता पर से भरोसा ही उठ जाए.

©sanjay Kumar Mishra #Emotional_Shayari
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