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moushumimukherje6796
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Moushumi Mukherjee

एक दिन सब कुछ बदलेगा किसी का जीवन किसी का वक्त।

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Moushumi Mukherjee

एक दिन सब कुछ बदलेगा

किसी का जीवन, किसी का वक्त

©Moushumi Mukherjee
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Moushumi Mukherjee

मेरे हिस्से में कभी आता ही नहीं ,
 मेरा वो, और,  मेरा वो प्यार।

©Moushumi Mukherjee
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Moushumi Mukherjee

कोई बैठा लेता है समंजस्य समाज में
मुझमें कई नुक़्स हैं बड़े विद्रोह के ...

©Moushumi Mukherjee
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Moushumi Mukherjee

जाने कौन भिगने से रह गया शहर में,
जिसके लिए रह-रह कर लौटती हैं
बारिशें

©Moushumi Mukherjee #alone
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Moushumi Mukherjee

शर्तो पर जीना
और पृथ्वी का कोना ढूंढना
दोनो अनवरत हैं

©Moushumi Mukherjee #diary
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Moushumi Mukherjee

रुखे हाथों की कुछ टूटी लकीरें
सब ख्वाब अधूरे हैं
उधार की कलम से लिखी थी क़िस्मत
सारे सब्जबाग अधूरे हैं

©Moushumi Mukherjee #walkingalone
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Moushumi Mukherjee

 सच मेरी ज़ुबान पर रखा हुआ है ,
और कड़वा सच तो मैं बिना लाग लपेट के बोल देती हूँ …

©Moushumi Mukherjee
  बिना किसी लाग-लपेट के......

बिना किसी लाग-लपेट के...... #Life

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Moushumi Mukherjee

#संकीर्ण मानसिकता ही चरित्रहीन होती हैं।
विचारों को प्रोत्साहित और  विकसित करें विकास की ओर एक और नया कदम

©Moushumi Mukherjee #Anger
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Moushumi Mukherjee

लेखनी एक ऐसी कला हैं जिसमें सभी सुस्वाद शब्दों 
को लयबद्ध होकर लम्बे समय तक के लिए हमारे मस्तिष्क कोशिकाओं को एक स्वास्थ और प्रसन्न विचार और विकास का वास्तविक स्वरूप का स्वाद सदा स्थापित करने में सक्षम साबित होता रहा हैं
मगर आजकल की फास्ट फूड वाली लेखनी से पठको को अपच की समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है ।

©Moushumi Mukherjee #Dark
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Moushumi Mukherjee

जो चाहो चुन लो !
मर्जी तुम्हारी !!
1 और 1 मिलकर 2 हो जाये - यह गणित है !
1 औऱ 1 मिलकर 11 बन जाये - यह संगठन है !
1 और 1 मिलकर 1 ही रह जाये - यह प्रेम है !
1 और 1 मिलकर 0 हो जाये - ये अध्यात्म है !
जब 1 को 1 से मिलने ही न दिया जाए - यह कूटनीति है !
और जब 1 को 1 के विरुद्ध खड़ा कर दिया जाए - यह राजनीति है !!

©Moushumi Mukherjee #FindingOneself
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